Tricity Today | डॉ.महेश शर्मा ने की सौरभ प्रसाद से मुलाकात
Noida News : नोएडा में रहने वाले तीरंदाज सौरभ प्रसाद (Saurabh Prasad) आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। इस खबर को सुनते ही गौतमबुद्ध नगर के सांसद डॉ.महेश शर्मा (Dr. Mahesh Sharma ने सौरभ प्रसाद से मुलाकात करने के लिए अपने कार्यालय में बुलाया। सौरभ ने डॉ. महेश शर्मा से अपनी परेशानियों के बारे में बताते हुए एक धनुष की मांग की। जिस पर डॉ.महेश शर्मा ने तुरंत उनका एक नया धनुष दिलवाने की मंजूरी दी।
एक जनप्रतिनिधि होने के नाते यह मेरा फर्ज : डॉ.महेश शर्मा
इस मौके पर डॉ.महेश शर्मा जी ने कहा, "मीडिया के माध्यम से उनको तीरंदाज सौरभ प्रसाद की समस्याओं के बारे में पता चला। यह बहुत ही दुःख की बात है। एक युवा मेधावी खिलाड़ी संसाधनों के अभाव से अपने खेल पर ध्यान नहीं दे पा रहे।" उन्होंने आगे कहा, एक जनप्रतिनिधि होने के नाते यह मेरा फर्ज है कि मैं सौरभ प्रसाद जैसे मेधावी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए उनकी सहायता करुं। मैं आगे भी हर तरीके से सौरभ और इन जैसे सभी मेहनती और मेधावी युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा।"
धनुष से देश-विदेश में बनाई पहचान
दरअसल, सौरव प्रसाद डीयू के अग्रसेन कॉलेज में पढ़ते हैं। पिता की नौकरी जाने के बाद अब घर की स्थिति ऐसी है कि सौरभ कॉलेज की फीस भी जमा नहीं कर पा रहे हैं। सौरभ आर्थिक तंगी से इस तरह मजबूर आ गए हैं कि जिस धनुष से उन्हें देश-प्रदेश में पहचान मिली, आज उसी को बेचने की नौबत आ गई है।
ईएमआई पर लिया धनुष
नोएडा के सेक्टर-20 केजी ब्लॉक में सौरव प्रसाद अपने परिवार के साथ रहते हैं। सौरभ ने अपना धनुष ईएमआई पर लिया था। जिसकी कीमत आज से 4 साल पहले 2 लाख रुपए थी। उस समय सौरभ के पिता नौकरी करते थे। जिससे ईएमआई के रुपए भरने में दिक्कत नहीं आती थी। कुछ समय पहले पिता की नौकरी छूट गई है। सौरभ के परिवार में 7 सदस्य रहते हैं, जो अब परेशानियों से जूझ रहे है।
कॉलेज प्रबंधन ने काफी बार फीस जमा करने के लिए बोला, लेकिन
सौरभ दिसंबर से कॉलेज की फीस जमा नहीं कर पाए हैं। इस महीने तक उन्हें 11 हजार रुपए जमा करने थे, लेकिन पैसे ना होने के कारण वह फीस नहीं जमा कर पाए। कई बार कॉलेज प्रबंधन ने फीस जमा कराने के लिए भी बोला है, लेकिन स्पोर्ट्स कोटे में दाखिल होने के कारण उन्हें थोड़ी राहत मिल जाती है।
इस तरीके से चलता है सौरभ का पालन-पोषण
सौरभ अपने परिवार के साथ एक बीएचके मकान में रहते हैं। सौरव का बड़ा भाई एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी करता है। जिसकी आय से केवल परिवार का पालन-पोषण ही हो पाता है। सौरभ ने मेरठ में दो बार आयोजित प्रदेश तीरंदाज प्रतियोगिता में भाग लिया था। वहीं, एक महीने पहले राष्ट्रीय तीरंदाजी के लिए मथुरा में ट्रायल हुआ था। जिसमें सौरव ने भाग लिया था।
"डॉ.महेश शर्मा बने तीरंदाज सौरभ प्रसाद का सहारा"
सौरभ का कहना है कि एकेडमी की फीस के साथ साथ घर के अन्य खर्चे भी हैं। घर की स्थिति को देखते हुए एकेडमी की फीस जमा कर पाना मुश्किल है। खेल से जुड़े न जाने कितने सपने देखे थे, लेकिन अब धीरे-धीरे करके सब खत्म होते जा रहे हैं। अगर यही स्थिति रही तो एक दिन तीरंदाजी भी छोड़नी पड़ सकती है, लेकिन अब डॉ.महेश शर्मा की इस पहल से सौरभ के लिए उम्मीद की किरण एक बार फिर जगीं है।