स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में अथॉरिटी अफसर लखनऊ तलब, पीएसी करेगी सुनवाई

नोएडा अथॉरिटी से बड़ी खबर : स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में अथॉरिटी अफसर लखनऊ तलब, पीएसी करेगी सुनवाई

स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में अथॉरिटी अफसर लखनऊ तलब, पीएसी करेगी सुनवाई

Google Image | नोएडा अथॉरिटी

Noida News : नोएडा अथॉरिटी में हुए घोटालों की खबर लेने एक बार फिर लोक लेखा समिति (पीएसी) ने अथॉरिटी के अफसरों को तलब किया है। इस बार नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी परियोजना पर सीएजी की आपत्तियों को लेकर पूछताछ होगी। लोक लेखा समिति नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बैठक करेगी। यह बैठक 24 जुलाई को लखनऊ में होगी।

लोक लेखा समिति की चौथी बैठक होगी
नोएडा अथॉरिटी और राज्य सरकार में सूत्रों की मानें तो लोक लेखा समिति ने नोएडा प्राधिकरण से स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में हुए भूखंडों के सब-डिवीजन पर अलग से रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट प्राधिकरण तैयार करवा रहा है। इसके अलावा स्टेटस रिपोर्ट प्राधिकरण सौंपेगा। जिसमें अब तक ऑडिट आपत्तियों पर लिए गए फैसलों की जानकारी दी जाएगी। इसके पहले तीन बार इस मामले में सुनवाई हो चुकी है। स्पोर्ट्स सिटी पर यह चौथी सुनवाई है।

बिल्डरों ने स्पोर्ट्स सिटी के चार प्लॉट्स 84 हिस्सों में बांट डाले
स्पोर्ट्स सिटी परियोजना शहर के सेक्टर-78, सेक्टर-79, सेक्टर-101, सेक्टर-150 और सेक्टर-152 में वर्ष 2008-09 व 2012-13 में लाई गई थी। यहां पर प्राधिकरण ने तीन बिल्डरों को 4 बड़े-बड़े भूखंड आवंटित किए थे। भूखंड लेने वाले बिल्डरों ने खेल सुविधाएं तो विकसित नहीं कीं और भूखंड के सब-डिवीजन करके मुनाफे के लिए दूसरे बिल्डरों को बेच डाले। अब तक 4 भूखंड के 84 सब डिवीजन हो चुके हैं। जनवरी 2021 से प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी के लिए ओसी-सीसी जारी करने और भूखंडों के सब डिवीजन पर रोक लगाई हुई है। सीएजी ने स्पोर्ट्स सिटी में 8,643 करोड़ रुपये घाटे की आपत्तियां लगाई हुई हैं। इनके निस्तारण को लेकर लोक लेखा समिति सुनवाई कर रही है। प्राधिकरण ने सुनवाई के लिए स्टेटस रिपोर्ट कंसल्टेंट से तैयार करवाई है।

जिम्मेदार अफसरों-कर्मचारियों की पहचान नहीं हो पाई
इस रिपोर्ट में बहुत से तथ्य सामने आने बाकी हैं। सब डिवीजन को 2008 से 2016 के बीच अधिकारियों ने मंजूरी दी हैं। यही नहीं नक्शे भी पास किए हैं। अब प्राधिकरण अधिकारी खेल सुविधाएं विकसित करने के लिए बिल्डरों के साथ बैठक कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर प्राधिकरण में एसीईओ की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच शुरू कर दी है। इस समिति को स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में नियमों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम शासन को बताने हैं। खासतौर से उस वक्त जब इन परियोजना में 79 प्रतिशत हिस्से में खेल सुविधाएं विकसित की जानी थीं तो इसकी निगरानी क्यों नहीं की गई? प्राथमिकता के आधार पर बिल्डरों के आवासीय हिस्से के नक्शे क्यों पास किए गए? जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों पर शासन स्तर से कार्रवाई होगी।

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