Noida News : नोएडा के सेक्टर-151ए में जेवर एयरपोर्ट की तरह देश का सबसे बड़ा हेलीपोर्ट बनने जा रहा है। इसके लिए ग्लोबल टेंडर भी जारी किए गए थे, लेकिन अब यह टेंडर रद्द हो सकता है। निकाले गए टेंडर में एक कंपनी आई थी। जिसके दस्तावेजों में कुछ खामियां पाई गई हैं। ऐसे में अब यह टेंडर दोबारा निकाला जा सकता है। फिलहाल, हेलीपोर्ट के लिए टेक्निकल बिड खोली गई थी, लेकिन टेंडर प्रक्रिया दोबारा होगी या नहीं इसका फैसला शासन स्तर पर लिया जाएगा।
इस कंपनी ने किया टेंडर के लिए आवेदन
आपको बता दें कि कुछ समय पहले प्राधिकरण में हेलीपोर्ट निर्माण के ग्लोबल टेंडर निकालने के लिए शासन के साथ बैठक की। जिसके बाद शासन ने इसे हरी झंडी दिखा दी थी। शासन से अनुमति मिलते ही प्राधिकरण द्वारा ग्लोबल टेंडर जारी किया गया। जिसमें दक्षिण भारत की कंपनी रिफेक्स इंडस्ट्रीज ने टेंडर डाला। फिर प्राधिकरण ने टेक्निकल बिड खोल दी। टेक्निकल बिड में कंपनी द्वारा दस्तावेज जमा कराए गए। अधिकारियों का कहना है की कंपनी का रेफ्रिजरेशन का काम है। साथ ही कॉलिंग गैस और पावर सेक्टर में भी कंपनी का अच्छा खासा अनुभव है। वहीं, जब कंपनी ने टेक्निकल बिड शुरू होने पर अपने दस्तावेज जमा किए। फिर उन दस्तावेजों की जांच की गई। जांच के दौरान दस्तावेजों में खामियां मिली है। ऐसे में अब यह कंपनी टेंडर के मानकों पर खरी नहीं उतर पा रही है। जिसके चलते यह टेंडर दोबारा निकाला जा सकती है। इसका फैसला शासन स्तर पर लिया जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट की तरह होगा हेलीपोर्ट का निर्माण
जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की तरह ही नोएडा में हेलीपोर्ट का निर्माण किया जाएगा। हेलीपोर्ट के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण जमीन उपलब्ध करवाएगा। जल्दी ही टेंडर निकाला जाएगा। जिसमें प्रति यात्री सबसे ज्यादा फीस देने वाली कंपनी को ठेका मिलेगा। यह फीस कंपनी विकास प्राधिकरण को देगी। कंपनी को अगले 30 वर्षों के लिए इस हेलीपोर्ट का संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। यही मॉडल जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के लिए अपनाया गया है। हवाईअड्डे के लिए जमीन सरकार और जिले के तीनों विकास प्राधिकरण होने दी है। जूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी ने प्रति यात्री सर्वाधिक बोली लगाकर टेंडर हासिल किया है।
दुनिया का सबसे बड़ा हेलीकॉप्टर एमआई-172 उतर सकेगा
नोएडा हेलीपोर्ट का उपयोग बहुउद्देशीय होगा। यहां से कमर्शियल उड़ान होंगी। जिनके लिए बेल-412 हेलीकॉप्टर उपयोग होते हैं। इन हेलीकॉप्टर्स में 12 यात्री सवार हो सकते हैं। साथ-साथ वीवीआईपी मूवमेंट के लिए इस्तेमाल होने वाले दुनिया के सबसे बड़े हेलीकॉप्टर एमआई-172 भी यहां लैंड-टेकऑफ कर सकेगा। इन हेलीकॉप्टर की क्षमता 26 यात्रियों को लाने या ले जाने की होती है। इन बड़े हेलीकॉप्टर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नोएडा हेलीपोर्ट का डिजाइन तैयार किया गया है।
20 यात्रियों के लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी
इस हेलीपोर्ट से लगातार 20 यात्री आवागमन कर सकेंगे। इनके लिए टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाएगी। टर्मिनल बिल्डिंग 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाई जाएगी। जिसमें सभी तरह की सुविधाएं होंगी। इस रिपोर्ट में 5 बेल-412 हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए पार्किंग की सुविधा रहेगी। यह रिपोर्ट आत्मनिर्भर होगा। इसमें पावर स्टेशन, फायर स्टेशन, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और दूसरी तमाम मूल सुविधाओं का विकास किया जाएगा।
मेट्रो और एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा हेलीपोर्ट, शानदार कनेक्टिविटी होगी
शहर के सेक्टर-151ए में हेलीपोर्ट विकसित किया जा रहा है। इस इलाके की कनेक्टिविटी बहुत शानदार है। जिसका फायदा हेलीपोर्ट पर आने वाले यात्रियों को मिलेगा। यह हेलीपोर्ट नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन के सेक्टर-147 स्टेशन से केवल 3 किलोमीटर दूर है। यमुना एक्सप्रेसवे से दूरी 7 किलोमीटर है। नोएडा शहर से दूरी 17 किलोमीटर है। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 43 किलोमीटर और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 51 किलोमीटर की दूरी है। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की दूरी करीब 20 किलोमीटर है। कुल मिलाकर दिल्ली-एनसीआर के शहर मेरठ, बागपत, सोनीपत, पानीपत, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कुंडली, मानेसर, पलवल, आगरा, मथुरा, हाथरस और बुलंदशहर से हेलीपोर्ट तक पहुंचना बेहद आसान होगा। इन सारे शहरों से हेलीपोर्ट की दूरी 1 से 2 घंटे में तय होती है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे से हेलीपोर्ट सटा हुआ है। आवागमन के लिए चौड़ी सड़कें उपलब्ध हैं।
हेलीपोर्ट में 50 कारों के लिए पार्किंग बनेगी
इस हेलीपोर्ट में बेल और एमआई हेलीकॉप्टर पार्क करने के लिए हैंगर और एप्रेन बनाए जाएंगे। एक हेलीपैड 52 मीटर चौड़ा और 52 मीटर लंबा होगा। इनका टैक्सीवे 10-10 मीटर लंबा-चौड़ा होगा। एक एप्रेन 170 मीटर लंबा और 52 मीटर चौड़ा होगा। ऐसे 5 एप्रेन बनाए जाएंगे। हेलीपोर्ट पर बेल और एमआई हेलीकॉप्टर्स के लिए हैंगर भी बनेगा। एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर 15 मीटर ऊंचा होगा और यहां 50 कारों की पार्किंग सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।