गाजियाबाद में किसानों का हल्ला बोल, आवास विकास दफ्तर पर जड़ा ताला, ये हैं मांग

गाजियाबाद में किसानों का हल्ला बोल, आवास विकास दफ्तर पर जड़ा ताला, ये हैं मांग

गाजियाबाद में किसानों का हल्ला बोल, आवास विकास दफ्तर पर जड़ा ताला, ये हैं मांग

Tricity Today | गाजियाबाद में किसानों का हल्ला बोल

Ghaziabad में Awas Vikas Parishad के खिलाफ किसानों ने हल्ला बोल दिया है। सोमवार की सुबह सैकड़ों की संख्या में किसान लोनी के पास मंडोला गांव में आवास विकास परिषद के कार्यालय पर पहुंचे। किसानों ने जोरदार नारेबाजी की। आवास विकास परिषद के दफ्तर में घुसने का प्रयास किया। किसानों के प्रदर्शन और धरने की सूचना मिलने पर जिला प्रशासन व पुलिस ने भारी फोर्स तैनात कर रखा था। पुलिस ने किसानों को कार्यालय में घुसने से रोक दिया। इसके बाद किसानों ने मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया और वहीं धरना दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि आवास विकास परिषद ने उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं दिया है। जिस नीति के तहत उन्हें मुआवजा दिया गया है, वह उन्हें स्वीकार नहीं है। नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए।

लोनी के मंडोला गांव में किसानों का मुआवजा वृद्धि का आंदोलन कई वर्षों से चल रहा है। अब किसानों ने एकजुट होकर यह आंदोलन तेज कर दिया है। किसान सर्किल रेट के सापेक्ष 4 गुना ज्यादा मुआवजे की मांग कर रहे हैं। यह मांग लेकर किसानों ने सोमवार की सुबह मंडोला में बने आवास विकास परिषद के दफ्तर को घेर लिया। कार्यालय पर तालाबंदी कर दी। किसानों के धरना प्रदर्शन की सूचना पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स आवास विकास परिषद के कार्यालय पर तैनात किया गया है। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों और किसानों के बीच तीखी नोकझोंक हुई है। हालांकि, हालात काबू में हैं। 

क्या है पूरा मामला

वर्ष 2009-10 में मंडौला, नानू और पंचलोक समेत करीब 10 गांवों के हजारों किसानों ने करार करके 1,100 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से अपनी जमीन उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को दी थी। आवास विकास परिषद ने इस जमीन पर कब्जा ले लिया और अपनी आवासीय योजनाएं लानी शुरू कर दी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की दूसरी सरकार ने वर्ष 2016 में ठीक लोकसभा चुनाव से पहले नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू कर दिया। नए कानून को लागू करने का दायरा वर्ष 2013 से रखा गया था। इसके बाद किसान नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक सर्किल रेट से चार गुना दरों पर मुआवजा मांग रहे हैं। पिछली सरकार और अब मौजूदा सरकार की ओर से किसानों को आश्वासन दिया जाता है। आश्वासन पाकर किसान अपना आंदोलन स्थगित कर देते हैं और एक बार फिर उनकी बात आई गई हो जाती है। इसी तरह पिछले कई वर्षों से बार-बार यह आंदोलन चल रहा है।

अब क्या कहते हैं किसान 

इस किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोगों में शामिल नीरज त्यागी का कहना है कि जब वर्ष 2009-10 में हम लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था, उस वक्त देश में भूमि अधिग्रहण अधिनियम को बदलने की प्रक्रिया चल रही थी। हम लोगों ने उस समय के जिलाधिकारी, आवास विकास परिषद के अफसरों और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों से बातचीत की थी। उन लोगों ने हमें आश्वासन दिया था कि जब नया कानून लागू हो जाएगा तो उसके मुताबिक किसानों को लाभ देने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। आगे चलकर नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो गया। नीरज त्यागी का कहना है कि नए कानून के मुताबिक किसानों को उनकी जमीन के सर्किल रेट से 4 गुना मुआवजा सरकार को देना चाहिए। नया कानून लागू होने के तुरंत बाद हम लोगों ने बढ़ा हुआ मुआवजा मांगना शुरू कर दिया था। 

वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की पिछली समाजवादी पार्टी की सरकार और अब मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार के दौरान अफसरों ने हमें लगातार आश्वासन दिए हैं। लेकिन अभी तक इस पूरे मामले का कोई समाधान नहीं किया गया है। इस बार हम लोग पूरी तरह आर-पार की लड़ाई लड़ने आए हैं। अगर हमारी मांगे नहीं मानी गई तो हमें मजबूर होकर उग्र आंदोलन करना पड़ेगा।

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