Google Image | प्रियंका गांधी
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रियंका गांधी ने 5 अगस्त को अयोध्या में होने जा रहे श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के भूमि पूजन पर मंगलवार की दोपहर एक बयान जारी किया है। जिसमें प्रियंका गांधी ने मंदिर का निर्माण शुरू होने पर देश के लोगों को बधाई दी है। प्रियंका गांधी ने अपने वक्तव्य में बाकायदा राम और उनके अक्ष को व्यक्त किया है। प्रियंका गांधी की ओर से यह वक्तव्य कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस वार्ता के दौरान पढ़कर सुनाया। इसके कुछ देर बाद ही प्रियंका गांधी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह वक्तव्य जारी किया गया है।
प्रियंका गांधी ने अपने वक्तव्य में लिखा, "दुनिया और भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी संस्कृति और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाश पुंज की तरह आलोकित हैं। भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्य परायणता, त्याग, उदारता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक राम कथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह ही राम कथा हरि कथा अनंता है।
प्रियंका गांधी ने आगे लिखा है, "युग युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम शबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एसुत्तछन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं। गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं, जो रब है वही राम है।"
प्रियंका गांधी ने लिखा, "राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राम को "निर्बल का बल" कहते हैं। तो महाप्राण निराला "वह एक और मन रहा राम का जो न थका" की कालजई पंक्तियों से भगवान राम को "शक्ति की मौलिक कल्पना" कहते हैं। राम साहस हैं। राम संगम हैं। राम संयम हैं। राम सहयोगी हैं। राम सबके हैं। भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। इसलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।" वे आगे लिखती हैं, "आगामी 5 अगस्त 2020 को रामलला के मंदिर के भूमि पूजन का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान राम की कृपा से यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने।"