ट्विन टावर की जमीन को लेकर बिल्डर और एओए में छिड़ी जंग, प्राधिकरण ने निकाला बीच का रास्ता, जानिए पूरा मामला

नोएडा से बड़ी खबर : ट्विन टावर की जमीन को लेकर बिल्डर और एओए में छिड़ी जंग, प्राधिकरण ने निकाला बीच का रास्ता, जानिए पूरा मामला

ट्विन टावर की जमीन को लेकर बिल्डर और एओए में छिड़ी जंग, प्राधिकरण ने निकाला बीच का रास्ता, जानिए पूरा मामला

Tricity Today | ट्विन टावर की जमीन

Noida News : सेक्टर-93ए में स्थित ट्विन टावर टूट गए हैं। अब जमीन पर किसका हक है, इसको लेकर बिल्डर और एओए के बीच विवाद पैदा हो गया है। बिल्डर और एओए ने इस मामले में नोएडा प्राधिकरण का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद अधिकारियों ने इसमें बीच का रास्ता निकाल लिया है। अब अधिकारी इस बात की जांच करेंगे कि जमीन आवंटित करते समय ट्विन टावर वाली जमीन पर क्या लिखा गया था, उसके बाद ही इसका फैसला हुआ कि यह जमीन किसकी है।

आवंटन के सभी फाइलों की जांच होगी
सेक्टर-93ए सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में बने ट्विन टावर के ध्वस्त होने के बाद अब वहां खाली मैदान हो गया है। इस जमीन पर अब बिल्डर और आरडब्ल्यूए दोनों अपना-अपना हक जता रहे हैं। ऐसे में इस जमीन के आवंटन को लेकर प्राधिकरण पुरानी फाइलों को खंगालेगा। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि दोनों पक्षों के दावे का परीक्षण कराने के लिए वर्ष 2006 और उसके पहले एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी की जमीन आवंटन से लेकर नक्शा पास होने की सभी फाइलों की जांच कराएगी। इसके बाद प्राधिकरण स्पष्ट करेगा कि खाली जमीन पर किसका हक है। 

एओए ने इस तरीके से जमीन को अपना बताया
सोसाइटी के एओए अध्यक्ष का कहना है कि बिल्डर अब दोबारा से जमीन को घेरना चाहता है। ट्विन टावर करीब 7,500 वर्ग मीटर जमीन पर बना हुआ था, जो अब टूट चुका है। एओए ने बिल्डर के खिलाफ शिकायत प्राधिकरण में दे दी है। एओए का कहना है कि यह जमीन सोसाइटी की है। इस पर पास हुए नक्शे को पहले से ही अवैध करार दिया जा चुका है।

बिल्डर ने क्या कहा?
वहीं दूसरी ओर बिल्डर का कहना है कि 2006 में इस जमीन पर दो टावर बनाने के नक्शे प्राधिकरण ने पास किए थे। इसके बाद एफएआर जो बढ़ा था, उस पर विवाद हुआ था। इसलिए यह जमीन बिल्डर की है और उसके कब्जे में दी जाए।

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