Noida News : गौतमबुद्ध नगर, जो उत्तर प्रदेश का आर्थिक केंद्र माना जाता है, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। जिले की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) राज्य और देश के औसत से काफी कम होकर 1.6 तक पहुंच गई है, जो चिंता का विषय बन गया है। यह स्थिति न केवल गौतमबुद्ध नगर में, बल्कि पड़ोसी जिले गाजियाबाद में भी देखी जा रही है।
गिरावट को गंभीरता से ले रही है सरकार
मनोचिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ने इस गिरावट के पीछे कई कारणों की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा, "बड़े शहरों में जीवनशैली में बदलाव, अनिद्रा, तनाव, और करियर को प्राथमिकता देना प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, कई युवाओं में संतानोत्पत्ति की इच्छा कम होती जा रही है।"उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है। नेशनल हेल्थ मिशन में परिवार नियोजन के महाप्रबंधक सूर्यांशु ओझा ने कहा कि सरकार इन जिलों में विशेष अध्ययन करवाएगी ताकि इस गिरावट के वास्तविक कारणों को समझा जा सके।
दो से भी कम दर वाले जिलों में गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद शामिल
राष्ट्रीय स्तर पर टीएफआर 2.10 है, जबकि उत्तर प्रदेश का औसत 2.40 है। हालांकि, प्रदेश के नौ जिलों में यह दर दो से भी कम हो गई है, जिसमें गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद शामिल हैं। यह स्थिति विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बन गई है। गिरावट लंबे समय में समाज के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो 2065 तक बुजुर्ग आबादी में वृद्धि के संकेत दिखाई दे सकते हैं।
कुछ विशेषज्ञ सकारात्मक रूप में भी देखते हैं ये बदलाव
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इस गिरावट को सकारात्मक रूप में भी देखते हैं। डॉ. अमित यादव ने बताया कि शिक्षा के प्रसार ने भी टीएफआर को प्रभावित किया है। "जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ा है, लोगों ने छोटे परिवार के महत्व को समझा है। इसके अलावा, गर्भनिरोधक उपायों की बेहतर जानकारी और उपलब्धता ने भी इसमें योगदान दिया है।" लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अति-गिरावट भी चिंता का विषय है। डॉ. गुप्ता ने चेतावनी दी, "टीएफआर का कम होना अच्छा है, लेकिन तेज गिरावट समाज के लिए नई चुनौतियाँ ला सकती है।"