Noida News : गर्भनिरोधक का सही और समय पर उपयोग अनचाहे गर्भधारण से बचाव का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह न केवल परिवार नियोजन को सक्षम बनाता है, बल्कि यौन संचारित रोगों से भी बचाव करता है। गर्भनिरोधक के विभिन्न उपायों में से किसी एक का चयन करते समय डॉक्टर की सलाह और व्यक्ति की स्थिति को ध्यान में रखना आवश्यक है। जागरूकता और सही जानकारी से ही इस क्षेत्र में बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। फेलिक्स अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सोनिया कुरुविल्ला ने बताया कि विश्व गर्भनिरोधक दिवस हर साल 26 सितंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाना, गर्भनिरोधक उपायों की जानकारी देना और अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए विभिन्न साधनों के बारे में लोगों को शिक्षित करना है।
अनचाहे गर्भधारण से ऐसे बचें
उन्होंने बताया कि इस दिन का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित यौन जीवन और प्रजनन के लिए सही जानकारी और संसाधनों को बढ़ावा देना है, ताकि युवा पीढ़ी को जागरूक किया जा सके कि वे अपने भविष्य के बारे में समझदारी से निर्णय ले सकें। गर्भनिरोधक के उपयोग के बारे में सही जानकारी देना। यौन संचारित रोगों (एसटीडी) से बचाव के उपाय बताना, और सही समय पर परिवार नियोजन के महत्व को समझाना इस अभियान का हिस्सा होता है। गर्भनिरोधक एक ऐसा उपाय है, जिसका उपयोग अनचाहे गर्भधारण से बचने के लिए किया जाता है। इसके जरिए परिवार नियोजन को नियंत्रित किया जाता है और यौन संबंधों के दौरान अनियोजित गर्भधारण से बचा जा सकता है। गर्भनिरोधक के कई प्रकार होते हैं, जिनमें गर्भनिरोधक गोलियां, कंडोम, इंट्रायूटेराइन डिवाइस (आईयूडी), गर्भनिरोधक इंजेक्शन, इम्प्लांट्स, नसबंदी आदि शामिल हैं। इसका उद्देश्य परिवार नियोजन के लिए सही निर्णय लेना और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना है। दंपत्ति अपने परिवार के आकार को नियंत्रित करने के लिए गर्भनिरोधक का उपयोग करते हैं। इससे उन्हें सही समय पर संतान उत्पन्न करने का निर्णय लेने में मदद मिलती है।
इसका रखें ध्यान
कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में महिलाओं को गर्भधारण से बचने की सलाह दी जाती है, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, या हृदय रोग। ऐसे मामलों में गर्भनिरोधक का उपयोग जरूरी हो सकता है। गर्भनिरोधक उपाय जैसे कंडोम, यौन संचारित रोगों (एसडीटी) से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे एचआईवी, सिफलिस और गोनोरिया जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। दो बच्चों के बीच उचित अंतराल रखना गर्भनिरोधक का एक और प्रमुख कारण है, जिससे मां का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे और संतान भी स्वस्थ पैदा हो। कंडोम एक सरल और सुलभ गर्भनिरोधक उपाय है, जो अनचाहे गर्भधारण से बचाव करता है और यौन संचारित रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। गर्भनिरोधक गोलियां यह हार्मोनल गोलियां होती हैं, जो महिलाओं के अंडाणु और शुक्राणु के मिलने की प्रक्रिया को रोकती हैं। इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लिया जाना चाहिए।
इंट्रायूटेराइन डिवाइस
यह एक छोटा यंत्र होता है, जो गर्भाशय में डाला जाता है और गर्भधारण को रोकता है। यह लंबे समय तक चलने वाला गर्भनिरोधक उपाय है। वहीं नसबंदी स्थायी गर्भनिरोधक उपाय है, जिसमें पुरुषों या महिलाओं के प्रजनन अंगों को स्थायी रूप से कार्यशील नहीं किया जाता। इसका प्रयोग तब किया जाता है, जब व्यक्ति आगे संतान नहीं चाहता। गर्भनिरोधक इंजेक्शन और इम्प्लांट्स यह हार्मोनल उपाय होते हैं, जो गर्भधारण को रोकते हैं और लंबे समय तक कारगर होते हैं। यौन संबंधों के दौरान कंडोम का उपयोग सबसे सरल और प्रभावी तरीका है, जो गर्भधारण और यौन रोगों दोनों से बचाव करता है।
जानकारी जरूरी है
सही जानकारी और जागरूकता के अभाव में लोग गर्भनिरोधक का सही उपयोग नहीं कर पाते। इसलिए, युवाओं को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति के अनुसार सही गर्भनिरोधक उपाय का चयन करना जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाले लोगों को नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह और जांच करानी चाहिए, ताकि किसी भी दुष्प्रभाव या समस्या का समय पर समाधान किया जा सके।
गर्भनिरोधक के लक्षण
कुछ महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के बाद मासिक धर्म में अनियमितता, अधिक या कम ब्लीडिंग हो सकती है। गर्भनिरोधक उपाय, विशेषकर हार्मोनल गर्भनिरोधक जैसे गोलियां और इंजेक्शन का उपयोग करने से कुछ महिलाओं का वजन बढ़ सकता है या घट सकता है। गर्भनिरोधक हार्मोनल परिवर्तन करते हैं, जिससे मूड स्विंग्स, अवसाद या चिड़चिड़ापन हो सकता है। कुछ महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों या अन्य उपायों के सेवन के बाद सिरदर्द और मतली की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।