आरोपी डा. समीर सर्राफ को ढाई माह बाद जमानत, लखनऊ बैंच ने दिए आदेश

इटावा का पेसमेकर घोटाला : आरोपी डा. समीर सर्राफ को ढाई माह बाद जमानत, लखनऊ बैंच ने दिए आदेश

आरोपी डा. समीर सर्राफ को ढाई माह बाद जमानत, लखनऊ बैंच ने दिए आदेश

Tricity Today | पुलिस गिरफ्त में आरोपी डाक्टर

Etawah News : पेसमेकर घोटाले में लखनऊ जेल में बंद उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के हृदय रोग विभाग के डा. समीर सर्राफ को ढाई माह बाद जमानत मिल गई। हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने उन्हें जमानत पर रिहा करने के आदेश भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय को दिए हैं। पुलिस ने उन्हें 7 नवंबर 2023 को दुमीला बार्डर से गिरफ्तार कर लखनऊ के भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय में पेश किया था जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था। डा. समीर सर्राफ की पत्नी रितु गुप्ता ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद जमानत मंजूर हो गई है। शुक्रवार को यह आदेश हो गए थे। मामले की विवेचना कर रहे सीओ नागेंद्र चौबे का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। अभी चार्जशीट न्यायालय में दाखिल नहीं की गई है, जांच पूरी होने के बाद चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

नकली पेसमेकर से गई मरीजों की जान
सस्ते और घटिया पेसमेकर से जूझने के बाद कई मरीजों की जान चली गई। लोग डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप मानते हैं। आम तौर पर मरीज़ डॉक्टर पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं, लेकिन जब कोई डॉक्टर चंद रुपयों की ख़ातिर अपने पेशे से ही गद्दारी करने लगे, लोगों की ज़िंदगी दांव पर लगा दे, तो कोई क्या ही कर सकता है। 

6 साल बाद आरोपी की गिरफ्तारी
पेशे के तमाम ऊसूलों को ताक पर रख कर करीब छह सौ से ज़्यादा मरीजों के साथ जानलेवा धोखाधड़ी करने की ये कहानी उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले की है। ये सबकुछ उसी इटावा की सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुआ है, जिसकी नींव कभी मुलायम सिंह यादव ने रखी थी। करीब छह साल तक चली जांच के बाद पुलिस ने अब जब इस मामले के आरोपी डॉक्टर समीर सर्राफ को गिरफ़्तार किया है। तो मरीजों के सीने में नकली पेसपेकर लगाने की ऐसी-ऐसी कहानियों का खुलासा हो रहा है कि जांच करने वाली पुलिस भी हैरान है।

2017 से आ रही थीं मरीजों की शिकायतें
बता दें कि असल में सैफई के कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में तैनात डॉक्टर समीर सर्राफ के पेसमेकर लगाए गए मरीजों के रह-रह कर बीमार होने, तरह-तरह की परेशानियों से घिरने और मारे जाने की शिकायतें साल 2017 से ही आ रही थीं। तब इटावा के नज़दीकी ज़िले मैनपुरी के कई मरीजों और उनके घरवालों ने इस सिलसिले में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी से शिकायत भी की थी।

डॉक्टर सर्राफ के ख़िलाफ CMS ने दर्ज कराई थी FIR
कहते हैं कि तब इस मामले की जांच के लिए यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों की ही एक कमेटी भी बनाई गई थी, लेकिन इसके बाद बात आई गई हो गई। दूसरे शब्दों में कहें तो तब ये बात दबा दी गई, लेकिन इसके अगले ही साल इस मामले में तब एक बड़ा ट्विस्ट आ गया, जब सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के सीएमएस यानी चीफ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर आदेश कुमार ने बाक़ायदा डॉक्टर सर्राफ के ख़िलाफ इलाज के साथ-साथ मेडिकल इक्विपमेंट की ख़रीद के मामले में भी भ्रष्टाचार का इल्ज़ाम लगाते हुए पुलिस ने नामज़द रिपोर्ट लिखवा दी।

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