नोएडा में बैठे गैंग ने अमेरिका और दुबई के लोगों से 170 करोड़ रुपए ठगे, यूपी एसटीएफ ने धर दबोचा

सबसे बड़ी खबर : नोएडा में बैठे गैंग ने अमेरिका और दुबई के लोगों से 170 करोड़ रुपए ठगे, यूपी एसटीएफ ने धर दबोचा

नोएडा में बैठे गैंग ने अमेरिका और दुबई के लोगों से 170 करोड़ रुपए ठगे, यूपी एसटीएफ ने धर दबोचा

Tricity Today | आरोपी

Noida News : आपने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आई सीरीज जमताड़ा देखी होगी। किस तरह अंगूठा छाप युवक फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर हाईप्रोफाइल लोगों को लाखों रुपए का चूना लगा देते हैं। अब ऐसे ही साइबर अपराधियों का एक बड़ा गैंग यूपी एसटीएफ ने नोएडा में पकड़ा है। नोएडा में एसटीएफ ने एक फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है और 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग विदेशियों के लैपटॉप या कंप्यूटर में वायरस डालने के बाद उसे ठीक कराने के नाम पर अब 170 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुके हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है। पिछले 5-6 वर्षों के दौरान नोएडा में ऐसे दर्जनों गैंग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

सेक्टर-59 में चल रहा था फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर
यूपी एसटीएफ के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को नोएडा के सेक्टर-59 में स्थित बी-36 में कथित कॉल सेंटर पर छापा मारा गया। इस गिरोह के सरगना सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों ने अमेरिका से लेकर दुबई तक सैकड़ों लोगों से ठगी की बात स्वीकार की है। इनके पास मिले दस्तावेजों और बैंक ट्रांजैक्शन से पुलिस को पता लगा है कि अब तक अमेरिका, यूरोप और दुबई में सैकड़ों लोगों को करीब 170 करोड रुपए का चूना लगा चुके हैं।

पुलिस ने इनको दबोचा
यूपी एसटीएफ के प्रभारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सेक्टर-44 निवासी करन मोहन, बेगमगंज गोंडा निवासी विनोद सिंह, सेक्टर-92 निवासी ध्रुव नारंग, सेक्टर-49 निवासी मयंक गोगिया, सेक्टर-15ए निवासी अक्षय मलिक, गढ़ी चौखंडी निवासी दीपक सिंह, गौड़ सिटी निवासी आहूजा पॉडवाल, दिल्ली निवासी अक्षय शर्मा, जयंत सिंह और मुकुल रावत के रूप में हुई है।

ऐसे लोगों को बनाते थे शिकार
जांच के दौरान पता चला है कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर आरोपियों ने अलग-अलग नाम से कंपनियां बना रखी थीं। कॉल सेंटर से विदेशी नागरिकों से संपर्क कर कंप्यूटर-लैपटॉप में वायरस डालकर ठीक करने का झांसा दिया जाता था। तकनीकी सहयोग के नाम पर आरोपी अलग-अलग सॉफ्टवेयर से लैपटॉप-कंप्यूटर को हैक कर लेते थे और विदेशी नागरिकों के ऑनलाइन खाते या क्रेडिट कार्ड की डिटेल चुराकर किराए पर लिए गए विदेशी खातों में रुपये ट्रांसफर कर लेते थे।

कॉल सेंटर में 50 से अधिक लोग करते थे काम
एसटीएफ अधिकारी ने कहा कि आरोपियों ने बताया कि उनके पास हवाला के माध्यम से भारतीय मुद्रा में नकद आता था। किराए के खाते में डॉलर में पैसे जाते थे। फिर किराए पर खाता मुहैया कराने वाले कमीशन काटकर भारत में रुपये हस्तांतरित कर देते थे। उन्होंने बताया कि फर्जी कॉल सेंटर का नेटवर्क दुनिया के कई देशों में है। आरोपियों ने अमेरिका, कनाडा, लेबनान, ऑस्ट्रेलिया और दुबई से लेकर कई पश्चिमी देशों के लोगों से ठगी की है। नोएडा के कॉल सेंटर में 50 से अधिक लोग रोजाना काम कर रहे थे। बाकी आरोपियों की तलाश की जा रही है।

आरोपियों के कब्जे से कीमती सामान बरामद
वीओआईपी कॉल का मतलब वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल होता है। उन्होंने बताया कि यह व्हाट्सऐप कॉलिंग जैसे काम करता है। इसकी रिकॉर्डिंग नहीं होती है। यह इंटरनेट कॉलिंग है। इसमें कहां से किसे फोन किया जा रहा है, पता नहीं लगता है। कॉल सेंटर से वीओआईपी कॉलिंग का सर्वर लगाकर विदेशियों के लैपटॉप-कंप्यूटर में वायरस डाला जाता था. इसके बाद, तकनीकी सहयोग के नाम पर उन लोगों से संपर्क कर लैपटॉप-कंप्यूटर को रिमोट पर लेकर ऑनलाइन अकाउंट से भारतीय अकाउंट में रकम भेजी जाती थी. अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के पास से 12 मोबाइल, 76 डेस्कटॉप, 81 सीपीयू, 56 वीओआईपी डायलर, 37 क्रेडिट कार्ड समेत अन्य सामग्री बरामद की गई है।

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