Noida News : गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में हुए पॉवर ऑफ अटॉर्नी घोटाले में अब जांच आगरा से मेरठ पहुंच गई है। अभी तक इस मामले की जांच आगरा के डीआईजी कर रहे थे, लेकिन अब जांच एडीएम मेरठ पंकज वर्मा कर रहे हैं। पंकज वर्मा ने इस मामले में एक्शन की चपेट में आए सभी 10 सब-रजिस्ट्रारों को आरोप पत्र का जवाब देने के लिए 15 मई 2023 तक का समय दिया है।
क्या है पूरा मामला
गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त का बड़ा बाजार है। प्रॉपर्टी के नाम पर काली कमाई को खपाने वाले लोग पावर ऑफ अटॉर्नी का रास्ता इस्तेमाल करते हैं। दिल्ली-एनसीआर समेत पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और दूसरे राज्यों की संपत्तियों की पावर ऑफ अटॉर्नी गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद के सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में करवाई जाती हैं। इसके बाद पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल करने वाले लोग मनमाफिक ढंग से प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त करते रहते हैं। इससे जहां एक तरफ राज्य सरकार को स्टांप और रजिस्ट्रेशन से मिलने वाला रेवेन्यू चोरी कर लिया जाता है तो दूसरी ओर बड़े पैमाने पर काली कमाई प्रॉपर्टी में खप जाती है।
ट्राईसिटी टुडे ने उठाया था यह मुद्दा
आपको बता दें कि इस मामले को ट्राईसिटी टुडे ने उठाया था। जिस पर गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने संज्ञान लिया और जिले में पॉवर ऑफ अटॉर्नी करने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद जिले में धड़ल्ले से पॉवर ऑफ अटॉर्नी की गई हैं।
पाबंदी के बावजूद बड़े पैमाने पर हुई पावर ऑफ अटॉर्नी
पाबंदी के बावजूद गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में पिछले एक साल के दौरान बड़े पैमाने पर पावर ऑफ अटॉर्नी की गई हैं। मिली जानकारी के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर में 11,000 और गाजियाबाद जिले में 60,000 से ज्यादा जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी गईं। अब यह सारे दस्तावेज जांच के दायरे में आ गए हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) ने जांच का आदेश दिया है। इसके लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है। दोनों जिलों में तत्काल प्रभाव से पावर ऑफ अटॉर्नी का रजिस्ट्रेशन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गृह विभाग की ओर से की गई इस कार्यवाही के बाद दोनों जिलों में हड़कंप मचा हुआ है।
दोनों जिलों में 72,000 फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी हुईं
आपको बता दें कि गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में करीब 72,000 पावर ऑफ अटॉर्नी गलत तरीके से की गई थी। इस मामले में बीते 5 जनवरी 2023 को एसआईएटी की टीम का गठन हुआ था। यह अरबों रुपए का घोटाला है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव (गृह) ने जांच के आदेश दिए थे। उनके आदेश के बाद ही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी कि एसआईटी टीम का गठन हुआ था। दोनों जिलों में जितने भी पावर ऑफ अटॉर्नी की गई, उनकी जांच की गई। वहीं, एसआईटी टीम के गठन के बाद पावर ऑफ अटॉर्नी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अब इसकी जांच मेरठ के एडीएम मेरठ पंकज वर्मा कर रहे हैं।