पूरी स्कीम के केवल तीन प्लॉट्स पर कंपनी लगीं, बाकी बिचौलियों ने बेच डाले

नोएडा में इंडस्ट्रियल प्लॉट्स की जांच में बड़ा खुलासा : पूरी स्कीम के केवल तीन प्लॉट्स पर कंपनी लगीं, बाकी बिचौलियों ने बेच डाले

पूरी स्कीम के केवल तीन प्लॉट्स पर कंपनी लगीं, बाकी बिचौलियों ने बेच डाले

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Noida News: नोएडा में औद्योगिक विकास और प्राधिकरण की औद्योगिक भूखंड आवंटन योजना से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आई है। वर्ष 2022 में नोएडा अथॉरिटी ने औद्योगिक भूखंड आवंटन योजना घोषित की थी। जिसके तहत 69 भूखंडों का आवंटन किया गया था। इनमें से आज तक केवल दो भूखंडों पर कम्पनियां लगाई गई हैं। बाक़ी सारे भूखंड बिचौलियों ने बेच डाले हैं। ख़ास बात यह है कि ऑनलाइन नीलामी के ज़रिए इन भूखंडों का आवंटन किया गया था। यह मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को जांच करने का आदेश दिया था। अब जिलाधिकारी ने जांच करके रिपोर्ट शासन को भेज दी है।

आवंटन व्यवस्था बदलने का विरोध हुआ
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद औद्योगिक विकास तेज किया गया है। जिसमें नोएडा शहर सबसे आगे है, लेकिन विकास प्राधिकरण के कुछ फ़ैसले परेशानी का सबब बने हुए हैं। क़रीब चार साल पहले नोएडा प्राधिकरण के बोर्ड ने फ़ैसला लिया था, जिसके तहत औद्योगिक श्रेणी के भूखंडों का आवंटन ऑनलाइन बिडिंग के ज़रिये किया जाने लगा। मतलब, सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को भूखंड का आवंटन किया जाएगा। उस वक़्त शहर के उद्यमियों और उद्यमियों की अग्रणी संस्थाओं ने इस व्यवस्था का विरोध किया था। राज्य सरकार को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें कहा गया कि औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की यह नई व्यवस्था शहर के लिए नुकसानदायक साबित होगी। पैसे के बूते निवेशक औद्योगिक भूखंड हासिल कर लेंगे और फिर बाज़ार पर नियंत्रण करके मुंह मांगी क़ीमतों पर इन भूखंडों की ख़रीद फ़रोख़्त करेंगे।

उद्यमियों की चिंता सच साबित हुई
उद्यमियों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2022 के औद्योगिक भूखंड आवंटन की जांच का आदेश दिया। उस स्कीम के जरिए शहर में 69 औद्योगिक भूखंडों का आवंटन किया गया था। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, जांच की ज़िम्मेदारी गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा को सौंपी गई। मनीष वर्मा ने सभी 69 औद्योगिक भूखंडों की मौजूदा स्थिति की जांच की है। डीएम की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल तीन भूखंडों पर उद्योग स्थापित किए गए हैं। बाक़ी सारे भूखंड मौक़े पर ख़ाली पड़े हुए हैं। बड़ी बात यह है कि आवंटन हासिल करने वाली कंपनियों ने ज़्यादातर भूखंड बेच दिए हैं। कुल मिलाकर इन भूखंडों के ज़रिए औद्योगिक विकास को बढ़ावा नहीं मिला, बल्कि प्रॉपर्टी बाज़ार में क़ीमतें बिना वजह बढ़ गई हैं। लिहाज़ा, उद्यमियों की आशंका सच साबित हुई है।

उद्योगों के लिए जमीन नीलामी बेहद गलत: विपिन मलहन
नोएडा के उद्यमियों की सबसे बड़ी संस्था नोएडा एंटरप्रिन्योर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा, “जब राज्य सरकार ने उद्योगों के लिए ज़मीन नीलाम करने का फ़ैसला लिया था तो हमने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात करके पत्र दिया था। मुख्यमंत्री से निवेदन किया था कि यह व्यवस्था क़ायम नहीं होनी चाहिए। इससे बिचौलिए और अयोग्य लोग ज़मीन हासिल कर लेंगे। वे प्रॉपर्टी बाज़ार में औद्योगिक भूखंडों को लेकर आएंगे। ख़ुद बड़ा मुनाफ़ा कमाएंगे। इस व्यवस्था के कारण उद्योग नहीं लगा पाएंगे। क़रीब दो साल पहले नीलामी के ज़रिए जो भूखंड आवंटित किए गए थे, उन पर आज तक कोई काम नहीं हुआ है। भवन निर्माण तो दूर की बात है चारदीवारी तक नहीं की गई है। अब सवाल यह उठता है कि अगर उन लोगों को उद्योग लगाने के लिए ज़मीन की इतनी ज़्यादा ज़रूरत थी कि वह नीलामी से ऊंची क़ीमतों पर प्लॉट ख़रीद रहे थे तो दो साल बीतने के बावजूद कोई काम शुरू क्यों नहीं कर पाए?” विपिन मल्हन आगे कहते हैं, “इस व्यवस्था को सुधारना होगा। अगर उद्यमी अपना पूरा पैसा महंगी ज़मीन पर ख़र्च कर देगा तो मशीनरी और बाक़ी लागत का वहन कैसे करेगा? औद्योगिक भूखंडों की नीलामी नोएडा प्राधिकरण के मूलभूत उद्देश्य के ख़िलाफ़ है।”

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