24 घंटो के अंदर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा बड़ा फैसला...भ्रष्ट अफसरों के नाम होंगे उजागर! 

नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा घोटाला : 24 घंटो के अंदर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा बड़ा फैसला...भ्रष्ट अफसरों के नाम होंगे उजागर! 

24 घंटो के अंदर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा बड़ा फैसला...भ्रष्ट अफसरों के नाम होंगे उजागर! 

Tricity Today | Symbolic

Noida News : नोएडा के गेझा तिलपताबाद में हुआ करीब 100 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले (Compensation Scam) में एसआईटी ने गड़बड़ी से जुड़ी जांच पूरी कर रिपोर्ट तैयार कर ली है। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की सूची सुप्रीम कोर्ट में जमा है। यह रिपोर्ट करीब 200 पन्नों की है। बताया जा रहा है कि 22 फरवरी यानी बृहस्पतिवार को एसआईटी की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सुना सकता है। जिसमें प्राधिकरण के तत्कालीन आला अधिकारियों की लापरवाही और उनके नाम का उजागर हो सकता है।

पिछली सुनवाई पर अदालत ने की थी तल्ख टिप्पणी
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नवंबर-2023 में इस मामले में सुनवाई हुई थी। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने केवल इसी मामले की रिपोर्ट पेश की थी। घोटाले के लिए जिम्मेदार अफसरों के नाम नहीं बताए और न ही कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की थी। तब कोर्ट ने भ्रष्ट अधिकारियों के नाम उजागर करने को कहा था। पिछली सुनवाई में एसआईटी ने भ्रष्ट अधिकारियों की सूची सुप्रीम कोर्ट में जमा की। एसआईटी ने जो रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की थी, वह पूरी हिंदी में थी। पूरी रिपोर्ट हिंदी में होने के के कारण इसको अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए शासन ने न्यायालय से अतिरिक्त समय मांगा था। ऐसे में न्यायालय ने शासन को रिपोर्ट को अनुवाद करने के लिए वक्त देने को मंजूरी दी थी।

पूरे सेटअप भ्रष्ट : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर तल्ख टिप्पणी की थी। प्राधिकरण के पूरे सेटअप को भ्रष्ट बताया था। जिस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर सवाल खड़े किए हैं, और उत्तर प्रदेश सरकार को लताड़ लगायी है, वह अपने आप में हैरानी भरा है। इससे साफ पता चलता है कि अथॉरिटी के अफसर कैसे सरकारी खजाने को लूटने में जुटे हुए हैं। जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ रहा है। यही बात सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कही है। नोएडा अथॉरिटी के लॉ ऑफ़िसर सुशील भाटी ने 20 मई-2021 को शहर के थाना सेक्टर-20 में एफआईआर दर्ज कराई थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने इस मामले में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की थी। वहीं, मुआवजा वितरण गड़बड़ी मामले में तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र नागर और दिनेश सिंह को निलंबित किया जा चुका है।

क्या है पूरा मामला
नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के मामले में शिकायत हुई थी। तत्कालीन सीईओ ऋतु माहेश्वरी के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नोएडा के दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। प्राधिकरण के सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को एफआईआर में नामजद किया गया। नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके राहत की मांग की। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

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