खुशखबरी: श्रीराम के ननिहाल और वन गमन पथ पर विकसित होगा तीर्थ, जानिए पूरी योजना

खुशखबरी: श्रीराम के ननिहाल और वन गमन पथ पर विकसित होगा तीर्थ, जानिए पूरी योजना

खुशखबरी: श्रीराम के ननिहाल और वन गमन पथ पर विकसित होगा तीर्थ, जानिए पूरी योजना

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

अयोध्या में जैसे जैसे भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे पूरे देश में राम से जुड़े स्थानों का महत्व बढ़ गया है। छत्तीसगढ़ को प्रभु श्रीराम का ननिहाल माना जाता है और यह महर्षि वाल्मिकी की तपोभूमि भी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अब इन स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित करने का फैसला किया है।

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि छत्तीसगढ़ में न केवल प्रभु राम की माता कौशल्या का जन्म हुआ था बल्कि रामायण के माध्यम से रामकथा को दुनिया के सामने लाने वाले महर्षि वाल्मिकी ने भी इसी भूमि पर साधना की थी।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने माता कौशल्या के जन्म-स्थल चंदखुरी की तरह तुरतुरिया के वाल्मिकी आश्रम को भी पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित करने के लिए रूप-रेखा तैयार कर ली है। इसी तरह रामकथा से संबंधित एक और महत्वपूर्ण स्थल शिवरीनारायण के विकास के लिए भी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। शिवरीनारायण वही स्थान है जहां माता शबरी ने प्रभु राम को जूठे बेर खिलाए थे। 

राम के ननिहाल चंदखुरी का सौंदर्य अब पौराणिक कथाओं के नगरों जैसा ही आकर्षक होगा

उन्होंने बताया कि भगवान राम के ननिहाल चंदखुरी का सौंदर्य अब पौराणिक कथाओं के नगरों जैसा ही आकर्षक होगा। राजधानी रायपुर के निकट स्थित इस गांव के प्राचीन कौशल्या मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए, पूरे परिसर के सौंदर्यीकरण की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी राम वन गमन पथ विकास परियोजना में शामिल चंदखुरी में यह पूरा कार्य 15 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से किया जाएगा।  

अधिकारियों ने बताया कि योजना के मुताबिक चंदखुरी में मंदिर के सौंदर्यीकरण तथा परिसर विकास का कार्य दो चरणों में कार्य पूरा किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 29 जुलाई को चंदखुरी प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना की

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते 29 जुलाई को परिवार के सदस्यों के साथ चंदखुरी पहुंचकर प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। इस दौरान उन्होंने मंदिर के विस्तार और परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए तैयार परियोजना की जानकारी ली थी। बघेल ने निर्देश दिया था कि मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए यहां आने वाले श्रद्धालुओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए।
 
अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही बलौदाबाजार जिले के तुरतुरिया में वाल्मिकी आश्रम तथा उसके आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यह प्राकृतिक दृश्यों से भरा एक मनोरम स्थान है, जो पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

तुरतुरिया को ईको टुरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित करने की योजना

उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने अपने वनवासकाल के दौरान कुछ समय तुरतुरिया के जंगल में भी बिताए थे। ऐसी भी मान्यता है कि लव-कुश का जन्म इसी आश्रम में हुआ था। तुरतुरिया को ईको टुरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित करने की योजना है। 

अधिकारियों ने बताया कि तुरतुरिया की ही तरह शिवरीनारायण भी एक सुंदर जगह है। जांजगीर-चांपा जिले में महानदी, जोंक और शिवनाथ नदियों के संगम पर स्थित धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का यह स्थान रामकथा से संबंधित होने के साथ-साथ भगवान जगन्नाथ से भी संबंधित है। छत्तीसगढ़ शासन ने शिवरीनारायण के भी सौंदर्यीकरण और विकास की कार्ययोजना तैयार की है। यहां भी पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
 
137.45 करोड़ रुपए की परियोजना के पहले चरण में नौ स्थानों का विकास होगा

उन्होंने बताया कि रायपुर जिले के चंदखुरी की तरह तुरतुरिया और शिवरीनारायण भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी राम वन गमन पथ परियोजना में शामिल हैं। 137.45 करोड़ रुपए की इस परियोजना के पहले चरण में नौ स्थानों को विकास और सौंदर्यीकरण के लिए चिन्हित किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि लंका जाने से पहले जिस तरह रामेश्वरम् में भगवान श्रीराम ने शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना की थी, उसी तरह उत्तर से दक्षिण भारत में प्रवेश से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ के रामपाल नाम की जगह में भी शिवलिंग स्थापित कर आराधना की थी। रामपाल बस्तर जिले में स्थित है, जहां प्रभु राम द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी विद्यमान है।

75 ऐसे स्थानों की पहचान की है, जहां वनवास के दौरान राम ठहरे थे

उन्होंने बताया कि दक्षिण प्रवेश से पूर्व प्रभु राम ने रामपाल के बाद सुकमा जिले के रामाराम में भूदेवी की अराधना की थी। छत्तीसगढ़ शासन ने अब दोनों स्थानों को भी अपने नये पर्यटन सर्किट में शामिल कर उनके सौंदर्यीकरण और विकास की योजना तैयार कर ली है।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य में कुल 75 ऐसे स्थानों की पहचान की गई है, जहां अपने वनवास के दौरान भगवान राम या तो ठहरे थे, अथवा जहां से वे गुजरे थे।

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