वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष के खिलाफ केस दर्ज, नोएडा से गिरफ्तार 

सीएम योगी का डीप फेक वीडियो वायरल : वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष के खिलाफ केस दर्ज, नोएडा से गिरफ्तार 

वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष के खिलाफ केस दर्ज, नोएडा से गिरफ्तार 

Tricity Today | सीएम योगी आदित्यनाथ और आरोपी श्याम गुप्ता

Noida News : लोकसभा चुनाव में लगातार सोशल मीडिया पर अलग-अलग राजनीतिक दल के नेताओं की वीडियो वायरल हो रही है। इन वीडियो को गलत तरीके से एडिट कर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया जा रहा है। गृहमंत्री अमित शाह के फेक वीडियो के बाद अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का एक डीप फेक वीडियो सामने आया है, जो नोएडा के एक व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। इस मामले में सेक्टर-36 स्थित साइबर क्राइम पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया है।

क्या है मामला 
जानकारी के मुताबिक, 1 मई को एक ट्विटर हैंडल 'श्याम गुप्ता आरपीएसयू' से सीएम योगी का डीप फेक वीडियो अपलोड किया गया। इस वीडियो में भ्रामक तथ्य दिए गए थे और देशविरोधी तत्वों को बल मिलने की आशंका थी। यह जानकारी मिलने पर नोएडा स्थित यूपी एसटीएफ की टीम ने साइबर क्राइम थाने को सूचित किया। जांच के बाद साइबर क्राइम थाना प्रभारी ने बरौला निवासी श्याम गुप्ता के विरुद्ध धारा 468, 505(2) भादवि, 66 आईटी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी रेहड़ी-पटरी संचालक वेलफेयर एसोसिएशन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भी है।

विशेष निर्देश जारी
नोएडा साइबर क्राइम के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के डीपफेक वीडियो देश की अखंडता और सद्भावना को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। अपराध और कानून व्यवस्था को लेकर सतर्क रहने के निर्देश देते हुए सरकार ने इस तरह की घटनाओं पर नजर रखने के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं। अभी जांच जारी है और आगे की कार्रवाई जल्द की जाएगी।

क्या है डीपफेक वीडियो?
डीप फेक वीडियो एक नई तकनीक है जिसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है। इन वीडियो को बनाने के लिए किसी व्यक्ति की आवाज और बोलने के लहजे को कंप्यूटर एल्गोरिदम की मदद से कैप्चर किया जाता है। फिर सॉफ्टवेयर की सहायता से एक नए वीडियो में इस व्यक्ति को बोलते हुए दिखाया जाता है, जबकि वास्तव में वह ऐसा कुछ नहीं कह रहा होता। इस प्रक्रिया में फेस स्वैपिंग और लिप सिंकिंग जैसी तकनीकें भी शामिल हैं। फेस स्वैपिंग में किसी दूसरे व्यक्ति के चेहरे को मूल वीडियो में जोड़ा जाता है, जबकि लिप सिंकिंग में होंठों की गति को मूल आवाज के अनुसार संशोधित किया जाता है। इस तरह बना डीपफेक वीडियो असली लगता है और धोखाधड़ी का एक खतरनाक हथियार बन सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों के बढ़ते इस्तेमाल से डीपफेक की समस्या और बढ़ेगी। इसलिए जरूरी है कि इस पर नियंत्रण रखा जाए और जनता को इससे होने वाले खतरों के बारे में जागरूक किया जाए।

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