यूपी प्रदूषण बोर्ड ने गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के जल शोधन संयंत्रों को क्लीन चिट दी, कहा- ‘पहले से प्रदूषित है हिंडन’

बड़ी खबरः यूपी प्रदूषण बोर्ड ने गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के जल शोधन संयंत्रों को क्लीन चिट दी, कहा- ‘पहले से प्रदूषित है हिंडन’

यूपी प्रदूषण बोर्ड ने गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के जल शोधन संयंत्रों को क्लीन चिट दी, कहा- ‘पहले से प्रदूषित है हिंडन’

Tricity Today | हिंडन नदी का अस्तित्व खतरे में है

  • गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में हिंडन नदी के प्रदूषण में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का कोई रोल नहीं है
  • सारे प्लांट्स मानकों के मुताबिक जल का शोधन कर रहे हैं
  • गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 14 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित और संचालित हैं
  • गाजियाबाद के गोविंदपुरम, विजय नगर तथा इंदिरापुरम में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं
  • गौतमबुद्ध नगर में नोएडा के सेक्टर-123, 168, 54, 50 तथा ग्रेटर नोएडा के कासना और ईकोटेक एरिया में संचालित हैं
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Uttar Pradesh Pollution Control Board-UPPCB) ने कहा है कि गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में हिंडन नदी के प्रदूषण में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (Sewage Treatment Plants-STP) का कोई रोल नहीं है। सारे प्लांट्स मानकों के मुताबिक जल का शोधन कर रहे हैं। उसके बाद ही हिंडन नदी में पानी प्रवाहित किया जा रहा है। दरअसल गंगा की सहायक नदियों में से एक हिंडन के अस्तित्व पर खतरा आ गया है। नदी का दायरा लगातार सिकुड़ता जा रहा है। जबकि इसमें प्रदूषण का स्तर भयावह हो गया है। पिछले साल अगस्त, 2020 में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के अफसरों ने गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में स्थित 14 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें 11 प्लांट को मानकों के मुताबिक जल का शोधन नहीं करते हुए पाया गया था। 

सारे STP में मानकों का पालन हो रहा है
बताते चलें कि गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 14 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित और संचालित हैं। गाजियाबाद के गोविंदपुरम, विजय नगर तथा इंदिरापुरम में ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। जबकि गौतमबुद्ध नगर में नोएडा के सेक्टर-123, 168, 54, 50 तथा ग्रेटर नोएडा के कासना और ईकोटेक एरिया में जल शोधन संयंत्र स्थापित और संचालित हैं। नोएडा स्थित उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर में स्थापित और संचालित सभी STP मानकों के मुताबिक जल का शोधन कर रहे हैं। कुछ जल शोधन संस्थाओं में मानकों से ज्यादा और बेहतर पानी का शोधन हो रहा है। इसलिए प्रदूषण के लिए एसटीपी पर दोषारोपण नहीं किया जा सकता। 

गाजियाबाद पहुंचने से पहले प्रदूषित रहती है हिंडन
गाजियाबाद स्थित UPPCB के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा ने कहा कि गाजियाबाद में सभी STPs अब मानकों पर पूरी तरह खरा उतरती हैं। सब में मानकों के मुताबिक ही पानी का शुद्धिकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिंडन नदी में प्रदूषण की एक प्रमुख वजह यह है कि इसका पानी हिंडन नहर में भी जाता है। हिंडन नदी गाजियाबाद में पहुंचने से पहले ही प्रदूषित रहती है। इसलिए इस नदी के प्रदूषण में गाजियाबाद को सिर्फ कारक नहीं माना जा सकता है। फिर भी विभाग सभी एसटीपी का निरीक्षण कराता है। उनके मानकों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। 

4 STP के लिए नहीं थी मंजूरी
केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के तहत स्थापित नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) ने पिछले साल अपनी जांच के बाद 29 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को रिपोर्ट भेजा था। इसमें विभाग ने कहा था कि हिंडन नदी में प्रदूषण का प्रमुख कारण गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में स्थापित जल शोधन संयत्र हैं। टीम ने अपनी जांच में पाया था कि 14 में से 4 एसटीपी के संचालन की भी मंजूरी नहीं है। वे अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं।  जबकि 11 संयंत्रों में मानकों का पालन नहीं हो रहा था। इस पर एनएमसीजी ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश देते हुए ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़े सभी सरकारी अफसरों और प्राइवेट कंपनियों के मालिकों-कर्मचारियों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आपराधिक मामलों में भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने को कहा था। 

हिंडन को बचाना जरूरी है
बेशक उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के सभी एसटीपी को क्लीन चिट दे दी है, लेकिन पर्यावरणविद इससे खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि हिंडन नदी में प्रदूषण का बढ़ता स्तर खतरे की चेतावनी है। इसको रोकने के लिए अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। ग्रेटर नोएडा के पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड ने कहा कि, “भले ही यूपीपीसीबी का दावा है कि नोएडा और गाजियाबाद के सभी STP मानकों के मुताबिक जल का शोधन कर रहे हैं। लेकिन इससे इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता कि अब भी गंदा पानी, शहर का मलबा और कंपनियों तथा फैक्ट्रियों का मैला कचरा हिंडन नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। ज्यादातर संस्थाएं पानी को बिना शुद्ध किए ही नदी में प्रवाहित कर रही हैं। इसलिए NMCG को नियमित अंतराल पर दोनों जिलों में जमीनी हकीकत का मुआयना जारी रखना होगा। तभी हिंडन नदी को बचाया जा सकेगा।”

NMCG ने इन धाराओं में कार्रवाई का आदेश दिया था
NMCG ने अपने आदेश में कहा था कि इन प्लांट के मालिक/ऑपरेटर या एसटीपी के केयरटेकर तथा सरकारी अफसरों के खिलाफ पर्यावरण अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी की धारा – 277, 290, 425, 426 और 511 में मामला दर्ज किया जाए। इस पर त्वरित कार्रवाई की जाए। साथ ही यूपी सरकार इन संयत्रों का औचक निरीक्षण कर उनमें जल शोधन के मानकों का निगरानी करे। उन्होंने मुख्य सचिव को दिए आदेश में कहा था कि कार्रवाई की एक रिपोर्ट एनएमसीजी को 7 दिन के अंदर सौंपी जाए। लेकिन बार-बार याद दिलाने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एनएमसीजी को कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट नहीं सौंपी गई।

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