उत्तराखंड की गोल्डन गर्ल निवेदिता कार्की का पहाड़ से इंटरनेशनल खिलाड़ी बनने तक का सफर

ग्रेटर नोएडा में एलीट राष्ट्रीय महिला मुक्केबाजी : उत्तराखंड की गोल्डन गर्ल निवेदिता कार्की का पहाड़ से इंटरनेशनल खिलाड़ी बनने तक का सफर

उत्तराखंड की गोल्डन गर्ल निवेदिता कार्की का पहाड़ से इंटरनेशनल खिलाड़ी बनने तक का सफर

Tricity Today | निवेदिता कार्की

  • - 15 साल की उम्र में बनीं गोल्डन गर्ल 
  • - एशियन यूथ जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कर चुकी हैं भारत का प्रतिनिधित्व 
     
Noida News : ग्रेटर नोएडा के गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी (Gautam Buddha University) में चल रही बॉक्सिंग प्रतियोगिता में उत्तराखंड (Uttarakhand) के पिथौरागढ़ जिले की निवेदिता कार्की (Nivedita Karki) ने ब्रॉन्ज़ मेडल जीतकर पहाड़ का नाम पूरे भारत में रोशन किया है। निवेदिता पहले भी इंटरनेशनल लेवल पर खेलकर गोल्डन गर्ल बन चुकी हैं। निवेदिता के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन्होंने छोटी सी उम्र में ही अपनी मेहनत से विश्व में अपनी प्रतिभा और कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं। इस समय निवेदिता सिर्फ 19 साल की हैं। उनके पिता सरकारी अफसर और मां हाउसवाइफ हैं।

चुनौतियों को पछाड़कर पहुंची इंटरनेशनल लेवल पर 
जीबीयू में चल रही सातवीं एलीट राष्ट्रीय महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में उत्तराखंड की मुक्केबाज निवेदिता कार्की ने 45-48 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीता। निवेदिता उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना ब्लाक में नेपाल सीमा से लगे दुर्गम गांव रणुवा से हैं। पहाड़ की चुनौतियों को पछाड़कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने वाली निवेदिता कार्की हर किसी के लिए रोल मॉडल हैं। वह मानती हैं कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, लगन और परिश्रम से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। उनका लक्ष्य ओलंपिक पदक जीतकर प्रदेश और देश का मान बढ़ाना है। 

सपनों की उड़ान भरने को तैयार 
निवेदिता कार्की ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पिथौरागढ़ के द एशियन एकेडमी से की। उनकी मां पुष्पा कार्की और पिता बहादुर कार्की ने अपनी बेटी की पसंद को देखते हुए उसे हर स्तर पर सपोर्ट किया। निवेदिता ने देब सिंह मैदान में कोच प्रकाश जंग थापा से बॉक्सिंग की बारीकियां सीखनी शुरू की थी। बाद में उनका चयन आवासीय बालिका बॉक्सिंग क्रीड़ा छात्रावास पिथौड़ागढ़ के लिए हो गया। वहां पर कोच सुनीता मेहता ने उनको प्रशिक्षण दिया। समय के साथ निवेदिता के पंच की धार और रिंग पर तेजी दोनों बेहतर होती गई और वह नित नए कीर्तिमान गढ़ती हुई आगे बढ़ती रहीं। अभी उनका सफर जारी है। 

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोशन किया देश का नाम 
निवेदिता ने जार्डन में आयोजित एशियन यूथ जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने उजकेबिस्तान की सेदाकोन रखमोनोवा को पराजित कर स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद साल 2020 में स्वीडन में भी वह गोल्डन गर्ल बनीं थीं। दुबई में आयोजित प्रतियोगिता में भी वह रजत पदक जीत चुकी हैं। निवेदिता का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उत्तराखंड और भारत का नाम रोशन करना है। साल 2022 में निवेदिता ने सोनीपत में एशियाई चैंपियनशिप में गोल्डन पंच मारा। साल 2023 आरईसी नॉर्थ जोन में सिल्वर मेडल जीता। अब 7th वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। मैच के दौरान निवेदिता को इंजरी भी आई है।

पूर्व में गीतिका को हरा चुकी है 
एलीट राष्ट्रीय महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में भले ही निवेदिता कार्की को हरियाणा की गीतिका से हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन वह पूर्व में वर्ल्ड चैंपियन रह चुकी गीतिका को भी रिंग में हरा चुकी हैं। उन्होंंने साल 2021 में यूथ नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गीतिका को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। 

15 साल की उम्र में बनीं इंटरनेशनल गोल्डन गर्ल 
निवेदिता सितंबर 2022 में स्वीडन के बोरास में हुई गोल्डन गर्ल अंतरराष्ट्रीय जूनियर बॉक्सिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत चुकी है। तब से उनकी पहचान गोल्डन गर्ल के रूप में भी होती है। उन्होंने 48 किलो भार वर्ग में आयरलैंड की कैरलेग मारिया को 5-0 से पराजित कर गोल्डन गर्ल का खिताब जीता था। उस वक्त वह मात्र 15 साल 10 माह की थीं। 

बाक्सिंग के लिए छोड़ दिया था बोर्ड का एग्जाम
निवेदिता की मम्मी पुष्पा कार्की ने बताया कि निवेदिता में बाक्सिंग का जुनून इस कदर है कि इसके लिए उसने अपनी बोर्ड परीक्षा भी छोड़ दी थी। मार्च 2019 में निवेदिता का चयन खेलो इंडिया के तहत नेशनल एकेडमी रोहतक (हरियाणा) के लिए हुआ था। उस वक्त वह 10वीं में पढ़ती थी और उसी दौरान बोर्ड की परीक्षा होनी थी। उनके सामने बाक्सिंग और बोर्ड में से कोई एक चुनना था। आखिर, उन्होंने बाक्सिंग के प्रशिक्षण को अहमियत दी।

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