गौतमबुद्ध नगर में अब ब्लैक फंगस के मामले तेजी के साथ बढ़ रहे है। जिसके बाद गौतमबुद्ध नगर स्वास्थ्य विभाग ने नोएडा के सेक्टर-30 में स्थित जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एक क्लिनिक की शुरुआत की है। बताया जा रहा है कि इस क्लिनिक में अभी तक ब्लैक फंगस का कोई भी मामला नहीं आया है। लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ब्लैक फंगस के 10 मामले आए है। जिसमें से कुछ की मौत भी हो गई है। जिसके बाद गौतमबुद्ध नगर स्वास्थ्य विभाग ने यह फैसला लिया है।
गौतमबुद्ध नगर के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिले में ब्लैक फंगस के काफी मामले सामने आए है। जिसके बाद नोएडा के जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए एक क्लिनिक की शुरुआत की है। उन्होंने बताया कि इस क्लिनिक में 3 डाॅक्टर तैनात किए गए है। जो ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज करेंगे। बताया जा रहा है कि इस वायरस का शिकार अधिकतर वो लोग ही हो रहे है। जो कोरोना का शिकार हुए थे।
आपकों बता दें कि जिले में ब्लैक फंगस के इस समय 10 मरीज एटिक्व है। जिसमें से 7 मरीजों का इलाज यथार्थ अस्पताल, एक मरीज का इलाज कैलाश अस्पताल और एक मरीज का इलाज ग्रेटर नोएडा के ही जिम्स अस्पताल में किया जा रहा है। इसके अलावा NBT की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 4 मरीजों की मौत ब्लैक फंगस से हो चुकी है।
यह फंगस किन लोगों को प्रभावित कर सकता है
म्यूकोर्मिकोसिस Mucormycetes नामक मोल्ड्स के एक समूह के कारण होता है, जो पूरे प्राकृतिक वातावरण में पाए जाते हैं। यह अक्सर साइनस, फेफड़े, त्वचा और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है, जो अन्य बीमारियों के लिए दवा ले रहे हैं। विशेष रूप से मधुमेह पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की क्षमता को कम करती हैं। इससे पीड़ित व्यक्तियों के साइनस या फेफड़ों में हवा के साथ फंगल बीजाणु अंदर चले जाते हैं। ये बीजाणु प्रभावित करते हैं। चेतावनी के संकेतों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस फूलना, खून की उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति शामिल हैं। महाराष्ट्र में इस बीमारी के 2,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
यह कोविड-19 रोगियों को क्यों प्रभावित कर रहा है?
अनियंत्रित मधुमेह वाले मरीजों को वैसे भी कोविड -19 के संक्रमण का अधिक खतरा होता है। जब इन लोगों को संक्रमण होता है तो उन्हें स्टेरॉयड देकर इलाज किया जाता है। स्टेरॉयड आगे शारीरिक प्रतिरक्षा से समझौता करता है। भारत में डॉक्टरों का मानना है कि स्टेरॉयड कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए जीवन रक्षक के रूप उपयोग किए जा रहे हैं। स्टेरॉयड म्यूकोर्मिकोसिस के लिए एक ट्रिगर साबित हो सकते हैं। वैसे स्टेरॉयड फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, लेकिन प्रतिरक्षा को कम कर सकते हैं। मधुमेह रोगियों और गैर-मधुमेह कोविड-19 रोगियों, दोनों में समान रूप से रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकते हैं। लंबे समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीजों को भी म्यूकोर्मिकोसिस का खतरा अधिक होता है।
ब्लैक फंगस से पनपे रोग के लक्षण क्या हैं?
आईसीएमआर के मुताबिक ब्लैक फंगस से पनपे रोग के लक्षण साइनसाइटिस (नाक में रुकावट या कंजेशन), नाक में कालापन, रक्त निर्वहन और गाल की हड्डी पर दर्द होते हैं। अन्य लक्षणों में चेहरे के एक तरफ दर्द, स्तब्ध हो जाना या सूजन, नाक और तालु के पुल पर कालापन होना, दांतों का ढीला पड़ना, दर्द, बुखार, त्वचा का घाव, रक्त का थक्का और सीने में दर्द के साथ धुंधलापन या दोहरी दृष्टि इसके लक्षण हैं। रोगी की आंखें भीतर को धंस जाती हैं।