आधे घंटे तक लिफ्ट में फंसे रहे मरीज के परिजन, इमरजेंसी बटन दबाया लेकिन नहीं पहुंची मदद

नोएडा जिला अस्पताल में टला बड़ा हादसा : आधे घंटे तक लिफ्ट में फंसे रहे मरीज के परिजन, इमरजेंसी बटन दबाया लेकिन नहीं पहुंची मदद

आधे घंटे तक लिफ्ट में फंसे रहे मरीज के परिजन, इमरजेंसी बटन दबाया लेकिन नहीं पहुंची मदद

Tricity Today | नोएडा जिला अस्पताल

Noida News : नोएडा एनसीआर में लिफ्ट में फंसने की घटना कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार के तमाम दावों के बावजूद आएदिन लिफ्ट में फंसने का मामला सामने आ रहे है। ऐसी घटनाओं से लोगों की जान भी जा रही है। ताजा मामला सेक्टर-39 में स्थित जिला अस्पताल का है। जहां एक परिवार अपने मरीज से मिलने के लिए पांचवें तले पर जा रहा था। अचानक लिफ्ट बंद हो गई और लोग फंस गए। हालांकि, इस मामले को जिला अस्पताल के अधिकारियों घटना छुपाने की कोशिश की है। मेंटेनेंस डिपार्टमेंट पर लगा आरोप
जिला अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों ने बताया कि वह मरीज से मिलने के लिए पांच के फ्लोर पर जा रहे थे। लिफ्ट बच्चे समेत आधा दर्जन से अधिक लोग सवार थे। सेकंड फ्लोर पर जाते ही लिफ्ट बंद हो गई। उन्होंने इमरजेंसी बटन दबाकर मदद की गुहार लगाई लेकिन बटन काम नहीं कर रहा था। काफी शोर मचाया, फिर भी कोई बचाने नहीं आया। उन्होंने फोन कर घर से परिचित को बुलाया। जब जाकर मेंटेनेंस डिपार्टमेंट को भनक लगी। करीब आधा घंटे तक लिफ्ट में फंसे होने के बाद मेंटेनेंस डिपार्टमेंट ने उन्हें बाहर निकाला। उनका कहना है कि अगर समय रहते हैं उन्हें बाहर नहीं निकाला जाता तो कोई बड़ी घटना घट सकती थी। जिला अस्पताल में अधिकारियों की लापरवाही के कारण हादसा हुआ है।

बढ़ रहे हैं हादसे लेकिन कोई जवाबदेह नहीं
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और गाजियाबाद हाइराइज इमारतों वाले शहर हैं। इन शहरों की ज्यादातर आबादी इन इमारतों में रह रही है। लाखों लोगों को हर वक्त लिफ्ट के सहारे रहना पड़ता है। ऐसे में लगातार हो रहे हादसों से लोग डरे हुए हैं। पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आम्रपाली ड्रीम वैली हादसा में आठ लोगों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद लिफ्ट का सहारा लेने वाला हर व्यक्ति डरा हुआ महसूस कर रहा है। दरअसल, परेशानी की असली वजह इनका प्रॉपर मेंटेनेंस नहीं होना है। दरअसल, लिफ्ट के रखरखाव की जिम्मेदारी किस पर है, लिफ्ट में हादसा हो तो उसे किसकी गलती मानी जाए और किस पर कार्रवाई की जाए, यह तय नहीं है।

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