Noida News : सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया गया है। आपको बता दें कि आरके अरोड़ा की कोई पहली गिरफ्तारी नहीं हुई है। अब से पहले करीब 6 बार से भी अधिक आरके अरोड़ा को गिरफ्तार किया जा चुका है। हालांकि पूछताछ के बाद उनको छोड़ दिया जाता है, लेकिन इस बार उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
हर बार बच जाता था आरके अरोड़ा
गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार आरके अरोड़ा पर यूपी रेरा का काफी करोड़ रुपए पर बकाया है। तमाम बार सुपरटेक के खिलाफ नोटिस जारी किया गया, लेकिन उसके बावजूद भी पैसे देने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिसकी वजह से पिछले कुछ समय के दौरान आरके अरोड़ा को 6 से भी अधिक बार गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके खिलाफ धोखाधड़ी समेत काफी गंभीर मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन इस बार मनी लांड्रिंग के मामले में आरके अरोड़ा को गिरफ्तार किया गया है।
आरके अरोड़ा 3 दिनों से प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में था
आरके अरोड़ा और उनकी कंपनियों के तमाम निदेशकों के खिलाफ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, दिल्ली, मेरठ और उत्तराखंड में करीब 200 मुकदमे दर्ज हैं। इस समूह की कंपनियों पर आरोप है कि रियल एस्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च किए थे। फ्लैट खरीदारों और दूसरी प्रॉपर्टी खरीदने वाले लोगों से अरबों रुपए लेकर गलत ढंग से पैसा निकाला गया है। रियल एस्टेट कंपनियों से पैसा निकालकर दूसरे कारोबार करने वाली कम्पनियों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए हैं।
पूछताछ के बाद गिरफ्तार हुआ
इस तरह की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने तमाम मुकदमों की जांच अपने स्तर पर की थी। इसके बाद पिछले 3 दिनों से आरके अरोड़ा को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था। प्रवर्तन निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक अरोड़ा संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे थे। मंगलवार को भी आरके अरोड़ा को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। तभी देर शाम उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद सुपरटेक समूह और आरके अरोड़ा के परिवार में हड़कंप मच गया है।
बैंकों से कर्ज लिया और अरबों रुपये एनपीए हो गया
आरके अरोड़ा और उनकी कंपनियों ने केवल आम फ़्लैट ख़रीदार को आर्थिक नुक़सान नहीं पहुंचाया है, बल्कि कई बड़े बैंकों को भी अरबों रुपया का नुक़सान किया है। प्रवर्तन निदेशालय का मानना है कि अरोड़ा की कम्पनियों ने ग़लत दस्तावेज़ और जानकारी देकर बैंकों से बड़े बड़े कर्ज़ लिए हैं। इसके बाद यह कर्ज़ वापस लौटाने में नाकाम रहे हैं। फ़्लैट खरीदारों से मिले पैसे को ग़लत तरीक़े अपनाकर डायवर्ट किया गया है। यह सारे आरोप लगातार फ़्लैट ख़रीदार लगा रहे थे। अब इन पर प्रवर्तन निदेशालय ने गहराई से पड़ताल की और आरोप सही पाए गए हैं। जिसके बाद ईडी ने अरोड़ा की गिरफ़्तारी की है।
सुपरटेक के ख़िलाफ़ ईडी ने हाल में बड़ी कार्रवाई की
इसी साल 25 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय ने सुपरटेक समूह के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की थी। कंपनी की मेरठ और उत्तराखंड के रुद्रपुर शहर में 40 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कुर्क कर लिया था। इस कुर्की में रूद्रपुर की 25 संपत्तियां शामिल थीं और मेरठ शहर का एक मॉल था। सुपरटेक समूह की कंपनियों पर नोएडा में तमाम तरह के ग़ैर क़ानूनी काम करने के आरोप हैं। इन्ही में सुपरटेक समूह का ट्विन टावर प्रोजेक्ट भी शामिल था। जिसे इसी साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया गया है। इतना ही नहीं ग्रेटर नोएडा शहर में भी सुपरटेक समूह की कंपनी ने एक अवैध हाउसिंग सोसाइटी बनाकर खड़ी कर रखी है। जिसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुक़दमा चल रहा है।
फ्लैट खरीदारों का पैसा दूसरे कारोबार में डाइवर्ट किया
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के सैकड़ों फ़्लैट खरीदारों ने सुपरटेक समूह की कंपनियों के ख़िलाफ़ मुक़दमे दर्ज करवाए हैं। फ़्लैट खरीदारों का आरोप है कि उनके पैसे को इस समूह की कंपनियों ने अवैध रूप से दूसरे कारोबार में डायवर्ट किया है। इन शिकायतों को संयुक्त रूप से प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की। जिसमें यह तथ्य सामने आए हैं कि सुपरटेक समूह की कंपनियों ने फ़्लैट खरीदारों का पैसा ग़ैरक़ानूनी ढंग से डायवर्ट किया है। इसी सिलसिले में पिछले 3 दिनों से आरके अरोड़ा ईडी के सवालों का जवाब दे रहे थे। अब उन्हें मंगलवार को गिरफ़्तार कर लिया गया है।