शोध में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य, जानकर रह जाएंगे हैरान

साइबर अपराध का नया हथियार बना ChatGPT : शोध में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य, जानकर रह जाएंगे हैरान

शोध में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य, जानकर रह जाएंगे हैरान

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Noida News : साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ते दिख रहे हैं। अब एआई तकनीक के क्षेत्र में क्रांतिकारी माने जाने वाले ChatGPT का दुरुपयोग भी चिंता का विषय बन गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस अर्बाना-शैंपेन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि साइबर अपराधी इस तकनीक का इस्तेमाल वित्तीय धोखाधड़ी के लिए कर रहे हैं। 

जीमेल और इंस्टाग्राम से चुरा रहे यूजर की जानकारी
अध्ययन के अनुसार सामान्य धोखाधड़ी में अपराधियों को 20% से 60% तक की सफलता मिल रही है। विशेष रूप से जीमेल और इंस्टाग्राम पर यूजर्स की जानकारी चुराने में 60% और 40% तक की सफलता दर देखी गई है। चिंताजनक बात यह है कि इस प्रकार की धोखाधड़ी की लागत बेहद कम है - एक सामान्य स्कैम मात्र 63 रुपये में और बैंक ट्रांसफर धोखाधड़ी 211 रुपये में की जा सकती है। OpenAI ने इस मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार करते हुए ChatGPT की सुरक्षा को मजबूत बनाने का आश्वासन दिया है। 

सुरक्षा की कमियों का उठा रहे फायदा 
शोध में सामने आया है कि ChatGPT के GPT-4 आधारित रीयल-टाइम वॉयस एपीआई में मौजूद सुरक्षा की कमियों का फायदा उठाकर अपराधी बैंक ट्रांसफर धोखाधड़ी, क्रिप्टोकरेंसी घोटाले और गिफ्ट कार्ड स्कैम जैसी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इतना ही नहीं, वे वास्तविक व्यक्तियों की आवाज और व्यवहार की नकल कर प्रतिष्ठित संस्थानों की फर्जी वेबसाइटें भी बना रहे हैं।

ये है साइबर अपराध से जुड़े कुछ आंकड़े
  1. साइबर अपराध के मामलों की संख्या: 2024 के पहले चार महीनों में, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को 740,000 से अधिक साइबर अपराध के मामले रिपोर्ट किए गए।
  2. साइबर अपराध वृद्धि : भारत में साइबर अपराध सालाना 15-20% की दर से बढ़ रहा है।
  3. साइबर धोखाधड़ी: साइबर धोखाधड़ी भारत में बढ़ती चिंता का विषय है, जिसमें सालाना अरबों रुपये का वित्तीय नुकसान होता है।
  4. रिकवरी रेट : भारत में साइबर अपराध के लिए औसत रिकवरी दर 20% से कम है।
  5. साइबर अपराध की रिपोर्ट कैसे करें: आप साइबर अपराध की रिपोर्ट केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 या आपातकालीन नंबर 112 पर कर सकते हैं। आप इसे अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन के साइबर डेस्क पर भी रिपोर्ट कर सकते हैं।

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