Google Image | Noida School
उत्तर प्रदेश के नोएडा में निजी स्कूल जहां एक ओर कक्षा नौ से 12वीं तक के छात्रों को स्कूलों में पढ़ने के वास्ते वापस बुलाने की जद्दोहद में लगे हुए हैं। तो वहीं दूसरी ओर अभिभावक कोरोना वायरस महामारी के कारण बच्चों को स्कूलों में भेजने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, निजी स्कूलों में मंगलवार को महज 14 प्रतिशत बच्चे स्कूल आए, वहीं नोएडा और ग्रेटर नोएडा के सरकारी और वित्त पोषित स्कूलों में 39 प्रतिशत छात्रों की उपस्थिति रही।
जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) नीरज कुमार पांडे ने बताया कि महामारी के कारण करीब सात माह तक स्कूल बंद रहने के बाद राज्य सरकार ने 19 अक्टूबर से कक्षा नौ से 12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूल पुन: खोलने की अनुमति दी थी। ऑनलाइन कक्षाएं तो ठीक हैं, लेकिन उनमें वो बात नहीं होती जो कक्षाओं में मौजूद रहने पर होती है। एक बार वक्त गुजर जाने पर शिक्षा को हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती है।
साथ ही उनकी चिंताएं खास तौर पर 12वीं के छात्रों के लिए हैं। जिन्हें स्कूल के बाद कॉलेज में प्रवेश के लिए परीक्षाओं का सामना करना पड़ेगा। निजी स्कूलों और अभिभावकों के बीच अभी और विश्वास बहाली तथा जागरुकता लाने वाले कदम उठाए जाने की जरूरत है। जिले में कुल 153 स्कूल हैं, जिनमें से 53 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त हैं, जबकि शेष स्कूल स्व वित्तपोषित हैं। एमिटी इंटरनेशनल स्कूल की प्राचार्य रेणु सिंह ने कहा कि अब तक अभिभावकों का रुख उत्साहजनक नहीं रहा है। उन्होंने कहा, "ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह फिलहाल सुरक्षित नहीं है।