नोएडा और ग्रेटर नोएडा के रियल एस्टेट सेक्टर को 4 लाख श्रमिकों की जरूरत, नहीं मिले तो...

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के रियल एस्टेट सेक्टर को 4 लाख श्रमिकों की जरूरत, नहीं मिले तो...

नोएडा और ग्रेटर नोएडा के रियल एस्टेट सेक्टर को 4 लाख श्रमिकों की जरूरत, नहीं मिले तो...

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

लॉकडाउन के चलते उत्तर प्रदेश में काम कर रहे दूसरे राज्यों के प्रवासी श्रमिक अपने घर वापस लौट रहे हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश के ऐसे श्रमिक वापस आ रहे हैं, जो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में काम कर रहे थे। अब राज्य सरकार ने फैसला लिया है की दूसरे राज्यों से वापस लौटकर आ रहे कामगारों को काम उपलब्ध करवाया जाए। साथ ही सरकार ने यह भी पाबंदी लगा दी है कि दूसरी राज्य सरकारें यूपी से अनुमति लिए बिना यहां के श्रमिकों को काम नहीं देंगी। ऐसे में नौकरी के अवसरों और दावेदारों के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। 

दूसरी ओर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और गाजियाबाद में रियल एस्टेट सेक्टर मजदूरों के अभाव में काम शुरू नहीं कर पा रहा है। बिल्डरों का अनुमान है कि अकेले नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में ही काम को पूरी रफ्तार से शुरू करने के लिए करीब 4 लाख मजदूरों की आवश्यकता है। ऐसे में रियल एस्टेट सेक्टर की संस्था नरेडको ने सरकार को प्रस्ताव दिया है कि उसके सदस्य बिल्डर ढाई लाख मजदूरों को काम देने के लिए तैयार हैं।

सीएम को पत्र लिखकर नरेडको ने प्रस्ताव दिया
नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) की यूपी इकाई ने कहा है कि वह नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए 2.5 लाख श्रमिकों को नियुक्त कर सकती है। नरेडको की यूपी इकाई के अध्यक्ष आरके अरोड़ा ने कहा, "हम नोएडा और ग्रेटर नोएडा में इस समय कम से कम 2.5 लाख श्रमिकों को काम पर लगाने के लिए तैयार हैं।"

रोजगार और अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने में मदद मिलेगी
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में साढ़े चार लाख श्रमिकों से अधिक की जरूरत है। इससे दो मोर्चों पर मदद मिल सकती है- अर्थव्यवस्था और रोजगार। 22 मई को यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अब तक 18.24 प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश लौट आए हैं।

नरेडको ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। जिसमें सरकार से एनसीआर में काम शुरू करने के लिए रियल एस्टेट क्षेत्र के पुनरुद्धार और हालिया स्थिति को मजबूत करने का आग्रह किया है। रुपये की तरलता की कमी है। बेतहाशा घर बने पड़े हैं। मांग शून्य है। ऐसे में कई परियोजनाएं धीमी हो गई हैं। कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स एसोसिएशन की एनसीआर इकाई के अध्यक्ष पंकज बजाज ने कहा, "धीरे-धीरे राज्य में लौटने वाले अधिकांश श्रमिक पूर्वी यूपी में चले गए हैं। एनसीआर में मजदूरों की मांग में गिरावट आई है।"

वापस लौट रहे सभी मजदूर रियल एस्टेट में काम नहीं कर सकते
सुधार होना चाहिए, इस पर रियल एस्टेट सेक्टर के लोगों ने जोर दिया है। क्रेडाई की वेस्टर्न यूपी इकाई के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा, 'जब रियल एस्टेट सेक्टर में सरकार के दृष्टिकोण में वास्तविक बदलाव आएगा तो चीजें बेहतर होंगी। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिस पर 200 उद्योग निर्भर हैं। एक बार नीति संशोधन हो जाने के बाद चीजें अपने आप ही बढ़ने लगेंगी।" हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि श्रमिकों को फिर से वापस लाना उतना आसान नहीं हो सकता है, जितना कोई मान सकता है। 

मोदी ने कहा, "उत्तर प्रदेश के श्रमिकों में बड़ी संख्या में कारखाने के श्रमिक और हस्तशिल्प उद्योग के श्रमिक शामिल हैं। निर्माण श्रमिक आमतौर पर बिहार और बंगाल के होते हैं। इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि जो श्रमिक तेजी से यूपी वापस लौट रहे हैं, वे निर्माण कार्य कर पाएंगे।"

घरों की डिलीवरी अब एक साल आगे बढ़ेगी
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लगभग एक लाख निर्माणाधीन फ्लैट हैं। उन्हें दिसंबर 2020 तक पूरा करके खरीदारों को दिया जाना था, लेकिन 2021 के अंत से पहले अब किसी घर के डिलीवर होने की संभावना नहीं है। केंद्र सरकार ने बिल्डरों को घर पूरे करने की समय सीमा पर छह महीने का विस्तार दिया है, जिसके दौरान कोई अतिरिक्त जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।

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