Noida News : नोएडा में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने डिजिटल गैंग का पर्दाफाश करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस पूछताछ करने पर आरोपियों ने चौंका देने वाला खुलासा किया है। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 10 राज्यों के 80 बैंक खातों में ठगी का पैसा पीड़ितों से ट्रांसफर कराया है। पुलिस टीम पर अब इस खातों को खंगालेगी। इस मामले में पुलिस की कई टीमें जांच कर रही है। एक टीम इस गैंग के असली संचालकों को तलाश कर रही है। जबकि दूसरी टीमें अब दस राज्यों में जाकर 80 बैंक खातों से जुड़ी जानकारी जुटाएगी।
मेल कर खातों के संबंध में पूरा डाटा मांगा
साइबर क्राइम एसीपी विवेकानंद राय ने बताया कि इस गैंग के गिरफ्तार छह सदस्यों से पूछताछ और उनके मोबाइल फोन में मिली जानकारी से अब तक 80 बैंक खातों की जानकारी मिली है। इन बैंक खातों का इस्तेमाल 73 अपराधों में किए जाने के साक्ष्य अब तक मिले हैं। ये बैंक खाते तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक, केरल, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि के हैं। बैंक अधिकारियों को मेल कर खातों के संबंध में पूरा डाटा मांगा गया है। साथ ही साइबर क्राइम थाने की एक अलग टीम भी बनाई गई है, जो इन बैंक खातों की पूरी जांच करेगी। इसके लिए वह इन राज्यों में जाएगी। इसके बाद इस मामले में अन्य अहम खुलासे भी किए जाएंगे।
अधिकांश बैंक खाते किराए पर लिए
पुलिस का मानना है कि ठगी में इस्तेमाल किए गए अधिकांश बैंक खाते किराए के रहे होंगे। इसमें किए गए लेनदेन का पांच से दस फीसदी हिस्सा खाताधारक को मिलता। इसके अलावा यह भी पता चला है कि घटना में कुछ चालू बैंक खातों का भी इस्तेमाल किया गया। सोमवार को साइबर क्राइम थाना पुलिस ने संबंधित बैंक के अधिकारियों से बात कर इन खातों के संबंध में पूरी जानकारी मांगी है।
क्या होती है डिजिटल अरेस्टिंग?
डिजिटल अरेस्टिंग में पुलिस किसी को जेल नहीं भेजती। डिजिटल गिरफ्तारी में पीड़ित को जालसाज द्वारा फोन कर बताया जाता है कि उसका नाम ड्रग तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आया है। उसे घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती। वह लगातार डिजिटल रूप से उनसे यानी जालसाजों से जुड़ा रहेगा। वह अपने किसी परिजन या मित्र व परिचित को इस बारे में नहीं बता सकता। मामले को निपटाने के लिए पीड़ित से पैसों की मांग की जाती है। इस दौरान जालसाज फर्जी अधिकारी बनकर वीडियो कॉलिंग के जरिए बात करते रहते हैं। डर के कारण पीड़ित साइबर अपराधियों के झांसे में आ जाता है और उन्हें पैसे भेज देता है। पुलिस डिजिटल अरेस्टिंग नहीं करती
पुलिस नहीं करती डिजिटल अरेस्ट
साइबर सेल के एसीपी विवेक रंजन राय का कहना है कि किसी भी राज्य या केंद्रीय जांच एजेंसियों की पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। जब भी कोई व्यक्ति खुद को पुलिस अधिकारी बताकर बात करता है और कार्रवाई से बचने के लिए खाते में पैसे मांगता है तो समझ लें कि वह साइबर अपराधी है। पैसे ट्रांसफर करने से पहले परिवार के किसी सदस्य, दोस्त या नजदीकी थाने के अधिकारी से संपर्क करें।