सुप्रीम कोर्ट नोएडा प्रशासन पर बरसा, यूपी से मांगा दो सप्ताह में जवाब

सुप्रीम कोर्ट नोएडा प्रशासन पर बरसा, यूपी से मांगा दो सप्ताह में जवाब

सुप्रीम कोर्ट नोएडा प्रशासन पर बरसा, यूपी से मांगा दो सप्ताह में जवाब

Tricity Today | Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से राज्य में पालन किए जा रहे संगरोध नियमों पर दो सप्ताह में विस्तृत जवाब मांगा है। gangaन्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नोएडा प्रशासन को केवल केंद्र सरकार  के अधिसूचित संगरोध दिशा निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से राज्य में पालन किए जा रहे संगरोध नियमों पर दो सप्ताह में विस्तृत जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की खंडपीठ ने राज्य सरकार को कहा कि एक ओर गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन अपने नियम बना रहा है और दूसरी ओर आप लोग डिनायल मोड में हैं। अदालत ने कहा, "गैर कानूनी तरीके से लोगों को संगरोध में मत डालो, इससे आपको एक बड़ी समस्या होगी। नोएडा में यह हो रहा है और यूपी सरकार इनकार कर रही है।"

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने भी यह जानने की कोशिश की कि क्या नोएडा संवैधानिक रूप से कोविड-19 के असिम्प्टोमैटिक व्यक्तियों को भी संक्रमितों की तरह इंस्टिट्यूशनल क्वारंटाइन कर रहा है।

शीर्ष अदालत हरियाणा, दिल्ली और यूपी के बीच सीमाओं को खोलने के लिए दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायमूर्ति भूषण ने अधिवक्ता गरिमा प्रसाद से पूछा कि क्या राज्य ने अपनी सीमाएं खोल दी हैं। इस पर यूपी के स्थायी अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा, “नहीं, हम अभी भी सीमा का नियमन कर रहे हैं, लेकिन इसे आवश्यक सेवाओं के लिए खुला रखा है। राष्ट्रीय राजमार्गों को अब खुला रखा गया है।"

मामले में याचिकाकर्ता के वकील अमन भल्ला ने कहा कि इन सीमा नियमों ने मुसीबतों का रास्ता खोल दिया है। 12 जून को सुनवाई की पिछली तारीख पर अदालत ने कहा था, "यदि आप नोएडा और गाजियाबाद में असिम्प्टोमैटिक व्यक्तियों को संस्थागत संगरोध करते हैं और अन्य ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो यह अराजकता पैदा कर सकता है। राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के विपरीत दिशानिर्देश तैयार करना गलत है।"

4 जून को अदालत ने दिल्ली, हरियाणा और यूपी के राज्य अधिकारियों को बैठक बुलाने और "एक नीति, एक रास्ता और एक पोर्टल" के साथ आने का निर्देश दिया था, जो एनसीआर में मुक्त आवागमन की व्यवस्था करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बुधवार को फिर सुनवाई की। न्यायालय नोएडा प्रशासन पर फिर बरसा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समस्या से इनकार ना करें। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल के बिस्तर के लिए धक्के खाने वाली एक गर्भवती महिला की मौत पर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता से हस्तक्षेप करने के लिए कहा है। कोर्ट ने नोएडा प्रशासन से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि नोएडा में क्वारंटाइन के अलग दिशानिर्देश न हों।

अब अदालत ने यूपी सरकार को दो सप्ताह में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एसिम्प्टोमैटिक संक्रमित लोगों को होम क्वारंटाइन कराने के बजाय संस्थागत क्वारंटाइन कराए जाने को लेकर नोएडा के जिलाधिकारी के आदेश की आलोचना की है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के विपरीत दिशानिर्देश नहीं हो सकते हैं। ऐसी स्थितियां परेशानी पैदा कर सकती हैं। अदालत ने यूपी सरकार से स्पष्टीकरण तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा डीएम अपने आदेश की समीक्षा करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम आदेश पारित करके यह स्पष्ट कर सकते हैं कि नोएडा डीएम का आदेश उचित नहीं है और राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन नही। किया है।

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