29 हजार की आबादी पर है एक डॉक्टर, हाईटेक बिल्डिंग और धक्के खाते पेशेंट

गौतमबुद्ध नगर में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं : 29 हजार की आबादी पर है एक डॉक्टर, हाईटेक बिल्डिंग और धक्के खाते पेशेंट

29 हजार की आबादी पर है एक डॉक्टर, हाईटेक बिल्डिंग और धक्के खाते पेशेंट

Tricity Today | 29 हजार की आबादी पर है एक डॉक्टर,

  • -26 महिला, 60 पुरुष डॉक्टर 
  • -राज्यों में यूपी 19वें पायदान पर 
Noida News : गौतमबुद्ध नगर जिले का नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट अपनी पहचान का मोहताज नहीं है। लेकिन, जब स्वास्थ्य सेवाओं की बात आती है तो वह कहावत बरबस ही याद आ जाती है, 'नाम बड़े और दर्शन थोड़े।' गौतमबुद्ध नगर में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बेहद खस्ता है। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि इस जिले में 29,000 से अधिक आबादी पर एक सरकारी डॉक्टर तैनात है। इसके बाद यह कहने की जरूरत नहीं है कि सरकारी अस्पताल में हर दिन आने वाले हजारों मरीज किस कदर धक्के खा रहे होंगे।  

अस्पताल की बिल्डिंग पर खर्च हुए 519 करोड़ रुपए
सेक्टर-39 में 519 करोड़ रुपए की लागत से जिला अस्पताल के आठ मंजिले भवन का निर्माण कराया गया। इसका निर्माण साल, 2020 में ही पूरा हो गया था, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसे सेक्टर-30 से शिफ्ट नहीं किया गया था। साल, 2023 के अप्रैल महीने में सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में इसे शिफ्ट किया गया था। उद्घाटन के समय यह दावा किया गया था कि अब मरीजों और तीमारदारों को धक्के नहीं खाने पड़ेंगे। उन्हें इलाज की सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी। लेकिन, यह दावा अब हवाहवाई ही साबित हो रही है। 

12 लाख की महिला आबादी के लिए 26 लेडी डॉक्टर
सीएमओ के मुताबिक, गौतमबुद्ध नगर जैसे हाईटेक जिले में सिर्फ 86 डॉक्टर ही तैनात हैं। इनमें 26 लेडी डॉक्टर हैं। इनमें भी एक पुरुष समेत मात्र पांच गाइनेकोलॉजिस्ट हैं। यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि डॉक्टरों की संख्या पूरे जिले की है। इनमें जिले की सभी सीएचसी और पीएचसी पर तैनात डॉक्टर भी शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर जिले की आबादी मौजूदा समय में लगभग 25 लाख है। साल 2011 में हुई जनगणना में जिले की आबादी 16.47 लाख से कुछ अधिक थी और ग्रोथ रेट 4.08 फीसदी थी। उस लिहाज से बीते 12 साल में जिले की आबादी में लगभग 6.5 लाख का इजाफा माना जा रहा है। जिस समय जनगणना हुई थी, ​तब ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बसावट बस शुरू ही हुई थी। अब वहां एक अनुमान के मुताबिक दो से तीन लाख लोग रह रहे हैं। इस तरह पूरे जिले की आबादी लगभग 25 लाख हो गई है।  

जिले में तैनात हैं इतने डॉक्टर 
आंकड़ों के आईने में देखें तो नतीजा यही निकलेगा कि जिले की 25 लाख की आबादी के लिए जिले में सिर्फ 86 सरकारी डॉक्टर तैनात हैं। अगर, इनमें महिलाओं की आबादी को अलग से देखें तो स्थिति और भी भयावह दिखेगी। महिला पुरुष की आबादी पर गौर करें तो महिलाओं की आबादी लगभग 12 लाख है। और, 12 लाख महिलाओं के इलाज के लिए जिले में सिर्फ 26 लेडी डॉक्टर हैं। इस तरह 46 हजार से अधिक महिलाओं के इलाज का जिम्मा एक सरकारी लेडी डॉक्टर पर है। मेल डॉक्टरों की बात करें तो यह आंकड़ा थोड़ा बेहतर है। 13 लाख की आबादी के लिए कुल 60 सरकारी पुरुष डॉक्टर तैनात हैं। यानि जिले में 21,667 पुरुष आबादी पर एक डॉक्टर की तैनाती है। 

राज्यों में यूपी 19वें पायदान पर 
डब्ल्यूएचओ यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, प्रति 1000 की आबादी पर एक डॉक्टर होने चाहिए। जबकि भारत सरकार का दावा है कि भारत की स्थित डब्ल्यूएचओ के मानक से बेहतर है। देश में प्रति 834 लोगों पर एक डॉक्टर तैनात है। यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि इन आंकड़ों में सभी चिकित्सा पैथी के सरकारी और निजी डॉक्टरों की गणना की जाती है। जबकि हम सिर्फ गौतमबुद्ध नगर के सरकारी एलोपैथी डॉक्टर की बात कर रहे हैं। साल 2020 में जारी सूची के अनुसार देश में सबसे बेहतर चिकित्सा सुविधाओं वाले राज्यों में केरल अव्वल और उत्तर प्रदेश 19वें पायदान पर है। ये आंकड़े सिर्फ राज्यों के हैं, इनमें केंद्र शासित प्रदेश शामिल नहीं हैं। 

भीड़ देखकर हताश हो जाते हैं मरीज
सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल के हालात देखकर आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां आने वाले मरीजों का इलाज कैसे और कैसा होता होगा। पंजीकरण के लिए मरीज लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहते हैं। भीड़ देखकर वे अपने दर्द को पीकर सिर्फ पर्ची लेने का इंतजार करते रहते हैं। इनमें कई मरीज तो भीड़ देखकर हताश हो जाते हैं और निजी अस्पतालों की ओर रुख कर लेते हैं। कई बार तो ऐसी भी नौबत आ जाती है कि डॉक्टर मरीजों को खुद ही दूसरे अस्पतालों के लिए रेफर कर देते हैं। 

हर साल निकलते हैं 1,43,000 डॉक्टर
साल, 2022 में 'द क्विंट' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार आधुनिक चिकित्सा यानि एलोपैथी के देश में 595 मेडिकल कॉलेजों से लगभग 90,000 एमबीबीएस निकलते हैं। जबकि 733 आयुष मेडिकल कॉलेजों से 53,000 डॉक्टर तैयार होते हैं। लेकिन, न्यूनतम डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर डॉक्टरी की डिग्री हासिल करने वाले सरकारी अस्पतालों में काम करने से कतराते हैं। 

भयावह है मंजर
बहरहाल, प्रदेश के शोविंडो कहे जाने वाले गौतमबुद्ध नगर में चिकित्सा सुविधा के हालात देखकर हर किसी का चौंकना लाजिमी है। किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि 519 करोड़ रुपए की लागत से बने सेंट्रली एयरकंडीशन आठ मंजिली बिल्डिंग के भीतर का मंजर इतना भयावह होगा।

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