यथार्थ अस्पताल में 8 घंटों की मैराथन सर्जरी में मशीन चालक के हाथ को फिर से जोड़ा गया

बड़ी कामयाबी: यथार्थ अस्पताल में 8 घंटों की मैराथन सर्जरी में मशीन चालक के हाथ को फिर से जोड़ा गया

यथार्थ अस्पताल में 8 घंटों की मैराथन सर्जरी में मशीन चालक के हाथ को फिर से जोड़ा गया

Tricity Today | 8 घंटे की सर्जरी के बाद हाथ जोड़ने में मिली कामयाबी

ग्रेटर नोएडा: 40 वर्षीय पुरुष का दायां हाथ पूरी तरह कुचलने और टूटने के बाद यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने 8 घंटों की मैराथन सर्जरी की मदद से सफलतापूर्वक जोड़ा है। डॉक्टरों की मल्टी-डिसीप्लीनेरी टीम ने मामले की गंभीरता को समझते देते हुए तत्काल सर्जरी की। दरअसल, ब्लड सप्लाई को रिस्टोर करने के लिए शुरुआती 6 घंटों को गोल्डन पीरियड माना जाता है, इसलिए इस मामले में समय पर मेडिकल हस्तक्षेप से पूरी तरह अलग हो चुके हाथ को सफलतापूर्वक फिर से जोड़ा गया।

अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, महेश चंद एक लोकल कंपनी में मशीन चालक का काम करते हैं। काम के दौरान उनका दाहिना हाथ मशीन में अटक गया, जिसके कारण उनका हाथ बुरी तरह कुचलकर टूट गया। मरीज को जब इंमरजेंसी में भर्ती किया गया तो कलाई हाथ से अलग हो चुकी थी और खून बहुत ज्यादा बह रहा था। गंभीर ब्लीडिंग के कारण उन्हें यथार्थ अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी कलाई और हाथ की हड्डियां फ्रेक्चर हो चुकी थीं और ब्लड सप्लाई भी बंद हो गई थी। खून लगातार बहने के कारण मरीज को एक घंटे के अंदर ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया, जहां डॉक्टर अश्वनी कुमार सिंह (प्लास्टिक सर्जन) और डॉक्टर अमित शर्मा (ऑर्थोपेडिक सर्जन) ने तुरंत सर्जरी शुरू कर दी।

यथार्थ सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के हेड डॉक्टर अश्वनी कुमार सिंह ने बताया, “मरीज गंभीर रूप से घायल था। खून बहुत ज्यादा बह चुका था इसलिए यदि अस्पताल आने में थोड़ी और देर हो जाती तो मरीज हमेशा के लिए अपना हाथ खो बैठता। सौभाग्य से इमरजेंसी टीम के तत्काल कदम की मदद से एनीथीसिया, ऑर्थोपेडिक्स और प्लास्टिक सर्जरी समेत डॉक्टरों की मल्टी-डिसीप्लीनेरी टीम ने जल्द से जल्द सर्जरी शुरू की। मरीज के हाथ को मशीन से अलग करने के बाद नसें और टिश्यू ठीक हो गए और ब्लड सप्लाई फिर शुरू हो गई। सर्जरी के बाद से मरीज जल्दी रिकवर कर रहा है और हाथ का मूवमेंट भी बिल्कुल सामान्य है।”

विभिन्न स्पेशलिटीज में एडवांस प्रक्रियाओं, उपकरणों और विशेषज्ञ डॉक्टरों की 24X7 उपलब्धता के साथ हाथ की यह सर्जरी अपने आप में एक बड़ा उदाहरण है। चूंकि, मरीज अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाला सदस्य था, इसलिए वह अस्पताल और डॉक्टरों का शुक्रज़ार है। उन्हें कुछ समय के लिए सामान्य गतिविधियों की अनुमति दी गई है और भारी चीजें उठाने के लिए मना किया गया है। कुछ हफ्तों में महेश चंद अपने काम पर वापस जा सकेंगे और अपने परिवार का भार फिर उठा सकेंगे।

मरीज महेश चंद ने बताया कि, “मैं यथार्थ अस्पताल के डॉक्टरों का दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। उन्होंने मेरे हाथ और मेरी जिंदगी को बचा लिया। एक्सीडेंट के समय मैं शारीरिक और मानसिक रूप से इतना परेशान हो गया था कि मुझे लगा कि मुझे मेरे दाए हाथ के बिना ही जिंदगी गुज़ारनी होगी। लेकिन डॉक्टरों ने रातभर सर्जरी कर मेरा हाथ बचा लिया। इस दौरान मुझे बिल्कुल परेशानी या समस्या नहीं हुई।”

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