सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने के लिए सोमवार को कंपनी देगी प्रेजेंटेशन, एसआईटी की जांच में कई बड़े भ्रष्टाचार उजागर हुए

बड़ी खबर : सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने के लिए सोमवार को कंपनी देगी प्रेजेंटेशन, एसआईटी की जांच में कई बड़े भ्रष्टाचार उजागर हुए

सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने के लिए सोमवार को कंपनी देगी प्रेजेंटेशन, एसआईटी की जांच में कई बड़े भ्रष्टाचार उजागर हुए

Tricity Today | सुपरटेक ट्विन टावर

Noida News : सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में अवैध रूप से बने ट्विन टावर को गिराने के लिए सुपरटेक ने एक एजेंसी का सुझाव प्राधिकरण को दिया है। यह एक निजी एजेंसी है। सोमवार को यह एजेंसी सीबीआरआई के अधिकारी, उनकी तरफ से बनाई गई कमेटी और नोएडा अथॉरिटी के अफसरों के समक्ष दोनों टावर को गिराने का प्रेजेंटेशन देगी। 

उसके बाद तय किया जाएगा कि सुपरटेक की चुनी हुई एजेंसी दोनों टावर को ध्वस्त करने में सक्षम है या नहीं। अगर एजेंसी सक्षम नहीं पाई गई तो दूसरी एजेंसी से प्रेजेंटेशन कराया जाएगा। एजेंसी का चयन करने के बाद डिजिटल ट्रायल समेत आगे की कवायद कर संयुक्त रिपोर्ट बनाई जाएगी। नोएडा प्राधिकरण के अफसरों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इन दोनों टावर को गिराने में आने वाले खर्च का वहन सुपरटेक बिल्डर को करना है। नोएडा प्राधिकरण की देखरेख में सिर्फ 3 महीने में इन टावर को गिराया जाना है। शीर्ष अदालत के आदेश पर सीबीआरआई की टीम से सुझाव लिया जा रहा है।  नोएडा प्राधिकरण सीबीआरआई टीम के सुझाव पर ही प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है।

प्रक्रिया का पालन नहीं किया
एसआईटी की जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। पता चला है कि ट्विन टावर के फ्लैट खरीदारों से बिल्डर ने एफएआर की मंजूरी नहीं ली थी। दरअसल एफएआर बढ़ाने से पहले नोएडा अथॉरिटी में इसके स्ट्रक्चरल कैलकुलेशंस होते हैं। इस प्रक्रिया में फ्लैट बायर्स को भी शामिल किया जाता है। जिस जमीन पर इमारत खड़ी होती है, उसमें फ्लैट बायर का भी मालिकाना हक होता है। 

अनुमति नहीं ली
मगर बिल्डर ने इन सभी फ्लैट ओनर्स को बताए बिना एफएआर बढ़ाया और फ्लोर बढ़ाता चला गया। नियमों के मुताबिक खरीदारों से मंजूरी ली जानी चाहिए थी। एसआईटी ने अपनी जांच में इस मामले पर भी सवाल उठाया है। जैसे-जैसे जांच रिपोर्ट के बिंदु सामने आ रहे हैं, अथॉरिटी में हलचल बढ़ रही है। माना जा रहा है कि कई ऐसे और प्रोजेक्ट भी हैं जिनमें उस वक्त स्ट्रक्चर कैलकुलेशन नोएडा प्राधिकरण के अफसरों ने नहीं की थी।

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