यमुना खादर में तोड़े जाएंगे अवैध फार्म हाउस, सीईओ ने तलब की सर्वे रिपोर्ट 

नोएडा से बड़ी खबर : यमुना खादर में तोड़े जाएंगे अवैध फार्म हाउस, सीईओ ने तलब की सर्वे रिपोर्ट 

यमुना खादर में तोड़े जाएंगे अवैध फार्म हाउस, सीईओ ने तलब की सर्वे रिपोर्ट 

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Noida News : नोएडा अथॉरिटी ने डूब क्षेत्र में बने अवैध फार्म हाउसों पर बुलडोजर चलाने की तैयार शुरू कर दी है। पिछले दिनों अथॉरिटी ने 50 से अधिक फार्म हाउस पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया था। सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने अब एक बार फिर फार्म हाउसों की सर्वे रिपोर्ट तलब की है। इसके लिए अवैध निर्माण को चिह्नित कर भूखंडवार रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। पूरे डूब क्षेत्र का सर्वे नए सिरे से कराया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद अवैध निर्माणों को तुड़वाने में तेजी लाई जाएगी। बता दें कि यमुना का करीब 5 हजार हेक्टेयर एरिया डूब क्षेत्र में है। इस क्षेत्र में किसी प्रकार का पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता है।

15 दिन के अंदर रिपोर्ट तलब
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने बताया कि अवैध निर्माण पर कड़ी कार्रवाई के लिए नए सिरे से सर्वे कराकर रिपोर्ट 15 दिन के अंदर तलब किया गया है। सेक्टर-94, 124, 125, 127, 128, 131, 133, 134, 135 168 के अलावा 150 यमुना से सटे हुए हैं। लेकिन, उसके बाद भी अवैध तरीके से फार्म हाउस बनाए गए हैं। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद सभी अवैध फार्म हाउस और अन्य अवैध निर्माण कराने वालों पर भी कार्रवाई होगी। फार्म हाउसों के मालिक को चेतावनी दी जा रही है कि यदि दोबारा कंस्ट्रक्शन किया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

क्या है पूरा मामला

नोएडा अथॉरिटी के दायरे वाले गांवों नगला, नगली, नंगली साकपुर, याकूतपुर, मंगरौली और छपरौली में बिल्डरों, भूमाफिया और कॉलोनाइजरों ने बड़े पैमाने पर फार्म हाउस बनाए हैं। यह फ़ार्म हाउस सरकारी और ग़ैर सरकारी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा करके बनाए गए हैं। नोएडा के ओखला बैराज से लेकर मंगरौली गांव तक सैकड़ों की संख्या में फ़ार्म हाउस बन चुके हैं। ये फ़ार्म हाउस पूरी तरह अवैध हैं। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम, केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन करके निर्माण किया गया है। इन फ़ार्म हाउसों को नोएडा प्राधिकरण ने अवैध घोषित कर दिया है। जिला प्रशासन ने भी फ़ार्म हाउसों को अवैध घोषित कर रखा है। इन फ़ार्म हाउसों की वजह से यमुना नदी का इकोसिस्टम ख़राब हो रहा है। नदी के प्रवाह में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।

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