Noida News : नए नोएडा को बसाने की प्रक्रिया भी तेजी से आगे बढ़ रही है। गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर जिले के कई गांवों की जमीन इसके अंतर्गत आ रही है। जिसको देखते हुए नए नोएडा का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। आपको बता दें कि यह मास्टर प्लान जून 2022 तक तैयार होने की उम्मीद है। यह मास्टर प्लान 2041 तैयार किया जा रहा है। अब से पहले इस मास्टर प्लान को पेश करने की अंतिम तिथि अप्रैल तय की गई थी, लेकिन अब इसे जून 2022 में पेश किए जाने की उम्मीद है।
मास्टर प्लान बनाने की तैयारी एसपीए को सौंपी
गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर जिले में दादरी, नोएडा और गाजियाबाद विशेष निवेश क्षेत्र (डीएनजीआईआर) बसाया जाएगा। जिसमें गौतमबुद्ध नगर के बीच और बुलंदशहर जिले के 60 गांव आते हैं। इसे बसाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। मास्टर प्लान तैयार करने का काम स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) नई दिल्ली को दिया गया है। एसपीए ने अभी तक प्राधिकरण को दो रिपोर्ट सौंपी हैं। प्राधिकरण को दी हुई पहली रिपोर्ट काम शुरू करने और वास्तविक स्थिति को लेकर है और दूसरी रिपोर्ट सर्वे और मौजूद कनेक्टिविटी के विकल्प पर है।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ होगा न्यू नोएडा
रिपोर्ट के मुताबिक नोएड अथॉरिटी ने नक्शे में न्यू नोएडा का खाका खींचा गया है। इसके मुताबिक ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (केजीपी) के दोनों तरफ न्यू नोएडा क्षेत्र का दायरा होगा। प्राधिकरण ने दूसरे तरफ के कुछ गांवों का रकबा भी चिन्हित किया है। इनमें कोट, नयाबासरी, फूलपुर, खंडारा, गिरिराजपुर, आनंदपुर और कुछ अन्य गांव शामिल हैं। गांव और गांव की जमीन के हिसाब से ही मास्टर प्लान बनाया गया है।
नया नोएडा 80 गांवों की 210 वर्ग किमी जमीन पर बसेगा
देश में आर्थिक विकास को गति देने के लिए दो इंडस्ट्रियल रेलवे फ्रेट कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। करीब 1,500 किलोमीटर लम्बा दिल्ली-मुम्बई कॉरीडोर ग्रेटर नोएडा के दादरी से मुंबई में जवाहर लाल नेहरू पोर्ट तक है। दूसरा 1,839 किलोमीटर लम्बा रेलवे कॉरिडोर कोलकाता से अमृतसर तक बनाया जा रहा है। इन दोनों रेलवे कॉरिडोर के बीच गौतमबुद्ध नगर जिले की दादरी तहसील के 20 गांव हैं। बुलंदशहर जिले की खुर्जा और सिकंदराबाद तहसीलों के 60 गांव हैं। इन 80 गांवों की जमीन पर नया नोएडा बसेगा।
किसनों को लैण्डपूलिंग का लाभ मिलेगा
नए नोएडा को बसाने के लिए लैंडपूल के जरिए जमीन लेने की तैयारी है। इस प्रक्रिया के तहत किसानों को भी योजना में भागीदारी दी जाएगी। नोएडा अथॉरिटी का कहना है, नवी मुंबई लैंड पुलिंग के जरिए विकसित किया गया है। वहां के मॉडल को यहां की योजना में शामिल करेंगे। आप इसे कुछ ऐसे समझ सकते हैं। किसान जितनी जमीन शहर बसाने के लिए देंगे, उसमें से कम से कम 25% जमीन डेवलप करके वापस लौटा देंगे। किसान यह जमीन खुद बिल्डरों और कंपनियों को बेचेंगे। खुद भी हाऊसिंग या रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट ला सकते हैं। कुल मिलाकर साफ़ है कि आने वाले कुछ वर्षों बाद साऊथ नोएडा और न्यू नोएडा दिल्ली-एनसीआर के बाकी शहरों को पीछे छोड़ देंगे।
साउथ नोएडा में कनेक्टिविटी और फैसिलिटी का खास ख्याल
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की वजह से नोएडा शहर का यह हिस्सा फरीदाबाद और गुड़गांव के नजदीक आ गया है। फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद मार्ग (एफएनजी) की कनेक्टिविटी भी इसे मिलेगी। शहर का सबसे बड़ा 200 एकड़ का शहीद भगत सिंह पार्क, 1000 एकड़ वाला बायोडायवर्सिटी पार्क, 250 एकड़ का वेटलैंड, 10 एकड़ में देश का सबसे बड़ा हेलीपोर्ट और 100 एकड़ में 18 हॉल्स वाला गोल्फकोर्स कॉम्प्लेक्स भी यहां बनाया जा रहा है। यह इलाका हरा-भरा और पर्यावरण की दृष्टि से समृद्ध होने के कारण इस हिस्से को शहर का फेफड़ा भी बोला जा रहा है।