Noida News : नोएडा में फ्लैट खरीदारों को अपने घर का मालिकाना हक कब तक मिल पाएगा, यह सवाल एक बार फिर उठने लगा है। सरकार की ओर से बिल्डरों को राहत देने के बाद भी फ्लैटों की रजिस्ट्री प्रक्रिया में बिल्डर कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार अब तक केवल 1,643 फ्लैटों की रजिस्ट्री हो पाई है। जबकि कुल 2,764 रजिस्ट्रियां होनी थीं। अमिताभ कांत रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू किए जाने के बाद 57 बिल्डर परियोजनाओं में कुल 21,034 फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री होनी चाहिए थी, लेकिन धीमी रफ्तार ने प्रशासनिक अधिकारियों और बिल्डरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रजिस्ट्री के नाम पर पहले ही हो चुकी है रकम वसूली
फ्लैट खरीदारों का कहना है कि नोएडा की कई ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज में लाखों लोग रह रहे हैं, जिनकी रजिस्ट्री अब तक बिल्डरों द्वारा नहीं कराई गई है। खरीदारों ने दावा किया है कि बिल्डरों ने रजिस्ट्री के नाम पर पहले ही उनसे रकम वसूल ली है और इसके बाद ही फ्लैट में कब्जा दिया था, लेकिन रजिस्ट्री की प्रक्रिया में हो रही इस देरी ने खरीदारों को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित कर रखा है।
सरकार की राहत योजना से बिल्डरों को मिला फायदा
सरकार ने प्राधिकरण के बकाए भुगतान में बिल्डरों को ब्याज में छूट की सुविधा दी थी। जिससे बकाया जमा करने का बोझ हल्का हो सके। इस राहत का लाभ कई बिल्डर ले चुके हैं, फिर भी रजिस्ट्री प्रक्रिया में विलंब बरत रहे हैं। छह महीने का समय बीत जाने के बाद अब एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का सहारा लेकर कुछ बिल्डर और देरी का बहाना ढूंढ सकते हैं।
खरीदारों को नहीं मिली राहत
प्राधिकरण में बिल्डरों ने छोटी-छोटी रकम जमा कर सरकार की नजर में पाक-साफ दिखने का प्रयास किया है, लेकिन इसका वास्तविक लाभ फ्लैट खरीदारों तक नहीं पहुंचा है। फ्लैट मालिकों का कहना है कि सरकारी छूट का फायदा बिल्डरों को तो मिलता दिख रहा है, लेकिन उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया है। वे अपने उसी पुराने स्थान पर खड़े हैं, जहां पहले थे - बिना मालिकाना हक के।
अब खरीदारों की क्या है उम्मीदें?
फ्लैट खरीदारों का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और बिल्डरों को रजिस्ट्री में तेजी लाने के लिए कड़े निर्देश देने चाहिए। खरीदार चाहते हैं कि उनकी रजिस्ट्री जल्द से जल्द हो, जिससे उन्हें कानूनी तौर पर अपने फ्लैट का मालिकाना हक मिल सके।