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Noida News : चंद्रयान-3 के स्वागत के लिए चांद तैयार है। सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। भगवान शिव और चांद का रिश्ता भी आदिकाल से ही है। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। पौराणिक मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ और उसमें से विष निकला तो ब्रह्मांड के अस्तित्व को बचाने के लिए महादेव ने हलाला अर्थात विष को धारण किया। विष को अपने कंठ में धारण करने के बाद भगवान शिव को जो पीड़ा हुई, उसके निवारण के लिए देवताओं ने चंद्रमा से अनुरोध किया कि आप उन्हें शीतलता प्रदान करें। चंद्रमा की शीतलता से अग्नि का ताप भी ठंडा पड़ जाता है। इसी कारण चंद्र देव और अन्य सभी ने भगवान शिव से चंद्र को अपने शीश पर स्थापित करने की प्रार्थना की। उसके बाद महादेव ने अपने मस्तक पर अर्ध चंद्र को स्थान दिया था।