बारूद लगाने का काम पूरा, महज 9 सेकेण्ड में जमींदोज हो जाएंगी 300 करोड़ की इमारतें

सुपरटेक ट्विन्स टॉवर : बारूद लगाने का काम पूरा, महज 9 सेकेण्ड में जमींदोज हो जाएंगी 300 करोड़ की इमारतें

बारूद लगाने का काम पूरा, महज 9 सेकेण्ड में जमींदोज हो जाएंगी 300 करोड़ की इमारतें

Tricity Today | Supertech Twins Tower

Noida Supertech Twins Tower Demolition : नोएडा शहर के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक बिल्डर के अवैध ट्विन टावर को गिराने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। दोनों जुड़वां इमारतों में विस्फोटक लगाने का काम सोमवार को पूरा हो गया। इन टावरों में करीब 3,700 किलोग्राम विस्फोटक लगाए गए हैं। बड़ी बात यह है कि यह दोनों इमारतें महज 9 सेकेण्ड में जमींदोज हो जाएंगी। अब 28 अगस्त की दोपहर 2:30 बजे यह दोनों टावर गिरा दिए जाएंगे।

दोनों टावर बनाने में आया करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च
सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में एपेक्स और सियान टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च आया है, लेकिन इसके लिए गलत जगह का चयन कर लिया। निवासियों की आपत्तियों के बावजूद पैसे के बल पर लगातार इन टावरों की ऊंचाई बढ़ती रही और इन्हें बनाने में करोड़ों रुपए के खनिज और लाखों घंटों की मेहनत की गई। अब इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया जा रहा है। जिस कारण इसमें प्रयोग किया गया खनिज और लोगों की मेहनत सब बेकार होने वाली है।

इस तरीके से होगा अरबों का नुकसान
सुपरटेक ट्विन्स टावर बनाने में करीब 12.50 टन सरिया लगा है। इसके अलावा 4.5 लाख सीमेंट के बैग लगे हैं। सुपरटेक के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि 50 लाख दिवस कामगर में दोनों टावर बनाए गए हैं। इन दोनों टावर को बनाने के लिए करीब 26 करोड़ रुपए की दिल्ली का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा 25 करोड़ रुपए की कंक्रीट दोनों टावर को बनाने में की गई है। इसी तरीके से दोनों टावर को तोड़ने में अरबों का नुकसान होगा। यह भारत की सबसे ऊंची इमारत है, जिसको तोड़ा जा रहा है।

60 मंजिल ऊंचा धूल का गुबार उठेगा
जिस समय विस्फाेटक से दोनों टावरों को गिराया जाएगा, उस समय मलबे से करीब 60 मंजिल ऊंचा धूल का गुबार उठेगा। जिससे आसपास में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाएगा, लेकिन इमारतों को इससे बचाने के लिए वाटर जैट, फायर टेंडर और फव्वारों का इंतजाम किया गया है। इसको लेकर फायर विभाग ने एनओसी भी दे दी है।

धूल का गुब्बारा 15 मिनट तक रहेगा
धूल के गुबार का असर करीब 15 मिनट तक रहेगा। हालांकि, यह हवा की गति पर भी निर्भर करेगा कि धूल का प्रवाह हवा के साथ किस ओर होगा। टावर ध्वस्त होने से उठने वाली धूल का मुद्दा प्रदूषण के लिहाज से भी अहम होगा। इमारत को ध्वस्त करने के बाद मलबे के निस्तारण के लिए इसे डिमालिशन साइट तक पहुंचाने का कार्य ट्रकों से किया जाएगा। इससे भी वातावरण में पीएम-2.5 का बढ़ना तय माना जा रहा है। इसको लेकर पर्यावरणविदों चिंतित हैं। ट्विन्स टावर में 40 मंजिल हैं। दोनों टावर्स में करीब 1000 फ्लैट हैं।

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