अदालत ने सरकार से पूछा, क्या ये दो अफसर जिम्मेदार हैं, बाकी 'होली काऊ' हैं

नोएडा मुआवजा घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की : अदालत ने सरकार से पूछा, क्या ये दो अफसर जिम्मेदार हैं, बाकी 'होली काऊ' हैं

अदालत ने सरकार से पूछा, क्या ये दो अफसर जिम्मेदार हैं, बाकी 'होली काऊ' हैं

Tricity Today | नोएडा मुआवजा घोटाला

New Delhi | Noida News : नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में हुए 100 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सुनवाई की। अदालत के सामने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की जांच रिपोर्ट पेश की गई है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा, "एसआईटी को इन दो अफसरों के अलावा और कौन से अफसर जिम्मेदार मिले।" सरकारी वकील ने कोर्ट को सीधे जवाब देने की बजाय कहा कि एफआईटी ने करीब 1,200 मामलों की गहराई से छानबीन की है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने फिर पूछा कि क्या केवल यही दोंनो अफसर गलत ढंग से मुआवजा बांटने के लिए जिम्मेदार मिले हैं। इस बार सरकारी वकील ने कहा कि अभी तो इन दोनों की भूमिका सामने आई है। इस पर कोर्ट ने कहा, "बाकी अफसर तो 'होली काऊ' हैं।"

वीरेंद्र नागर के वकील ने कहा- नोट शीट पर सबके दस्तखत
नोएडा अथॉरिटी के विधि सलाहकार दिनेश कुमार सिंह और सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र नागर के खिलाफ नोएडा की पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। अब एसआईटी ने भी इन्हीं दोनों को जिम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि दोनों अफसर तो बहुत छोटे हैं। उन बड़े अफसरों के नाम बताइए, जो इस घोटाले के लिए जिम्मेदार हैं। आपको बता दें कि गेझा तिलपताबाद गांव में हुए मुआवजा घोटाले को लेकर नोएडा अथॉरिटी ने दो एफआईआर दर्ज करवाई हैं। पहली एफआईआर के खिलाफ वीरेंद्र नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मांगी थी। हाईकोर्ट में जमानत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने की बात कही। इस पर राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन कर दिया था।

क्या है पूरा मामला
नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के मामले में शिकायत हुई थी। प्राधिकरण अफसरों, दलालों और किसानों ने हाईकोर्ट की फर्जी याचिका का हवाला दिया। अब अक्टूबर 2023 में सीईओ रितु माहेश्वरी के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नोएडा के दो अधिकारियों और एक काश्तकार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। प्राधिकरण के सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को एफआईआर में नामजद किया गया। नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके राहत की मांग की। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

करीब 100 करोड़ का घोटाला हुआ
मिली जानकारी के मुताबिक, नोएडा के गेझा तिलपताबाद में करीब 100 करोड़ रुपये का मुआवजा घोटाला हुआ है। एसआईटी ने गड़बड़ी से जुड़ी जांच पूरी करके रिपोर्ट तैयार की। इस घोटाले में शामिल अधिकारियों की सूची सुप्रीम कोर्ट मांगी। यह रिपोर्ट करीब 200 पन्नों की है। सोमवार को एसआईटी की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। अभी आदलत किसी निर्णय पर नहीं पहुंची। सारे पक्षों से अलग-अलग बिंदुओं पर जवाब मांगे हैं। प्राधिकरण के तत्कालीन आला अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ सकती है।

अदालत ने की थी तल्ख टिप्पणी
नवंबर 2023 में इस मामले में सुनवाई हुई थी। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने केवल इसी मामले की रिपोर्ट पेश की थी। घोटाले के लिए जिम्मेदार अफसरों के नाम नहीं बताए और न ही कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की थी। तब कोर्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों के नाम उजागर करने को कहा था। पिछली सुनवाई में एसआईटी ने रिपोर्ट जमा की। एसआईटी की रिपोर्ट हिंदी में थी। कोर्ट ने अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए शासन को आदेश दिया था। सोमवार को अदालत ने अंग्रेजी में रिपोर्ट पढ़ी है। उसी दौरान कमेंट किया, "क्या ये दो अफसर जिम्मेदार हैं, बाकी 'होली काऊ' हैं।"

पूरे सेटअप भ्रष्ट : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर तल्ख टिप्पणी की थी। प्राधिकरण के पूरे सेटअप को भ्रष्ट बताया था। जिस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर सवाल खड़े किए हैं, और उत्तर प्रदेश सरकार को लताड़ लगायी है, वह अपने आप में हैरानी भरा है। इससे साफ पता चलता है कि अथॉरिटी के अफसर कैसे सरकारी खजाने को लूटने में जुटे हुए हैं। जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ रहा है। यही बात सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कही है। नोएडा अथॉरिटी के लॉ ऑफ़िसर सुशील भाटी ने 20 मई 2021 को शहर के थाना सेक्टर-20 में एफआईआर दर्ज कराई थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने इस मामले में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी। वहीं, मुआवजा वितरण गड़बड़ी मामले में तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र नागर और दिनेश सिंह को निलंबित किया जा चुका है।

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