मेरठ-सहारनपुर स्नातक सीट पर अभी तक त्रिकोणीय मुकाबला, उम्मीदवारों ने झोंकी ताकत

मेरठ-सहारनपुर स्नातक सीट पर अभी तक त्रिकोणीय मुकाबला, उम्मीदवारों ने झोंकी ताकत

मेरठ-सहारनपुर स्नातक सीट पर अभी तक त्रिकोणीय मुकाबला, उम्मीदवारों ने झोंकी ताकत

Tricity Today | Hemsingh Pundir, Archana Sharma, Dinesh Goyal,


मेरठ-सहारनपुर स्नातक एमएलसी सीट के लिए चल रहे चुनाव में इस बार रोचक मुकाबला देखने के लिए मिल रहा है। अभी तक चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष नजर आ रहा है। मौजूदा विधान परिषद सदस्य हेम सिंह पुंडीर के सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश गोयल और अटेवा समर्थित उम्मीदवार अर्चना शर्मा मजबूती के साथ खड़ी हैं। चुनाव प्रचार अंतिम दौर में पहुंच चुका है। मतदान के बीच केवल 3 दिन बाकी हैं। एक दिसंबर को मतदान कराया जाएगा। जिसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। दूसरी ओर चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में पहुंचते ही उम्मीदवारों ने पूरी ताकत झोंक दी है।

सबसे पहले अगर मौजूदा विधान परिषद सदस्य हेम सिंह पुंडीर की बात की जाए तो वह तमाम परंतुकों के बावजूद मजबूत बने हुए हैं। उनके पास शिक्षक संघ का बेहद मजबूत और पुराना संगठन है। चिर-परिचित रणनीति के तहत हेम सिंह पुंडीर अपने राजनीतिक गुरु और शिक्षक सीट से लगातार आठ बार विधान परिषद के सदस्य ओम प्रकाश शर्मा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और नवोदित उम्मीदवारों से टक्कर मिलने की पूर्व आभासी संभावना के चलते हेम सिंह पुंडीर और उनके संगठन ने भी अपने दबदबे वाले जिलों में भरपूर स्नातक वोट बनवाई हैं। पुराने मतदाताओं के साथ-साथ हेम सिंह पुंडीर ने अपने तंत्र में इस बार बड़ी संख्या में नए ग्रैजुएट वोटर अपने साथ जोड़े हैं। इस बार के चुनाव को यह जोड़ी थोड़ा कठिन जरूर मान रही है, लेकिन जीत को लेकर उनका कहना है कि पूरी तरह आश्वस्त हैं। इतना ही नहीं जहां भारतीय जनता पार्टी वोटिंग परसेंटेज को बढ़ाकर 60% के पार ले जाना चाहती है, तो दूसरी ओर शिक्षक संघ और हेम सिंह पुंडीर समर्थक भी वोटिंग परसेंटेज को ज्यादा से ज्यादा ऊपर ले जाने का गणित भिड़ा रहे हैं। मतलब, शिक्षक दल भारतीय जनता पार्टी को उसके ही रणनीति और हथियार से जवाब देगी।

भारतीय जनता पार्टी के पूरे अमले ने वोटरों पर ताकत झोंकी

इस बार के चुनाव में हेम सिंह पुंडीर के सामने भारतीय जनता पार्टी ने गाजियाबाद के निवासी और कारोबारी दिनेश गोयल को मैदान में उतारा है। दिनेश गोयल बेहद साफ-सुथरी छवि के नेता और कारोबारी हैं। वह गाजियाबाद के नामचीन शिक्षण संस्थान आरकेजीआईआईटीके संस्थापक और चेयरमैन भी हैं। दिनेश कुमार गोयल को भारतीय जनता पार्टी के संगठन और आरएसएस का पसंदीदा उम्मीदवार बताया जा रहा है। उनके लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पूरी बीजेपी और जनप्रतिनिधियों ने ताकत झोंक रखी है। मेरठ और सहारनपुर मंडल के सभी 9 जिलों में प्रतिदिन कई-कई बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। गौतमबुद्ध नगर में स्नातक चुनाव के संयोजक प्रोफेसर सुनील शर्मा का कहना है, "पार्टी पिछले 2 वर्षों से इस चुनाव की तैयारी में लगी थी। हमने व्यापक अभियान चलाकर इस बार रिकॉर्ड मोटर बनाए हैं। प्रत्येक वोटर से हमने सीधा संपर्क किया है। उन्हें अपना एजेंडा बताया है।" प्रोफेसर सुनील शर्मा का दावा है कि दिनेश गोयल उत्तर प्रदेश में फिलहाल 7 सीटों के इस चुनाव में सबसे बड़ी जीत दर्ज करने जा रहे हैं। आपको बता दें कि चुनावी प्रबंधन में भारतीय जनता पार्टी का फिलहाल कोई प्रतिद्वंदी नहीं है। लिहाजा, इस चुनाव में भाजपा मौजूदा विधान परिषद सदस्य हेम सिंह पुंडीर को कड़ी टक्कर दे रही है।

इकलौती महिला, शिक्षामित्र और अच्छा एजेंडा अर्चना शर्मा के लिए फायदेमंद

इस चुनाव में बुलंदशहर के अनूपशहर कस्बे की रहने वाली इकलौती महिला उम्मीदवार अर्चना शर्मा आश्चर्यजनक रूप से उभरकर सामने आई हैं। अर्चना शर्मा ने चुनावी भागदौड़ और रणनीति के बूते मुख्य दलों और उम्मीदवारों को परेशान कर रखा है। सबसे बड़ी बात यह है कि अर्चना शर्मा इस चुनाव में इकलौती मजबूत महिला उम्मीदवार हैं। वह शिक्षा मित्र हैं। शिक्षामित्रों का संगठन उनके साथ खड़ा हुआ है। इसके अलावा शिक्षकों के संगठन अटेवा ने भी उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया है। यह संगठन शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलनरत है। लिहाजा, सांगठनिक तौर पर अर्चना शर्मा को शिक्षामित्रों और ऑल टीचर एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) का पूरा सहयोग मिल रहा है। अर्चना शर्मा के चुनाव का सहारनपुर में संयोजन कर रहे मनमोहन शर्मा का कहना है, "अर्चना शर्मा एकमात्र मजबूत महिला उम्मीदवार हैं। उनका सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि वह एकमात्र उम्मीदवार हैं, जिनके पास एक मजबूत एजेंडा है। वह सरकारी और गैर सरकारी शिक्षकों की बात कर रही हैं। साथ ही बेरोजगार युवकों और शिक्षामित्रों के लिए भी संघर्षरत हैं। वह एक मुकम्मल इलेक्शन मेनिफेस्टो के साथ मैदान में हैं। हमारा पूरा संगठन 9 जिलों में अर्चना शर्मा के साथ खड़ा है।" अर्चना शर्मा बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़ और मेरठ में बेहद मजबूती के साथ उभरकर सामने आई हैं।

कुल मिलाकर तीनों ही उम्मीदवार चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में पूरी ताकत के साथ वोटरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। हेम सिंह पुंडीर के पास पुराना और मजबूत नेटवर्क है। भारतीय जनता पार्टी के पास अत्याधुनिक तकनीक और विशाल संगठन खड़ा हुआ है। वहीं, अर्चना शर्मा अपने बहुमुखी चुनावी एजेंडा, युवा टीम, शिक्षामित्रों और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे शिक्षकों के साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं। तीन दिन बाद एक दिसंबर को इनके भाग्य का फैसला वोटर करेंगे। परिणाम आएगा तो पता चलेगा कि वोटरों ने किस उम्मीदवार को पसंद किया है।

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