एमिटी विश्वविद्यालय में कृत्रिम बुद्धिमता में नैतिकता एंव कानून विषय पर वेबिनार का आयोजन

एमिटी विश्वविद्यालय में कृत्रिम बुद्धिमता में नैतिकता एंव कानून विषय पर वेबिनार का आयोजन

एमिटी विश्वविद्यालय में कृत्रिम बुद्धिमता में नैतिकता एंव कानून विषय पर वेबिनार का आयोजन

Google Image | एमिटी विश्वविद्यालय

एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा में बुधवार को एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसका मकसद छात्रों में आधुनिकता और तकनीक के साथ-साथ नैतिक एवं कानूनी परिप्रेक्ष्य में इसकी सही व्याख्या करने की क्षमता विकसित करना था। पुलिस, सुरक्षा और आपराधिक न्याय सरदार पटेल विश्वविद्यालय जोधपुर की सहायक प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी पूनिया ने ‘कृत्रिम बुद्धिमता में नैतिकता एंव कानून’ विषय पर छात्रों के साथ अपना ज्ञान साझा किया।

छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. पूनिया ने इस बात पर जोर दिया कि कृत्रिम बुद्धिमता ने विभिन्न क्षेत्रों में काफी गहरी घुपपैठ बना ली है। उनके मुताबिक अक्सर ऐसा देखा गया है कि कृत्रिम बुद्धिमता की वजह से नैतिकता और कानून को क्षति होती है। कृत्रिम बुद्धिमता एक मशीन की क्षमता है जिसको मानव व्यवहार और बुद्धि की नकल कर बनाया गया है। इससे सूचना हासिल करने के लिए तमाम तथ्यों को समाहित करना पड़ता है। हालांकि आधुनिकता की भाग-दौड़ में कृत्रिम बुद्धिमता की जरूरत बहुत ज्यादा है।

उन्होंने जोर दिया कि जब भी हम किसी फैसले में कृत्रिम बुद्धिमता का सहारा लेते हैं तो यह सुनिश्चित कर लें कि हमारे मूल्य इससे प्रभावित न हों। आपराधिक न्याय व्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमता द्वारा भेदभाव को नकार नहीं सकते क्योंकि वो दिए हुए तथ्यों के अनुरूप न्यायिक प्रक्रिया को बढ़ावा देगा और अपराध की परिस्थितियों एंव उद्देश्य पर ध्यान नहीं देगा। कई बार मशीनों का उपयोग करते हुए कृत्रिम बुद्धिमता हमारी निजी जानकारी हासिल कर लेता है जिससे निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है।

डॉ. पूनिया ने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने वाली बड़ी कंपनियों के पास भी ओपेन साफ्टवेयर के लिए कोई खास नीति नहीं है। कृत्रिम बुद्धिमता के क्षेत्र में भावनात्मक चैटिंग मशीन जैसे रेपलिक्का या मेंटल हेल्थ बॉट्स कार्य कर रही हैं जो इंसान की भावनात्मक मदद करती हैं। किंतु इसमें जो जानकारी डाली गई है वो अमेरिकी लोगों के मुताबिक है। इसलिए ये किसी भारतीय की भावनात्मक सहायता करने में असफल रहेगी। वेबिनार के दौरान छात्रों और शिक्षकों ने इससे संबंधित अपनी तमाम शंकाए जाहिर कीं जिनका एक-एक कर निदान किया गया।

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