डब्लूएचओ की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा,  सन 2011 से 2018 के दौरान 172 देशों में 1483 महमारी रोगों का पता चला

डब्लूएचओ की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, सन 2011 से 2018 के दौरान 172 देशों में 1483 महमारी रोगों का पता चला

डब्लूएचओ की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा,  सन 2011 से 2018 के दौरान 172 देशों में 1483 महमारी रोगों का पता चला

Google Image | World Environment Health Day 2020

26 सितंबर को विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस है। स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है। पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिए एक मजबूत और दुरदर्शी नजरिया अपनाना होगा। ऐसा आपसी सहयोग, मेलजोल, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण के माध्यम से किया जा सकता है। इसके लिए एकीकृत कृषि को बढावा देना होगा। इसमें आधुनिक विज्ञान एंव पारंपरिक विज्ञान दोनों को शामिल करना होगा। मानव, जीवों और मशीन के बीच सामजस्य को विकसित करना होगा। सी अचलेंद्र रेड्डी एक कार्यक्रम में पर्यावरण को स्वस्थ रखने के बारे में जानकारी दे रहे थे। 


कार्यक्रम का थीम विश्व पर्यावरण स्वास्थ दिवस 2020 था। कार्यक्रम का आयोजन एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंटल टॉक्सीकोलॉजी एंड मैनेजमेंट और एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंटल सांइसेस ने किया था। कार्यक्रम का विषय पर्यावरणीय स्वास्थय - महामारी रोगों से बचाव के संर्दभ में सार्वजनिक परिचर्चा रखा गया था। इसका मकसद आम लोगों को पर्यावरण संरक्षा के लिए जागरूक करना था। हैदराबाद के एडिमिनिस्ट्रेटिव स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया के सेंटर फॉर इन्नोवेशन इन पब्लिक सिस्टम के निदेशक सी अचलेंद्रा रेड्डी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिक डॉ प्रबीर जी दास्तीदार ने कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक किया। 


इसके अलावा डाउन टू अर्थ मैगजीन की एसोसिएट एडिटर सुश्री विभा वार्ष्णेय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट के सेंटर फॉर एक्सिलेंस ऑन क्लाइमेंट रेसिलियेंस डिविजन के प्रमुख डॉ अनिल गुप्ता, इकोनॉमिक टाइम्स की सहायक एडिटर सुश्री उर्मी गोस्वामी ने भी अपने अनुभव साझा किए। एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार चौहान और वॉइस चांसलर - शोध एवं विकास डॉ तनु जिंदल ने सभी सम्मानित अतिथियों का अभिवादन किया।


डाउन टू अर्थ मैगजीन की सहायक एडिटर सुश्री विभा वार्ष्णेय ने बताया कि पर्यावरण के क्षरण से संचारी एवं गैर संचारी रोगों में इजाफा हुआ है। कोविड-19 महामारी को भी पर्यावरण से जोड़ कर देखा जा रहा है। उन्होनें जूनोटिक रोगों के संर्दभ में बताते हुए कहा कि डब्लूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने सन 2011 से 2018 के दौरान करीब 172 देशों में 1483 महमारी रोगों को पता लगाया है। तकरीबन 60 फीसदी महामारी जूनोटिक हैं। जबकि 72 प्रतिशत वन्यजीवों से उत्पन्न होती है। फरवरी 2020 में उड़ीसा के केंडुगुडा गांव के 15 व्यक्तियों की मृत्यु, सवाई माधोपुर के चान गांव में 1053 बुखार के केस जैसे कई रहस्मय रोग हैं, जिनके स्रोत नहीं पता चल पाए। अनुमान है कि यह भी पर्यावरण की वजह से घटित हो रहा है।
 

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