किसानों को दी राहत, भ्रष्ट अफसरों की आई शामत, सरकार और अथॉरिटी से.... 

नोएडा मुआवजा घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की :  किसानों को दी राहत, भ्रष्ट अफसरों की आई शामत, सरकार और अथॉरिटी से.... 

किसानों को दी राहत, भ्रष्ट अफसरों की आई शामत, सरकार और अथॉरिटी से.... 

Tricity Today | Symbolic

Noida News : नोएडा अथॉरिटी से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। गेझा तिलपताबाद गांव में हुए 100 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस घोटाले में बड़े-बड़े अफसर शामिल रहे हैं। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। जिसमें किसानों को मुआवजा देने फाइल भी शामिल है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने सुनवाई के दौरान एक बड़ा आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट भूमि अधिग्रहण मामले में राज्य सरकार और नोएडा प्राधिकाण से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है। साथ ही, भ्रष्टाचार के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है। हालांकि, कोर्ट ने किसानों को राहत दी है।

6 मई, 2024 को होगी अगली सुनवाई 
सुप्रीम कोर्ट कहा कि नोएडा में भूमि अधिग्रहण मामले में राज्य सरकार से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मांगी है। जिसे की 1 जनवरी 2013 और उसके बाद से नोएडा में विभिन्न पदों पर कार्यरत अधिकारियों की पूरी सूची दी जाए। ऐसे दो या तीन मामलों के मूल रिकॉर्ड प्रस्तुत करें, जिनमें क्षतिपूर्ति गलत तरीके से दी गई का आरोप है।ताकि जवाबदेह अधिकारियों की पहचान की जा सके। सुप्रीम कोर्ट आगे  कहा कि हस्तक्षेप करने वाले किसानों के वकीलों को इन 20 मामलों की स्थिति का विस्तृत विवरण देना होगा, जिनमें कहा गया कि मामले वापस लेने, ब्याज और सांत्वना को छोड़ने के बाद शेष क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त की गई। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में किसी भी किसान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। साथ ही, अंतरिम संरक्षण भी जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के पूरे सेटअप को भ्रष्ट बताया है और अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 6 मई, 2024 को होगी।

केवल चार दिनों में अफसरों ने मंजूरी दी
गेझा तिलपताबाद गांव की महिला किसान रामवती के नाम पर 27 बंच केसेज की फाइल तैयार की गई। कार्यालय सहायक मदनलाल मीणा ने 16 नवंबर 2015 को फाइल बनाई। बताया गया कि हाईकोर्ट में 14 अपील लंबित हैं। प्राधिकरण हित में किसानों से सहमति बनाना जरूरी है। इसके लिए किसानों को बढ़े मुआवजा का लाभ देना प्राधिकरण हित में रहेगा। इस फाइल पर महज चार दिनों में  तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी रमा रमण और अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश प्रकाश के अलावा तमाम जिम्मेदार अफसरों ने दस्तखत किए और मंजूरी दी।

रॉकेट की रफ्तार से दौड़ाई गई फाइल 
सबसे पहले सहायक विधिक अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर और विधि सलाहकार दिनेश कुमार सिंह ने उसी दिन 16 नवंबर 2015 को हस्ताक्षर किए। इसके बाद 19 नवंबर 2015 को तत्कालीन अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश प्रकाश और 20 नवंबर 2015 को मुख्य कार्यपालक अधिकारी रमा रमण ने मंजूरी दे दी। इस तरह महज चार दिनों में यह फाइल रॉकेट की रफ्तार से दौड़ाई गई। राजेश प्रकाश 10/10/2014 से 17/07/2016 तक नोएडा के एसीईओ रहे थे। रमा रमण 14/12/2010 से 24/08/2016 तक नोएडा के सीईओ रहे थे। इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि हाईकोर्ट में दाखिल जिस अपील का हवाला दिया गया था वह कई साल पहले खारिज हो गई थी।  रमा रमण रिटायर हो चुके हैं। राजेश प्रकाश उत्तर प्रदेश के लिए नेशनल कैपिटल रीजन बोर्ड में एडिशनल कमिशनर हैं।

क्या है पूरा मामला
नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के मामले में शिकायत हुई थी। प्राधिकरण अफसरों, दलालों और किसानों ने हाईकोर्ट की फर्जी याचिका का हवाला दिया। अब अक्टूबर 2023 में सीईओ रितु माहेश्वरी के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नोएडा के दो अधिकारियों और एक काश्तकार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। प्राधिकरण के सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को एफआईआर में नामजद किया गया। नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके राहत की मांग की। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

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