सूचना का अधिकार पारदर्शी और सुसंगत कार्यशैली के लिए बेहद जरूरी है – राजीव माथुर

सूचना का अधिकार पारदर्शी और सुसंगत कार्यशैली के लिए बेहद जरूरी है – राजीव माथुर

सूचना का अधिकार पारदर्शी और सुसंगत कार्यशैली के लिए बेहद जरूरी है – राजीव माथुर

Google Image | Former Chief Information Commissioner of India - Rajiv Mathur

सूचना काअधिकार (आरटीआई), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से उत्पन्न हुआ है। अनुच्छेद 19 (1) ‘ए’ इसका आधार है। आरटीआई के तहत जो केन्द्रीय सूचना अधिकारी नियुक्त होते हैं उनका प्रमुख कार्य आरटीआई तंत्र को सुचारु रूप से संचालित करते रहना है। केन्द्रीय सूचना आयुक्त के पास आरटीआई से संबंधित किसी भी विवाद के निपटारे का अधिकार होता है। पर अमान्य होने की स्थिति में उसके निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। इस लिए आरटीआई एक्ट में न्यायालय की महत्वपूर्ण भूमिका है। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त राजीव माथुर एक कार्यक्रम ये जानकारी दे रहे थे। कार्यक्रम का विषय सूचना का अधिकार और इसमें न्यायालय की भूमिका के बारे में था।


कार्यक्रम का आयोजन आईएमएस लॉ कॉलेज नोएडा ने किया था। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त राजीव माथुर इसी कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए थे। कार्यक्रम में आईएमएस की डीन प्रो. (डॉ.) मंजू गुप्ता एवं डीन लॉ प्रो. (डॉ.) के एस भाटी ने भी छात्रों को सूचना का अधिकार और सरकारी कार्यालयों में इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। प्रो.(डॉ.) के एस भाटी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आईएमएस लॉ कॉलेज का उद्देश्य भविष्य के अधिवक्ताओं को आत्मविश्वासी, जिम्मेदार नागरिक तथा सामाजिक सरोकारों के लिए अग्रिम पंक्ति में रखना है। इस कार्यक्रम का मकसद छात्रों को आरटीआईएक्ट से जुड़ी सभी जानकारी मुहैया कराना था।

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