Google Image | राजा मानसिंह
बहुचर्चित राजा मानसिंह के फर्जी एनकाउंटर कांड में आखिरकार सजा का ऐलान हो गया है। लंबे अरसे तक चले इस मुकदमे में मंगलवार को अदालत ने 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दे दिया था। सजा सुनाने के लिए बुधवार की तारीख मुकर्रर की थी। अब बुधवार की दोपहर अदालत ने सभी 11 दोषी पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
पुलिस एनकाउंटर में राजा मान सिंह सहित 3 लोगों की मौत हुई थी। अदालत ने आईपीसी की धारा 148 में 2 वर्ष का कारावास और 1 हज़ार रुपये जुर्माना सुनाया है। आईपीसी की धारा 302 और 149 में आजन्म कारावास और 10 हज़ार जुर्माना लगाया है। अदालत के फैसले पर राजा मानसिंह के परिजनों ने खुशी जाहिर की है।
न्याय देर से ही मिला पर न्याय मिला: दीपा
राजा मानसिंह के परिजनों ने अदालत के फैसले पर खुशी जाहिर की है। उनकी बेटी दीपा सिंह ने फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर की उनका कहना है कि न्याय बहुत देर से मिला है, लेकिन मिला है। उन्हें इस बात की खुशी है कि राजा मानसिंह की हत्या करने वाले 11 पुलिसकर्मियों को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। दूसरी ओर दोषी करार दिए गए पुलिसकर्मियों के वकील ने कहा कि इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
इस मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत ने राजा मानसिंह हत्याकांड के 14 आरोपियों में से 11 को दोषी करार दिया है। मंगलवार को न्यायालय ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया था। सभी 11 दोषियों की सजा पर फैसला बुधवार को सुनाया गया है। राजस्थान के इस बहुचर्चित 35 साल पुराने मुकदमे की सुनवाई के लिए राजा मानसिंह की बेटी दीपा सिंह और उनके पति विजय सिंह भी मंगलवार को मथुरा कोर्ट पहुंचे थे।
यह है पूरा मामला
बात 21 फरवरी 1985 की है। भरतपुर के राजा मान सिंह और दो अन्य लोगों की भरतपुर में पुलिस ने गोली मारकर हत्या की थी। इस हत्याकांड में तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह और अन्य पुलिसकर्मियों को नामजद किया गया था। दूसरी ओर पुलिस ने इस मामले में मुठभेड़ की रिपोर्ट दर्ज की थी। यह मामला तूल पकड़ गया था। अंततः केस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। पूरे मामले की सीबीआई जांच हुई और चार्जशीट सीबीआई ने जयपुर न्यायालय में दाखिल की। राज परिवार की मांग पर इस मामले की सुनवाई राजस्थान से बाहर करने के लिए उत्तर प्रदेश की मथुरा अदालत भेज दी है। साल 1990 से मथुरा कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चल रही है।
राजा मानसिंह ने राजस्थान के सीएम का हेलीकॉप्टर तोड़ा था
चुनाव चल रहे थे। 20 फरवरी 1985 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर जनसभा को सम्बोधित करने भरतपुर में आए थे। राजा मान सिंह ने मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का हेलीकॉप्टर अपनी जीप से टक्कर मारकर तोड़ दिया था। चुनावी माहौल के बीच मंच भी तोड़ दिया गया था। इस मामले को लेकर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। राजा मानसिंह खुद डीग विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। वह अगले दिन 21 फरवरी 1985 को डीग विधानसभा क्षेत्र में जीप लेकर चुनाव प्रचार के लिए निकले थे। वह लाल कुंडा के चुनाव कार्यालय से डीग थाने के सामने से निकले थे।
राजा मानसिंह को घेरकर पुलिस ने फायरिंग की
उस समय पुलिस ने राजा मानसिंह को घेरकर फायरिंग की थी। जिसमें राजा मान सिंह के साथ ही सुमेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई थी। इस वारदात के बाद डीग थाने के एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने राजा मान सिंह के दामाद विजय सिंह सिरोही के खिलाफ 21 फरवरी को धारा 307 का मामला दर्ज कराया था। विजय सिंह को उसी रात जमानत मिल गई और 22 फरवरी को राजा मान सिंह का दाह संस्कार महल के अंदर किया गया था।
डीएसपी और इंस्पेक्टर समेत 15 पुलिसकर्मियों पर दर्ज हुआ था मुकदमा
इसके बाद 23 फरवरी को विजय सिंह ने डीग थाने में राजा मान सिंह और दो अन्य की हत्या करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। इसमें डीएसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत 14 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया था। यह मामला पूरे देश की सुर्खियों में छा गया था। राजस्थान के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में कई मंत्रियों पर भी आरोप लगे थे जिसके चलते इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच सरकार ने सीबीआई के हवाले कर दी थी।
मामले की सुनवाई राजस्थान के बाहर मथुरा की अदालत में करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। तब से इस मामले में अब तक करीब 78 बार गवाही हुई हैं। अब आखिरकार इस मामले में फैसला सुनाया गया है। हालांकि, अब तक तीन अभियुक्तों की मौत हो चुकी है। ज्यादातर की उम्र करीब 80 वर्ष हो चुकी है। सभी पुलिसकर्मी रिटायर हो चुके हैं।