आबोहवा ही नहीं नदियां भी प्रदूषित, कैसे होगा आचमन

दिल्ली-एनसीआर पर प्रदूषण की चौतरफा मार : आबोहवा ही नहीं नदियां भी प्रदूषित, कैसे होगा आचमन

आबोहवा ही नहीं नदियां भी प्रदूषित, कैसे होगा आचमन

Tricity Today | दिल्ली-एनसीआर की नदियां तो और भी प्रदूषित

Noida News : दिवाली के बाद दिल्ली एनसीआर की आबोहवा एक बार फिर अपनी पुरानी रंगत में लौट आई है। दिवाली से पहले हुई बारिश के बाद यहां का मौसम गुलाबी हो चला था और स्वच्छ हवा प्राणदायिनी हो चली थी। किन्तु, दिल्ली-एनसीआर वालों ने दिवाली की रात यहां की हवा में जहर घोल दिया। लोग सांस की बिमारियों से ग्रस्त होकर अस्पताल पहुंचने लगे हैं। समाचार माध्यम की प्राथमिकता में एक बार फिर से प्रदूषण ने अपनी जगह बना ली है। दिवाली के छह दिन बाद एक बड़ा पर्व है छठ। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। जब दिल्ली एनसीआर की नदियों का हाल जानने का प्रयास किया गया तो पिक्चर बिल्कुल खबरनवीशों के मुताबिक ही निकली। मतलब यहां की नदियां तो और भी प्रदूषित हैं। हालात ये हैं कि किनारों पर बेदी पूजन करने लायक घाट नहीं है और आचमन के लायक जल नहीं हैं।

नोएडा-गाजियाबाद में दो प्रमुख नदियां हिंडन और यमुना हैं। दोनों ही छठ के दौरान व्रतियों के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र हैं। दोनों स्थानों पर हजारों की संख्या छठव्रती जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करती हैं। इस समय यमुना और हिंडन दोनों का जल और किनारों की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां छठ का व्रत करने वाले पूजन के लिए बेदी बना सकें और आचमन कर सकें। 

तीन दिवसीय पर्व छठ 17 तारिख से
आस्था का यह तीन दिवसीय पर्व छठ 17 तारीख से शुरू हो रहा है। 17 तारीख को रविवार है। इस दिन को सूर्य उपासना का दिन भी माना जाता है। किन्तु, अब तक गौतमबुद्ध से होकर गुजरने वाली दोनों नदियों के किनारे प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे छठ व्रतियों को किसी प्रकार की कोई सुविधा मिल सके। बता दें 16-17 नवंबर से बेदी बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। जिससे नदी किनारे पूजा का स्थान सुनिश्चित किया जा सके।

17 नवंबर को होगी छठ की शुरुआत
36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू होगा। 18 नवंबर को खरना की पूजा से होगी। 19 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। 20 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद बेदी पर पूजा कर व्रत पूरा किया जाएगा। व्रत शुरू किए जाने से पहले घाट बनाने के साथ वहां बेदी बनाने का कार्य किया जाता है। जिसे करने के लिए श्रद्धालुओं ने स्वयं ही नदी किनारे सफाई का कार्य शुरू कर दिया है।

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