गौतमबुद्ध नगर में ब्लैक फंगस का हमला, चपेट में आने वालों की संख्या 56 हुई, अब तक 5 की मौत!

HIGH ALERT : गौतमबुद्ध नगर में ब्लैक फंगस का हमला, चपेट में आने वालों की संख्या 56 हुई, अब तक 5 की मौत!

गौतमबुद्ध नगर में ब्लैक फंगस का हमला, चपेट में आने वालों की संख्या 56 हुई, अब तक 5 की मौत!

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर में ब्लैक फंगस का हमला

Black Fungus : नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ब्लैक फंगस (Black Fungus) की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जिससे स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन परेशान हैं। मरीजों की हालत भी बिगड़ती जा रही है। सोमवार को ब्लैक फंगस के 25 नए मामले मिले हैं। अब कुल मरीजों की संख्या 56 हो गई है। दूसरी तरफ मेरठ स्वास्थ्य विभाग में इससे निपटने के लिए जरूरी इंजेक्शन भी खत्म हो गए हैं। इलाज के अभाव में मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है।

मरीजों की हालत खराब, दो दिनों में 70 इंजेक्शन लगाने पड़े : ब्लैक फंगस के मरीजों की हालत कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दो दिनों में 70 इंजेक्शन की डोज दी गई हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की ही तरह लोग अब मरीज के लिए इंजेक्शन ढूंढते फिर रहे हैं। लेकिन इंजेक्शन पाना तीमारदारों के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। आपको बता दें कि विगत शुक्रवार को शासन से जिले को ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के लिए एम्फोटेरेसिन और इमलसीफाइड इंजेक्शन की 70 डोज मिली थीं। मरीजों को एम्फोटेरेसिन की एक डोज 6 हजार और इमलसीफाइड की डोज डेढ़ हजार रुपये में मिल रही है।

मेरठ से लाना पड़ता है 6000 रुपये का एक इंजेक्शन : तीमारदार को मेरठ से इंजेक्शन लेना पड़ रहा है। मरीजों में गंभीर लक्षण हाेने के चलते दोनों इंजेक्शन की 70 डोज रविवार को ही खत्म हो गई। स्वास्थ्य विभाग को सोमवार को जिले के लिए डोज मिलने की उम्मीद थी, लेकिन देर शाम तक इंजेक्शन प्राप्त नहीं हुए। ऐसे में मरीजों का इलाज राम भरोसे है। बीमारी से अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। लोग तेजी से इसकी चपेट में भी आ रहे हैं। सीएमओ डॉ.दीपक ओहरी ने बताया कि उन्होंने शासन को 500 इंजेक्शन के लिए पत्र लिखा है, मंगलवार तक पर्याप्त मात्रा में डोज उपलब्ध हो जाएगी।

यह फंगस किन लोगों को प्रभावित कर सकता है : म्यूकोर्मिकोसिस Mucormycetes नामक मोल्ड्स के एक समूह के कारण होता है, जो पूरे प्राकृतिक वातावरण में पाए जाते हैं। यह अक्सर साइनस, फेफड़े, त्वचा और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है, जो अन्य बीमारियों के लिए दवा ले रहे हैं। विशेष रूप से मधुमेह पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की क्षमता को कम करती हैं। इससे पीड़ित व्यक्तियों के साइनस या फेफड़ों में हवा के साथ फंगल बीजाणु अंदर चले जाते हैं। ये बीजाणु प्रभावित करते हैं। चेतावनी के संकेतों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस फूलना, खून की उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति शामिल हैं। महाराष्ट्र में इस बीमारी के 2,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

यह कोविड-19 रोगियों को क्यों प्रभावित कर रहा है : अनियंत्रित मधुमेह वाले मरीजों को वैसे भी कोविड -19 के संक्रमण का अधिक खतरा होता है। जब इन लोगों को संक्रमण होता है तो उन्हें स्टेरॉयड देकर इलाज किया जाता है। स्टेरॉयड आगे शारीरिक प्रतिरक्षा से समझौता करता है। भारत में डॉक्टरों का मानना ​​है कि स्टेरॉयड कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए जीवन रक्षक के रूप उपयोग किए जा रहे हैं। स्टेरॉयड म्यूकोर्मिकोसिस के लिए एक ट्रिगर साबित हो सकते हैं। वैसे स्टेरॉयड फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, लेकिन प्रतिरक्षा को कम कर सकते हैं। मधुमेह रोगियों और गैर-मधुमेह कोविड-19 रोगियों, दोनों में समान रूप से रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं। लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीजों को भी म्यूकोर्मिकोसिस का खतरा अधिक होता है।

ब्लैक फंगस से पनपे रोग के लक्षण क्या हैं : आईसीएमआर के मुताबिक ब्लैक फंगस से पनपे रोग के लक्षण साइनसाइटिस (नाक में रुकावट या कंजेशन), नाक में कालापन, रक्त निर्वहन और गाल की हड्डी पर दर्द होते हैं। अन्य लक्षणों में चेहरे के एक तरफ दर्द, स्तब्ध हो जाना या सूजन, नाक और तालु के पुल पर कालापन होना, दांतों का ढीला पड़ना, दर्द, बुखार, त्वचा का घाव, रक्त का थक्का और सीने में दर्द के साथ धुंधलापन या दोहरी दृष्टि इसके लक्षण हैं। रोगी की आंखें भीतर को धंस जाती हैं।

मरीज क्या सावधानियां बरत सकते हैं
  1. कोविड -19 रोगियों को अपने रक्त शर्करा के स्तर की नियमित रूप से निगरानी करके हाइपरग्लाइसेमिया को नियंत्रित करना चाहिए।
  2. मधुमेह रोगियों को अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी भी करनी चाहिए। 
  3. डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स, एंटीफंगल और स्टेरॉयड का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करने की सलाह दी गई है। 
  4. अस्पतालों को ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ पानी का उपयोग करना चाहिए। 
  5. डॉक्टरों को चेतावनी दी गई है कि वे संकेतों और लक्षणों को याद करें और उपचार शुरू करने के लिए महत्वपूर्ण समय न गंवाएं। धूल वाले स्थलों पर मास्क का उपयोग करें।


 

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