Noida News: जिले में हुए अस्थायी कनेक्शन के नाम पर हुए 100 करोड़ से अधिक के घोटाले का पर्दाफाश करने वाली फाइल गायब हो गई है। नोएडा के अधिकारियों से पावर कॉरपोरेशन ने इस मामले पर जवाब मांगा है, कि जब फाइल गायब हुई थी तो तब उसकी रिपोर्ट क्यों नहीं कराई गई और उसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई थी।
10 से अधिक अधिकारी फसेंगे
फाइल के गायब होने की सूचना मिलने के बाद से 10 से अधिक अफसरों की नींद उड़ गई है। अस्थायी कनेक्शन के नाम पर हुए घोटाले में अभी तक ग्रेटर नोएडा और जेवर में हुए घोटाले की जानकारी ही सामने आई थी। बताया जा रहा है कि अगर फाइल के गुम होने की कार्रवाई हुई तो 10 से अधिक अधिकारी और इसमें फसेंगे।विद्युत निगम के मुख्य अभियंता वीएन सिंह ने बताया कि अस्थायी कनेक्शन की फाइल गायब हो गई है या मिली नहीं है| इसकी कोई जानकारी अभी नहीं है| राज्य स्तर पर इस पूरे मामले की जांच की जा रही है| राज्य सरकार की तरफ से यदि कोई भी जानकारी मांगी जाएगी तो हम उसे जरूर भेजेंगे।
23 इंजीनियरों का तबादला, घोटाले की रकम 100 करोड़ से अधिक
कुछ दिनों पहले मेरठ पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन की समीक्षा बैठक के दौरान अस्थायी कनेक्शन का मुद्दा उठाया गया था। जब उसी दौरान गोपनीय तरीके से इस मामले की कार्रवाई की गई तो निगम को 100 करोड़ से अधिक राशि के घोटाले की बात सामने आई। 100 करोड से अधिक के घोटाले को देखते हुए कारपोरेशन के अधिकारी बहोचक्के हो गए। और तुरंत ही 23 इंजीनियरों का तबादला दूसरे डिस्कॉम वाराणसी और आगरा क्षेत्र में कर दिया गया। अस्थायी कनेक्शन के मामले में कमेटी को सिर्फ कुछ फाइलें ही मिली थी जब बाकी फाइलों मांगी गई तो वह फाइलें गायब होने की जानकारी दी गई थी।
जब जांच कमेटी ने सारी रिपोर्ट अधिकारियों को दी तो घोटाले का शक और भी गहरा हो गया है। अब जिले में सभी अस्थायी कनेक्शनों की जांच हो सकती है। अधिकारियों के मुताबिक एसआईटी और एसटीएफ से इस मामले की जांच कराई जा सकती है। अधिकारियों को सिर्फ 100 करोड़ के घोटाले की जानकारी मिली है। लेकिन घोटाला इससे भी दुगना बताया जा रहा है। अगर जांच में यह बात आई तो आर्थिक अपराध शाखा भी इस मामले की जांच कर सकती है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि नोएडा में हुई प्राथमिक जांच से 100 करोड का घोटाला सामने आया है। अगर बिजली खंड ने इस मामले की जांच करी तो 200 करोड़ से भी अधिक का घोटाला सामने आ सकता है। इस पूरे मामले में 10 से अधिक अधिकारी फस सकते हैं। यह सारा पैसा संबंधित अफसरों की संपत्ति से वसूला जाएगा।
नोएडा के विद्युत खंड तीन में तैनात अधिशासी अभियंता ने 80 से 100 किलोवाट के अस्थायी कनेक्शन देने का मामला भी अधिकारियों की जानकारी में आया है। जानकारी के मुताबिक अधिकारियों को 25 किलो वाट तक के अस्थायी कनेक्शन देने का अधिकार मिला हुआ था। फिर भी उन्होंने बिल्डरों के साथ गठबंधन कर 50, 80 और 100 किलोवाट के कनेक्शन दिए थे। जिसके लिए उन्होंने आला अधिकारियों की परमिशन नहीं ली थी।