Tricity Today | यमुना के किनारे अवैध फार्म हाउस के लुभावने ऑफर
-55 लाख रुपये में, साथ में जल्द रजिस्ट्री का वादा
-2023 में यमुना का जल स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा
Noida News : नोएडा और ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश के कारोबार के बड़े हब हैं, लेकिन ये इन दिनों फार्म हाउस और पूल पार्टियों के लिए खासे चर्चाओं में है। यमुना नदी के किनारे खादर क्षेत्र में बने फार्म हाउस गर्मियों की छुट्टियों के दौरान तो आकर्षण का बड़ा केंद्र बन चुके हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर अवैध हैं। साथ ही यहां अवैध प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त का बड़ा कारोबार तेजी से पांव पसार चुका है। ट्राई सिटी टुडे ने कुछ महीने पहले अवैध निर्माण के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया था, जिसके बाद बहुत से फॉर्म हाउस पर बुलडोजर चला था लेकिन अब फिर वही ढाक के तीन पात।
लुभावने ऑफर से इनकार मुश्किल
यमुना का खादर क्षेत्र नोएडा के सेक्टर-135 में आता है। नोएडा प्राधिकरण ने इस भूमि को मूल रूप से कृषि उद्देश्यों के लिए अधिसूचित किया था। हरे-भरे मैदान में खड़े होकर, रियल एस्टेट ब्रोकर ऐसे ऑफर देते हैं जिसे ग्राहक मना नहीं कर सकता। सौदा कितना आकर्षक है- 55 लाख रुपये में एक बीघा जमीन, और जल्दी रजिस्ट्री का वादा। यहीं पर बिजली के खंभे से लटके एक लाल रंग के बोर्ड का मजमून कुछ इस तरह है : "अभी बुक करें : दुबई फार्म हाउस, पूल पार्टियों, शादियों, किटी पार्टियों और रात के ठहरने के लिए उपलब्ध है"। गैबल छत, कांच की खिड़कियां, मैनीक्योर किए गए लॉन और स्विमिंग पूल। सेक्टर 135 में फार्म हाउस खुशहाल ग्रामीण इलाके की झलक देते हैं। ऐसे में इन लुभावने प्रस्तावों से कौन इनकार कर सकता है।
ट्राई सिटी टुडे ने छेड़ी थी मुहिम
रियल एस्टेट दलाल कम दाम में ज्यादा जमीन के साथ जल्द रजिस्ट्री का वादा कर ग्राहक को पूरी तरह आश्वस्त करके भेजते हैं। इन फार्म हाउसों का इस्तेमाल पूल पार्टियों, शादियों और अन्य समारोहों के लिए किया जाता है। यहां आने वाले वाले कम ही खरीदार जानते हैं कि ये निर्माण यमुना के बाढ़ के मैदानों में स्थित हैं, जो किसी भी समय नष्ट किए सकते हैं। ट्राई सिटी टुडे ने कुछ महीने पहले रसूखदारों के गठजोड़ को उजागर करने और खरीदारों की जागरूकता के लिए व्यापक मुहिम छेड़ी थी। जिस पर प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बहुत सारे अवैध फॉर्म हाउसों पर बुलडोजर चलाया था, लेकिन भूमाफिया और अलग विभागों में बैठे रसूखदार अब फिर से सक्रिय हो चुके हैं।
2023 में पानी में डूबा था क्षेत्र
गौतमबुद्ध नगर के डीएम मनीष कुमार वर्मा इन फार्म हाउसों को "बाढ़ के मैदानों पर अवैध निर्माण" बताते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने कानूनी नोटिस भेजे हैं, लेकिन तत्काल कार्रवाई संभव नहीं है। समस्या पुरानी होने के कारण, सामाजिक और आर्थिक कारकों को भी ध्यान में रखना पड़ता है। 2023 में, जब यमुना का जल स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा, तब ये फार्म हाउस और आसपास का क्षेत्र जलमग्न हो गया। पर्यावरणविदों का मानना है कि इन बाढ़ के मैदानों में निर्माण जल प्रवाह को बाधित करता है।
दिल्ली और आसपास के अमीरों में आकर्षण
कुछ फार्म हाउस मालिकों ने 2023 की बाढ़ से हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग करते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) का दरवाजा खटखटाया। उनका आरोप है कि प्रशासन ने उचित बांध नहीं बनाए, जिससे रासायनिक अपशिष्ट युक्त पानी उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहा है। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, ये संपत्तियां 1990 के दशक के अंत में बननी शुरू हुईं। स्थानीय किसानों ने अपनी जमीन दलालों की मदद से बेच दी, जिन्होंने इसे दिल्ली के अमीर लोगों के लिए पिकनिक स्पॉट जैसी संपत्ति के रूप में प्रचारित किया।
प्रशासन की मिलीभगत
नोएडा के वकील प्रमेंद्र भाटी का कहना है कि यह अवैध निर्माण केवल एक सरकार के दौरान नहीं, बल्कि विभिन्न सरकारों के काल में जारी रहा है। यह सब प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं था। नोएडा में फार्म हाउसों का मुद्दा जटिल है, जिसमें कानूनी, पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक पहलू शामिल हैं। यह स्थिति प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसे समय पर सही तरीके से हल करने की आवश्यकता है।
नियम में झोल का फायदा
फॉर्म हाउस मालिकों के हितों के लिए खड़े होने वाले एक वकील बताते हैं कि भूअधिनियम के तहत खेती की दस फीसदी जमीन पर निर्माण किया जा सकता है। साथ ही यमुना के डूब क्षेत्र का परिसीमन भी स्पष्ट नहीं है। निर्माण भी पूरी तरह स्थायी न करके अस्थायी किया जाता है। इसमें सीमेंट और लोहे का कम से कम इस्तेमाल होता है। लेकिन खुद जाकर देखने पर हकीकत अलग ही नजर आती है।