20 हजार से अधिक फ्लैट मालिकों को नहीं मिला मालिकाना हक, सरकारी खजाने पर पड़ रहा सीधा असर

नोएडा में बिल्डरों की मनमानी : 20 हजार से अधिक फ्लैट मालिकों को नहीं मिला मालिकाना हक, सरकारी खजाने पर पड़ रहा सीधा असर

20 हजार से अधिक फ्लैट मालिकों को नहीं मिला मालिकाना हक, सरकारी खजाने पर पड़ रहा सीधा असर

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Noida News : नोएडा के ज्यादातर इलाकों में फ्लैट्स ही फ्लैट्स दिखाई देते है। लेकिन यहां हजारों फ्लैट ऐसे भी हैं जिनकी सालों से रजिस्ट्री नहीं हुई है। दरअसल, शहर में 20 हजार से अधिक फ्लैट ऐसे हैं, जिनकी रजिस्ट्री सालों से बिल्डर्स ने नहीं कराई है। इसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है। निबंधन विभाग को स्टांप ड्यूटी के रूप में मिलने वाले 1311 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा नहीं हो पाए हैं।

1596 फ्लैट्स में से केवल 200 की हुई रजिस्ट्री
इस मामले में कई फ्लैट मालिकों ने अपनी तकलीफ बताई। सेक्टर-137 स्थित अंतरिक्ष गोल्फ व्यू-1 की रहने वाली सपना मिश्रा ने बताया कि 2015 से 2024 तक नौ साल बीत जाने के बाद भी उनकी सोसायटी के 1596 फ्लैट्स में से केवल 200 की ही रजिस्ट्री हुई है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 6382 फ्लैटों को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) और कंपलीशन सर्टिफिकेट (सीसी) जारी होने के बावजूद बिल्डरों ने रजिस्ट्री नहीं कराई है। कुल मिलाकर 20,214 फ्लैट मालिकों को अभी तक अपने घर का मालिकाना हक नहीं मिल पाया है। इस परेशानी के चलते लोग सोशल मीडिया के जरिए लगतार सरकार और प्राधिकरण से गुहार लगा रहे है।

निबंधन विभाग ने बिल्डरों को भेजा नोटिस 
इसी तरह, सेक्टर-77 की प्रतीक विस्टेरिया सोसायटी में 2014 से लोग रह रहे हैं, लेकिन 1800 फ्लैट्स में से करीब 250-300 फ्लैट्स की रजिस्ट्री अभी तक नहीं हुई है। यहां के बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण का लगभग 100 करोड़ रुपये बकाया है। निबंधन विभाग ने इस मामले में संबंधित बिल्डरों को नोटिस भेजा है और जल्द से जल्द रजिस्ट्री कराने के लिए कहा है। लेकिन समस्या यह है कि कई बिल्डरों का प्राधिकरण पर बकाया होने के कारण परियोजनाओं को ओसी और सीसी जारी नहीं हो पा रहे हैं।

न्यायालयों का दरवाजा भी खटखटा चुके खरीदार
इस मामले में फ्लैट खरीदारों ने कई बार न्यायालयों का दरवाजा भी खटखटाया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। इस घोटाले का असर विभाग के मासिक लक्ष्य पर भी पड़ रहा है। जून, जुलाई और अगस्त महीने में विभाग अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है।

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