Tricity Today | पैरंट्स एसोसिएशन की कोषाध्यक्ष साधना त्यागी की हालत बिगड़ी
गाजियाबाद में प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ फीस के मुद्दे को लेकर धरना दे रही महिलाओं में एक बेहोश हो गई हैं। उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी और अन्य महिलाएं पिछले 3 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठी हैं।
पैरंट्स एसोसिएशन की कोषाध्यक्ष साधना त्यागी शुक्रवार की सुबह बेहोश हो गईं। उनका ब्लड प्रेशर गिर गया है। हालत बिगड़ने पर उन्हें नजदीकी एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया गया है। दूसरी ओर अभिभावकों में रोष बढ़ता जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाएंगी, वह धरने पर बने रहेंगे। भूख हड़ताल भी जारी रहेगी। अगर किसी की जान चली गई या कोई अप्रिय घटना हुई तो उसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार होंगे।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जगदीश बिष्ट ने बताया कि 3 दिनों से चल रही भूख हड़ताल पर कई महिलाओं की तबीयत बिगड़ रही है। गर्मी बहुत ज्यादा है और पेरेंट्स एसोसिएशन दिन-रात धरना और भूख हड़ताल कर रही है। शुक्रवार की सुबह पेरेंट्स एसोसिएशन की कोषाध्यक्ष साधना त्यागी की तबीयत बिगड़ गई। वह बेहोश हो गई थीं। उन्हें चक्कर आ रहे थे और उनका रक्तचाप गिर गया था। इसके बाद उन्हें एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है। अब उनकी हालत में सुधार है। जगदीश बिष्ट का कहना है कि जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार उनकी मांग सुनने तक के लिए तैयार नहीं है। पूरा सिस्टम प्राइवेट स्कूलों के दबाव में काम कर रहा है।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीमा त्यागी ने कहा, "तीन महीने पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किया था। ऐसे में सवाल ये उठता है कि उन 3 महीनों की फीस स्कूल क्यों मांग रहे हैं? जब पूरे देशभर में लॉकडाउन लागू था तो स्कूल फीस देने का औचित्य कहां से उठता है। अब स्कूल ऑनलाइन क्लासेज करवा रहे हैं। स्कूल के संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। स्कूलों का खर्च घटकर 25 फ़ीसदी रह गया है। इसके बावजूद स्कूल तमाम मदों की फीस वसूल कर रहे हैं। यह कहां का न्याय है?" वह आगे कहती हैं कि अभिभावक पिछले 4 महीनों से स्कूल फीस घटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
उपाध्यक्ष जगदीश बिष्ट कहते हैं कि सरकार और गाजियाबाद जिला प्रशासन हमारी मांगे क्या मानेंगे, अब तक कोई हमसे बात करने भी यहां नहीं आया है। गाजियाबाद में प्रदेश सरकार के मंत्री हैं। जब डिस्ट्रिक्ट फीस रेगुलेटरी कमिटी का गठन हुआ था तो हमारे मंत्री अतुल गर्ग वह नियमावली बनाने वाली समिति में शामिल थे। अब 3 दिन से यहां भूख हड़ताल चल रही है और मंत्री अतुल गर्ग का कोई अता-पता नहीं है। हम लोगों को यहां से खदेड़ने के लिए बार बार पुलिस भेज दी जाती है। पुलिस हम लोगों से आकर अभद्रता करती है। लेकिन हम लोगों ने साफ कर दिया है कि यहां से अपनी मांगे पूरी करवाए बिना नहीं उठेंगे।
जगदीश बेस्ट बताते हैं कि जब ऋतु महेश्वरी गाजियाबाद की जिला अधिकारी थीं तो उन्होंने सभी प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट करवाया था। बैलेंस शीट की जांच की थी। कोई स्कूल ऐसा नहीं था, जिसके पास 10 करोड़ से लेकर 70-80 करोड रुपए सरप्लस फंड न हो। फीस निर्धारण नियमावली के मुताबिक अभिभावकों, जिला प्रशासन और समिति की सहमति के बिना फीस वृद्धि नहीं की जा सकती है। गाजियाबाद में स्कूलों ने मनमाने ढंग से फीस बढ़ा दी है। जिला प्रशासन को जानकारी तक नहीं दी। जब पूर्व में जिलाधिकारी बैलेंसशीट जांच करके फीस निर्धारित कर चुकी हैं तो अब एक बार फिर जिला प्रशासन क्यों बैलेंस शीट मांग रहा है। दरअसल, इस पूरे मामले को लटकाने के लिए यह सब किया जा रहा है।
अभिभावकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार और गाजियाबाद जिला प्रशासन अभिभावकों की समस्याओं और मांगों पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं हैं। अभिभावक कहते हैं कि फिर घटाई जाए। लॉकडाउन के दौरान की फीस वसूलने की जाए। जब तक मांगे पूरी नहीं की जाएंगी, तब तक यह धरना और भूख हड़ताल लगातार चलती रहेगी।