Noida News : इलाहाबाद हाईकोर्ट में अवमानना मामले को लेकर नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी (Ritu Maheshwari IAS) बुरी तरह फंस गईं। अब किसी तरह सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। हालांकि, अभी भी मुकदमा जारी रहेगा। प्राधिकरण के खिलाफ विभिन्न अदालतों में मुकदमों का ढेर बढ़ता जा रहा है। समय पर पैरवी ना होने के कारण अवमानना के मामले भी बढ़ रहे हैं। लिहाजा, दो दिन पहले ऋतु महेश्वरी ने तमाम मातहत अफसरों को एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अदालती मामलों पर समय से पैरवी की जाए। जवाब दाखिल किए जाएं। अवमानना करने से बचा जाए। अब अगर भविष्य में इस तरह के प्रकरण की पुनरावृत्ति हुई तो जिम्मेदारी विभागों के मुखिया अफसरों की होगी। लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करने का आदेश मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने दिया है। आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से लेकर तमाम अदालतों में करीब 3,700 मुकदमे लंबित हैं।
नोएडा अथॉरिटी की सीईओ के अवमानना में फंसने के बाद सख्ती आई है। सीईओ माहेश्वरी ने एक कार्यालय आदेश जारी किया है। सभी विभागों को चेतावनी दी गई है। अवमानना होने पर विशेष कार्याधिकारी और विभागाध्यक्ष ज़िम्मेदार होंगे। हीलाहवाली करने पर निलंबन की कार्यवाही होगी। प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी को लंबित मामलों की समीक्षा करने के आदेश दिए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक प्राधिकरण के 3,700 से अधिक केस अदालतों में लंबित हैं। सीईओ ने विभाग और सरकार की किरकिरी होने के बाद यह कदम उठाया है।
ऋतु महेश्वरी ने अपने आदेश में लिखा है, "प्रतिदिन यह देखा जा रहा है कि विभागों द्वारा विभिन्न न्यायालयों की ओर से समय-समय पर पारित आदेशों का अनुपालन करने के लिए मामले समय पर प्रस्तुत नहीं किए जा रहे हैं। इन मामलों का समयबद्ध निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है। जिस कारण अवमानना के केस लगातार बढ़ रहे हैं। आज भी आवासीय भवन विभाग के दो और वाह्य विज्ञापन विभाग से जुड़ा एक अवमानना केस में नोटिस प्राप्त हुआ है। मुकदमों की समय पर पैरवी नहीं होने के कारण अवमानना होना बेहद आपत्तिजनक है। यह परिस्थितियां विभागों और विधि विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। अभी बहुत से प्रकरण सुनवाई के बावजूद निस्तारण के लिए प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। ऐसे प्रकरणों को नियमानुसार निस्तारण के लिए तत्काल प्रस्तुत किया जाए।"
ऋतु महेश्वरी ने आगे लिखा है, "न्यायालय में योजित मुकदमों में समुचित और समय से पैरवी नहीं करने की प्रवृत्ति को अब गंभीरता से लिया जाएगा। इस कार्य में किसी भी प्रकार की उदासीनता और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके लिए विशेष कार्य अधिकारी और विभागों के मुखिया अफसर जिम्मेदारी निर्धारित करेंगे। इसके बावजूद अगर भविष्य में ऐसी कोई परिस्थिति उत्पन्न हुई तो निलंबन और कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। शासन को भी रिपोर्ट भेजी जाएगी।"
ऋतु महेश्वरी ने आगे लिखा है, "अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अपने-अपने विभागों में लंबित मुकदमा की समीक्षा करेंगे। उनकी मौजूदा स्थिति के बारे में सूचना और रिपोर्ट देंगे। यह सारी रिपोर्ट 16 मई तक मुख्य कार्यपालक अधिकारी के कार्यालय में भेजनी होंगी। अब अगर अवमानना से जुड़े मुकदमों में समुचित कार्रवाई समय पर नहीं की गई तो उत्तरदायित्व निर्धारित कर के कठोर कार्रवाई होगी।