राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किसानों को जेल भेजने के मामले में नोएडा पुलिस से मांगा जवाब, कार्यशैली पर उठाए सवाल, जानें क्या कहा

BIG BREAKING : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किसानों को जेल भेजने के मामले में नोएडा पुलिस से मांगा जवाब, कार्यशैली पर उठाए सवाल, जानें क्या कहा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किसानों को जेल भेजने के मामले में नोएडा पुलिस से मांगा जवाब, कार्यशैली पर उठाए सवाल, जानें क्या कहा

Google Image | राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नोएडा पुलिस को नोटिस जारी किया

Noida News : नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के खिलाफ 1 सितंबर से धरना दे रहे किसानों को जेल भेजने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission of India) ने नोएडा पुलिस को नोटिस जारी किया है। कमीशन ने पुलिस कमिश्नर को भेजे अपने नोटिस में 4 हफ्ते में पूरे प्रकरण पर जवाब मांगा है। साथ ही आयोग ने कहा है कि पूरा मामला बेहद चिंताजनक है। पुलिस पर लगे आरोप संवेदनशील हैं। सैकड़ों किसानों को गैर कानूनी ढंग से हिरासत में लेकर बिना मुकदमा दर्ज किए जेल भेजना कहीं से तर्कसंगत नहीं लग रहा। इस पूरे प्रकरण में नोएडा पुलिस ने पीड़ितों के मानवाधिकार का उल्लंघन किया है। कमीशन देश के नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित है। इस तरह के कारवाई पर एक्शन लिया जाएगा। कमीशन ने यह आदेश 21 सितंबर को जारी किया है। मतलब एक हफ्ता पहले ही निकल चुका है। अब अगले 3 हफ्तों में नोएडा पुलिस को एनएचआरसी को जवाब देना होगा।

6 सितंबर को की शिकायत
बताते चलें कि 81 गांवों के हजारों किसान 1 सितंबर से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अथॉरिटी दफ्तर के बाहर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मामले में नोएडा पुलिस ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए 104 किसानों और नेताओं को हिरासत में लिया था। लेकिन उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया। बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया। यहां तक कि उनके परिजनों और अधिवक्ताओं तक को कोई जानकारी नहीं दी जा रही थी। इससे परिजन बेहद दुखी थे। इसी मामले में किसान नेता सुखबीर खलीफा के पक्ष में अधिवक्ता सचिन अवाना ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पूरे प्रकरण से अवगत कराया था। उन्होंने 6 सितंबर को पूरे मामले की जानकारी एनएचआरसी को दी थी। उनकी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने पूरे मामले की समीक्षा की। इसके बाद 21 सितंबर को कमीशन ने नोएडा के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह को एक नोटिस भेजा है।  उसमें कहा गया है कि अगले 4 हफ्ते में नोएडा पुलिस अपना जवाब दाखिल करे।

तथ्य हैरान करने वाले हैं
अपने नोटिस में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है, ‘हमें 6 सितंबर को नोएडा के निवासी सचिन अवाना की शिकायत मिली है। इसमें बताया गया है कि 81 गांवों के हजारों किसान आबादी प्लॉट और अपने घरों के नियमितीकरण समेत कई मांगों को लेकर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान 1, 2 और 3 सितंबर को कानून तोड़ने का आरोप लगाते हुए नोएडा पुलिस ने सैकड़ों किसानों को गिरफ्तार किया और उन्हें कोर्ट में बिना पेश किए ही जेल भेज दिया। पीड़ित ने कहा कि सभी किसान नेताओं को कानून तोड़ने के जुर्म में जेल में रखा गया। इसलिए इसमें आयोग का दखल जरूरी है। कमीशन ने मामले को समझा है। इस केस के सभी तथ्य बेहद चिंताजनक है। शिकायत में लगाए गए आरोप बेहद संवेदनशील हैं। सैकड़ों किसानों को बिना मामला दर्ज किए जेल भेजना चिंतनीय है। इन पीड़ितों और उनके परिवारों के मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। इस पूरे मामले में नोएडा पुलिस निर्धारित वक्त में अपना जवाब दाखिल करे।

कानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर किया प्रताड़ित
इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए किसान नेता सुखबीर पहलवान के वकील सचिन अवाना ने ट्राइसिटी टुडे से बातचीत की। उन्होंने बताया कि, ‘पुलिस ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर कानून का गलत इस्तेमाल किया है। हमें मजबूरन एनएचआरसी को पूरे प्रकरण से अवगत कराना पड़ा। 6 सितंबर को कमीशन को भेजे गए शिकायत में वकील सचिन अवाना ने कहा है, सभी पीड़ित किसान नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। इसमें 81 गांव के हजारों किसान शामिल थे और नोएडा प्राधिकरण की विसंगतियों को लेकर आवाज उठा रहे थे। किसानों की मांग की थी उनके घरों को रेगुलराइज किया जाए। मगर इस प्रदर्शन को रोकने के लिए नोएडा पुलिस ने गलत तरीका इस्तेमाल किया। आंदोलन के पहले दिन 1 सितंबर को ही 40 किसानों को गिरफ्तार किया गया। जबकि 2 सितंबर को 35 और 3 सितंबर को 25 किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। इन सभी को जेल भेज दिया गया। प्रदर्शन रोकने के नाम पर पुलिस ने खुद अन्यायपूर्ण कार्रवाई की।’ 

सेक्शन 151 का गलत इस्तेमाल हुआ 
अधिवक्ता सचिन ने बताया, ‘कानून- व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर पुलिस ने करीब 104 किसानों व नेताओं को गिरफ्तार किया। उन्हें जुडिशल मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए बिना ही सीधे जेल भेज दिया गया। उसके बाद इनके परिजन और अधिवक्ता पुलिस अफसरों, थानों और चौकियों के चक्कर लगाते रहे। एफआईआर या किसी दूसरे दस्तावेज की मांग की गई। लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। किसानों की रिहाई के लिए टि्वटर समेत सोशल मीडिया पर लोगों ने आवाज उठाई। नोएडा पुलिस से पूछा गया कि उन्होंने किस अपराध में इतनी बड़ी संख्या में किसानों को जेल भेजा है। इसका जवाब देते हुए एडीसीपी रणविजय सिंह ने कहा था कि सभी को सीआरपीसी के सेक्शन 151 के तहत स्पेशल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर हवालात में भेजा गया है। सचिन ने कहा, इस पूरे मामले में नोएडा पुलिस की थ्यौरी गलत है। दरअसल सेक्शन 151 (उपबंध-2) यह कहता है कि (उपबंध-1) के तहत स्पेशल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट द्वारा हिरासत में भेजे गए किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा जेल में नहीं रखा जाएगा। जब तक उसे हिरासत में रखने की बहुत ज्यादा जरूरत ना हो।’

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