NASA | Satellite pictures of Delhi NCR from NASA.
नासा (NASA) ने एनसीआर (Delhi NCR) की दो तस्वीर जारी की हैं, जो बताती हैं कि किस रफ्तार से दिल्ली-एनसीआर में आबादी बढ़ रही है। इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization) का आंकलन है कि वर्ष 2050 में एनसीआर दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय क्षेत्र बन जाएगा। इतना ही नहीं केवल दिल्ली शहर की आबादी साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा होगी। देश में केवल मुंबई (Mumbai) दिल्ली से ज्यादा आबादी वाला शहर होगा।
भारत की राजधानी दिल्ली का इलाका दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहे शहरों में से एक है। खेती की जमीन, घास के मैदान और खाली पड़ी जगहों को सड़कों, इमारतों और पार्किंग स्थल में बदला जा रहा है। एनसीआर नए निवासियों की अभूतपूर्व संख्या को आकर्षित कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक भारत में 400 मिलियन (40 करोड़) शहरी आबादी बढ़ जाएगी। तब एनसीआर दुनिया में सबसे बड़ा शहरी आवास होगा।
नासा ने एनसीआर की 30 साल में दो तस्वीर लीं
नासा की और से जारी किए गए ये दोनों फोटो दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में विकास को दर्शाते हैं। इस पूरे क्षेत्र को सामूहिक रूप से दिल्ली-एनसीआर के रूप में जाना जाता है। 5 दिसंबर, 1989 से (ऊपर) से 5 जून, 2018 (नीचे) के बीच हुए विकास को दोनों फोटो दर्शाते हैं। ये पराबैंगनी रंग की छवियां दृश्य और इंफ्रारेड लघु-तरंग के संयोजन का उपयोग करके तैयार की गई हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों का सटीक आंकलन करना आसान होता है। 1989 की छवि को थमैटिक मैपर ने लैंडसैट-5 (बैंड 7,5,3) पर अधिग्रहित किया गया था और 2018 की इमेज को लैंडसेट-8 (बैंड 7,6,4) पर ऑपरेशनल लैंड इमेजर द्वारा अधिग्रहित किया गया था।
पिछले तीन दशकों में बहुत तेजी से बढ़ा एनसीआर
दिल्ली में अधिकांश विस्तार नई दिल्ली की परिधि पर हुआ है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अधिक शहरी हो गए हैं। दिल्ली का भौगोलिक आकार 1991 से 2011 तक लगभग दोगुना हो चुका था। शहरी घरों की संख्या दोगुनी हो गई थी। जबकि ग्रामीण घरों की संख्या आधे से कम हो गई थी। दिल्ली के बाहर वाले शहर- बहादुरगढ़, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम ने भी पिछले तीन दशकों में शहरी विकास का अनुभव किया है। इन चित्रों में देखने से यह बात साफ हो जाती है।
वर्ष 2028 तक टोक्यो को पछाड़ देगा दिल्ली
अच्छी सेवा और अर्थव्यवस्था के कारण दिल्ली प्रवासियों के लिए एक मुफीद जगह है, क्योंकि यहां भारत की उच्चतम प्रति व्यक्ति आय है। नवीनतम जनगणना आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश लोग (और उनके परिवार) काम के लिए शहर में जाते हैं। वर्ष 2016 में प्रत्येक दिन देश की राजधानी में लगभग 1,000 लोग बढ़े हैं। जिनमें से 300 शहर में बस गए हैं। वर्ष 2028 तक दिल्ली, टोक्यो को पछाड़कर दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहर के रूप में खड़ा हो जाएगा।
नहीं रही दिल्ली में सर्दी, बढ़ रहा है दिल्ली का तापमान
बढ़े हुए शहरीकरण के कई परिणाम सामने आए हैं। शहरी क्षेत्रों का तापमान अकसर आसपास के वनस्पतिक क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है। मानव निर्मित संरचनाएं गर्मी को अवशोषित करती हैं और फिर रात में हवा में विकिरण करती हैं, जिससे स्थानीय तापमान बढ़ जाता है। अनुसंधान से पता चला है कि दिल्ली के घने निर्मित भाग 7°C (45 °F) से 9°C (48°F) तक सर्दियों में अविकसित क्षेत्रों की तुलना में अधिक गर्म हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों का दवा- आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा प्रदूषण
इसके अतिरिक्त, शहरों के फैलने से कई पर्यावरणीय दुष्परिणाम हो सकते हैं, जैसे कि यातायात की भीड़ में वृद्धि, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। नासा के वैज्ञानिकों ने कहा कि वर्ष 2005 से 2014 तक देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं और उद्योग के विस्तार के कारण भारत में वायु प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले वर्षों में पोलुशन और ज्यादा तेजी से बढ़ेगा।
भारत, चीन और नाइजीरिया में सबसे ज्यादा शहरी आबादी बढ़ेगी
भारत तेजी से विकसित हो रहे शहरों वाले मुल्कों में से एक है। वर्ष 2050 तक चीन के शहरी क्षेत्रों में 250 मिलियन लोग और जुड़ जाएंगे। नाइजीरिया में 190 मिलियन शहरी बढ़ेंगे। वहीं, भारत में 400 मिलियन (40 करोड़) शहरी आबादी बढ़ जाएगी। कुल मिलाकर वर्ष 2018 से 2050 के बीच दुनिया की कुल शहरी आबादी का 35 प्रतिशत हिस्सा भारत, चीन और नाइजीरिया में पहुंच जाएगा।