मोदी मैजिक और 'परंपरागत ​हथियार' हो रहे फेल, नोएडा के नेता भी घबराए 

लोकसभा चुनाव 2024 : मोदी मैजिक और 'परंपरागत ​हथियार' हो रहे फेल, नोएडा के नेता भी घबराए 

मोदी मैजिक और 'परंपरागत ​हथियार' हो रहे फेल, नोएडा के नेता भी घबराए 

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Noida News : भाजपा में जिस किस्म की और जिस मात्रा में हलचल मची है, उसकी अपेक्षा किसी भी राजनैतिक पंडित को नहीं रही होगी। अब मोदी एंड कंपनी उस योद्धा की तरह रण में खड़ी है, जिसमें उसके सभी परंपरागत हथियार फेल हो गए हैं और किला फतह करने का कोई भी रास्ता सूझ नहीं रहा है। इस समय भाजपा का हाल अभिमन्यु की तरह हो चला है। जिस प्रकार अभिमन्यु महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह के सभी द्वारों को एक-एक कर भेद दिया, किन्तु अंतिम द्वार को भेदने की कला उन्हें नहीं पता थी। उसका परिणाम हम सभी को पता है।

राष्ट्रीय सर्वे पर लोकल सर्वे भी लगा रहे मुहर
एक-एक कर ढहते दुर्गों को बचाने में नाकाम होती मोदी की भाजपा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कराए जा रहे सर्वे ने खतरे की घंटी बजा दी है। लोकसभा चुनाव अभी लगभग आठ महीने दूर है। किन्तु, उसके परिणामों की धुंधली सी तस्वीर को यह ओपियन पोल कुछ हद तक साफ करते नजर आ रहे हैं। यूं कहें कि सर्वे के आईने में देखने पर भाजपा के लड़खड़ाने के तस्वीर अब स्पष्ट रूप से नजर आने लगी है। इसका असर अब लोकल स्तर पर होने वाले भी सर्वे में भी दिखने लगा है। अभी हाल में 'नोएडा खबर' द्वारा कराए गए सर्वे ने भी यहां के बड़े-बड़े नेताओं के पसीने निकाल दिए हैं। इस सर्वे के परिणाम बता रहे हैं कि गौतमबुद्ध नगर की जनता अपने सांसद को बदलना चाहती है।

क्या कहता है सर्वे
‘एनसीआर ख़बर’ न्यूज़ पोर्टल ने ट्विटर (एक्स) पर एक सर्वे किया है। उसमें गौतमबुद्ध नगर के मतदाताओं से भारतीय जनता पार्टी के संभावित उम्मीदवार का नाम पूछा गया। इस सर्वे में लोगों को छह संभावित उम्मीदवारों के नाम बतौर विकल्प दिए गए और सातवां विकल्प नोटा था। गौतमबुद्ध नगर के मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर को पहली पसंद बताया गया है। जबकि मौजूदा सांसद डॉक्टर महेश शर्मा इस सर्वे में उनसे काफ़ी पिछड़ते नजर आए हैं। सर्वे के विकल्पों में मौजूदा सांसद डॉक्टर महेश शर्मा, राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर, ज़ेवर से विधायक धीरेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल, गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी रह चुके आईएएस अफ़सर बीएन सिंह और नोटा को बतौर विकल्प आम आदमी के सामने रखा गया था। इस सर्वे में 18,490 लोगों ने अपनी राय रखी है।

चुनाव जीतने के लिए मोदी का चेहरा और हिंदुत्व पर्याप्त नहीं
 आरएसएस के मुखपत्र- साप्ताहिक पत्रिका ऑर्गेनाइजर ने अपने 23 मई के लेख में भाजपा नेताओं को आईना दिखाते हुए प्रकाशित लेख के जरिए सभी चुनाव जीतने के लिए सिर्फ 'मोदी मैजिक' और हिंदुत्व का इस्तेमाल करने की लोकप्रिय धारणा को खारिज कर दिया है। यह सर्वे हाल ही में कर्नाटक चुनावों में भाजपा की हार के बाद और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले आया है। आरएसएस की सहयोगी पत्रिका ने आगे कहा कि बीजेपी को मजबूत क्षेत्रीय नेतृत्व और क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावी डिलीवरी की जरूरत है। पत्रिका में कहा गया है, "क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत नेतृत्व और प्रभावी वितरण के बिना, पीएम मोदी का करिश्मा और हिंदुत्व पर्याप्त नहीं होगा।" 

स्मॉल बॉक्स इंडिया के सर्वे ने उड़ाई नींद
स्माल बॉक्स इंडिया के ओपिनियन पोल में मध्य प्रदेश में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाते हुए दिखाया गया है। स्माल बॉक्स इंडिया के ओपिनियन पोल के मुताबिक़ प्रदेश में कांग्रेस को 124 से 135 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी को 70-80 सीटों तक ही सिमटते हुए बताया गया है। अन्य के खाते में इस ओपिनियन पोल में 12-15 सीटें बताई गईं हैं। अन्य में सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी शामिल है। बता दें कि ‘स्मॉल बॉक्स इंडिया’ का कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और एमसीडी चुनाव में ओपिनियन पोल सही साबित हुआ था। स्माल बॉक्स ने बताया था कि कर्नाटक में कांग्रेस, हिमाचल में कांग्रेस, गुजरात में भाजपा और एमसीडी में आप की जीत होगी।

छत्रपों को खत्म किया
जैसा कि आरएसएस की साप्ताहिक पत्रिका ऑर्गेनाइजर ने प्रकाशित अंक में स्पष्ट रूप से कहा है कि मजबूत नेतृत्व और क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावी डिलीवरी के बिना चुनाव जीते नहीं जा सकते हैं। किन्तु, यहां यह गौर करने वाली बात है कि मोदी ने सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले छत्रपों को ही ठिकाने लगाया है। क्योंकि अब तक जितने चुनाव हुए हैं, नरेंद्र मोदी ने अपने ही फेस को आगे रखा है। अगर हम पांच राज्यों हिमाचल, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की बात करें तो आज भाजपा के पास वहां लड़ने के लिए कोई चेहरा नहीं बचा है। कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा, हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह, राजस्थान में महारानी वसुंधरा राजे सिंधिया, मध्य प्रदेश में 'मामा' शिवराज को तेजविहीन कर दिया है। इसका परिणाम कर्नाटक और हिमाचल में देखने को मिल चुका है।

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